Women Reservation Bill in Parliament: संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन मोदी सरकार ने महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश कर दिया. महिला आरक्षण बिल पर अलग-अलग दलों ने समर्थन तो किया है लेकिन अलग-अलग मांग भी की है. समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) तो पहले से ही इस बिल के विरोध में थे. अब उन्होंने नई तरह की मांग की है. आइए आपको सिलसिलेवार बताते हैं कौन-सी पार्टी महिला आरक्षण बिल के साथ है और कौन-सी पार्टी खिलाफ है. 


आरक्षण में आरक्षण की मांग
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण में पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक और आदिवासी महिलाओं को भी आरक्षण मिलना चाहिए.


उनकी पत्नी डिंपल यादव ने कहा कि ओबीसी महिलाओं को भी आरक्षण मिलना चाहिए. महिलाओं को आरक्षण अच्छी बात है लेकिन ओबीसी कोटा बरकरार रखा जाना चाहिए.


बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेता राबड़ी देवी ने भी कहा है कि आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य है.


'ओबीसी और मुस्लिम महिलाओं का कोटा'


एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने ओबीसी आरक्षण की मांग दुहराई. उन्होंने कहा कि ओबीसी और मुस्लिम महिलाओं का कोटा सुनिश्चित होना चाहिए.


बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने भी महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया है. एक दिन पहले मंगलवार (19 सितंबर) को उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिल के समर्थन की घोषणा की थी. बहरहाल उन्होंने भी इसमें एससी/एसटी समुदायों के लिए मौजूदा आरक्षण के प्रावधान को लागू रखने की मांग की थी.


कांग्रेस ने क्या कहा


कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे ने भी ओबीसी आरक्षण की मांग की. उन्होंने कहा कि अगर ओबीसी आरक्षण नहीं मिलेगा तो उन महिलाओं के साथ भी अन्याय होगा.


क्या है आरक्षण बिल


महिला आरक्षण बिल लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं की एक तिहाई भागीदारी सुनिश्चित करता है. हालांकि यह राज्यसभा, विधान परिषद या विधान मंडलों के चुनाव में लागू नहीं होगा.


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