Women Reservation Bill in Parliament: लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षण करने वाला नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल लोकसभा में पेश किया जा चुका है. कांग्रेस ने महिला आरक्षण बिल को समर्थन देने की घोषणा तो की है, लेकिन एक तिहाई आरक्षण में जातिगत आरक्षण का प्रावधान लागू करने की विपक्ष की मांग के साथ खड़ी हो गई है.


2010 में जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तब ये बिल राज्यसभा में पेश कर पास करवाया गया था. तब सपा, बसपा और राजद ने जातिगत आरक्षण को इस एक तिहाई हिस्से में शामिल करने की मांग की थी. लेकिन कांग्रेस ने तब जातिगत आरक्षण का विरोध किया था. हालांकि इस बार जब मोदी सरकार ने लोकसभा में बिल पेश किया तो कांग्रेस ने समर्थन की तो घोषणा की है, साथ ही जातिगत आरक्षण को इसमें शामिल करने के विपक्ष की मांग का साथ भी दिया है.


कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार सुबह (20 सितंबर) संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले महिला आरक्षण बिल की रणनीति पर विचार-विमर्श किया. खरगे के चैम्बर में हुई इस बैठक में तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, द्रमुक और राष्‍ट्रीय जनता दल सहित कई अन्य विपक्षी दलों के नेता भी शामिल हुए.


'जातिगत आरक्षण प्रावधान लागू करने की संभावना'


राज्यसभा में कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को बिल पेश होने के बाद कहा था, "महिला आरक्षण बिल में बैकवर्ड क्लास के लिए मौजूदा जातिगत आरक्षण प्रावधान लागू करने की संभावना है. अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो यह समुदाय की महिलाओं के साथ अन्याय होगा. पहले से बैकवर्ड क्लास को जो आरक्षण मिलता रहा है उसे भी एक तिहाई आरक्षण में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें चुनावी प्रतिद्वंद्विता में प्राथमिकता मिले."


बसपा ने भी की है समर्थन की घोषणा
बसपा प्रमुख मायावती ने भी महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया है. एक दिन पहले मंगलवार को उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिल के समर्थन की घोषणा की थी. बहरहाल उन्होंने भी इसमें एससी/ एसटी समुदायों के लिए मौजूदा आरक्षण के प्रावधान को लागू रखने की मांग की थी. बिहार की पूर्व  मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी मायावती के सुर में सुर मिलाया है. सपा नेता अखिलेश यादव और डिंपल यादव ने भी OBC आरक्षण की मांग की है. असदुद्दीन ओवैसी ने भी कहा है कि OBC और मुस्लिम महिलाओं को आरक्षण सुनिश्चित होना चाहिए.


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