2014 से 2022 तक मिले सबसे ज्यादा महिला वोट, क्या नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल के जरिए बीजेपी ने चल दिया मास्टरस्ट्रोक?
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने ज्यादा वोट डाले. कुल 67.01 प्रतिशत पुरुष मतदाताओं ने वोट किया, जबकि महिला वोटर्स का वोट प्रतिशत 67.18 फीसद था.
27 साल से लटके महिला आरक्षण बिल की किस्मत आखिरकार खुल गई है. प्रधानमंत्री रहते जो न एचडी देवगौड़ा कर पाए, न अटल बिहारी वाजपेयी काल में हो पाया और न ही मनमोहन सिंह कर पाए, वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर दिखाया. पहली बार बिल के कानून बनने की राह आसान हो गई है. सदन में पहली बार बिल की राह में कोई अड़चन नहीं आई. नई संसद के नए लोकसभा सदन में पहले ही दिन मोदी सरकार ने महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया. अब इस पर बुधवार को लोकसभा में चर्चा होगी. बिल का नाम है- नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल-2023, जिसके तहत महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में 33 फीसदी सीटें रिजर्व होंगी.
बिल का ऐलान करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज इस ऐतिहासिक दिन में, सदन की पहली कार्यवाही के रूप में देश में इस नए बदलाव का आह्वन किया है और देश की नारी शक्ति के लिए सभी सांसद मिल करके नए प्रवेश द्वार खोल दें. इस बिल के कानून बन जाने के बाद महिला आरक्षण की अवधि 15 साल होगी.
बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक
कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि आर्टिकल में महिला रिजर्वेशन की अवधि 15 साल की होगी. अगर अवधि बढ़ानी होगी तो संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा. महिला आरक्षण बिल के जरिए मोदी सरकार ने 2024 की चुनावी पिच पर मास्टर स्ट्रोक चला है. तो क्या महिला आरक्षण के दांव से मोदी ने 2024 की चुनावी फतह सुनिश्चित कर ली है? सरकार का ये फैसला अभूतपूर्व है, ऐतिहासिक है और एक मील का पत्थर है. देश की आधी आबादी की संसद और विधानसभाओं में नुमाइंदगी सुनिश्चित की जा रही है. पीएम मोदी ने कहा, 'ईश्वर ने ऐसे कई पवित्र काम के लिए उन्हें चुना है, मेरी सरकार ने कल (सोमवार) ही कैबिनेट में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी. आज 19 सितंबर की ये तारीख इसीलिए इतिहास में अमरत्व को प्राप्त करेगी.'
जिसके साथ महिला वोट, उसकी जीत पक्की !
पीएम मोदी इतिहास बनाने की बात कर रहे हैं, लेकिन इस बिल से देश की राजनीति का भूगोल भी बदलने वाला है. महिला आरक्षण बिल कैसे 2024 के चुनाव के लिए निर्णायक साबित हो सकता है, इसके लिए महिला वोटों का ट्रेंड समझने की जरूरत है-
सीएसडीएस लोकनीति के आंकड़ों के मुताबिक:
- 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 29% महिला वोट पड़े
- 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 36% महिला वोट पड़े
- 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 46% महिला वोट मिले
ये ट्रेंड बता रहा है कि इन तीनों चुनावों में सबसे ज्यादा महिला वोट बीजेपी को पड़े और उसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ. असल में बीजेपी ने जो चुनावी इंजीनियरिंग की, उसमें महिला वोटों का एक बड़ा ब्लॉक तैयार कर लिया. सरकार ने भी अपनी योजनाओं में महिलाओं को तवज्जो दी. आंकड़े बता रहे हैं कि इसका लाभ बीजेपी को चुनावों में हुआ है.
2019 में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने डाले वोट
इसे 2019 के लोकसभा चुनाव के एक डेटा से समझ सकते हैं, जहां पुरुषों से ज्यादा वोट महिलाओं ने दिए. 2019 के चुनाव में जहां 67.01 प्रतिशत पुरुष मतदाताओं ने वोट किया. वहीं, महिला मतदाताओं का वोटिंग प्रतिशत 67.18 फीसद था. यानी वोटिंग के लिए पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा तादाद में घरों से निकलीं. इसका मतलब ये है कि महिलाएं अपने वोट को लेकर बेहद सजग हैं इसीलिए माना जा रहा है कि महिला आरक्षण एक सोचा समझा दांव है.
क्या गेमचेंजर साबित होगा बिल?
पीएम मोदी ने कहा, 'ऐसा कहते हैं कि नया इतिहास रचा है. नए सत्र के प्रथम भाषण में मैं विश्वास और गर्व से कह रहा हूं कि आज एक पल, ये दिवस, इतिहास में नाम दर्ज करने वाला समय है.' अब सवाल ये है कि महिला आरक्षण का दांव चलकर क्या पीएम मोदी ने 2024 के चुनाव का आधा मैदान मार लिया है. ये तो समय ही बताएगा लेकिन अभी ऐसा लग रहा है कि महिला आरक्षण बिल गेमचेंजर साबित हो सकता है. इसका आभास सभी दलों को है, इसीलिए इस बिल की राह में सदन में पहली बार कोई अड़चन नहीं आई, बल्कि क्रेडिट लेने की होड़ मच गई.
क्रेडिट लेने की मच गई होड़
कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में कहा कि राजीव गांधी की सरकार, नरसिम्हा और मनमोहन सिंह की सरकार ने अपने अपने हिसाब से बिल पास कराने की कोशिश की. वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पुराना बिल लैप्स कर गया है, ये बिल नया है. क्रेडिट लेने की होड़ अपनी जगह है, लेकिन ये सत्य कौन झुठला सकता है कि पिछले 27 बरस में पहली बार महिला आरक्षण बिल के कानून बनने की राह आसान हो गई है. भले ही संसद में हंगामा हुआ हो, श्रेय लेने की होड़ मची हो, लेकिन सड़कों पर उत्सव मनाया जाने लगा. सबको इस बात का अंदाजा है कि आधी आबादी को उसका हक देने का फैसला कितना बड़ा है. कितना ऐतिहासिक है.
यह भी पढ़ें:
Women Reservation Bill: महिला आरक्षण बिल के लिए आसान नहीं आगे की राह, सामने हैं ये बड़े चैलेंज