Women Reservation Bill: संसद के विशेष सत्र के दौरान बुधवार (20 सितंबर) को महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक पर चर्चा जारी रही. इस बिल में लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने का प्रावधान है. इसी बीच दक्षिण भारत के नेताओं की चिंता भी सामने आई. जिसपर केंद्र सरकार ने संज्ञान लिया.
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, डेलिमिटेशन के बाद सीटों के विस्तार को लेकर दक्षिण राज्यों के नेताओं की चिंता जायज है. आबादी को कंट्रोल करने वाले राज्यों की को सजा नहीं दी जा सकती. लोकसभा सीटों को बढ़ाते वक्त ऐसे राज्यों का प्रोडाटा फिक्स करना होगा ताकि आबादी कंट्रोल करने वाले राज्यों को सजा न मिले.
2024 चुनाव के बाद होगी जनगणना
सूत्रों के मुताबिक, 2024 चुनाव के बाद जनगणना होगी और उसके बाद परिसीमन कमीशन का गठन होगा. 2029 लोकसभा चुनाव से पहले भी महिला आरक्षण लागू होगा इसके लिए जरूरी कानूनी प्रावधान किए जा रहे हैं.
केंद्र सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित नारीशक्ति वंदन विधेयक को मंगलवार (19 सितंबर) को लोकसभा में पेश किया था.
कांग्रेस ने बताया जुमला
कांग्रेस ने इसे चुनावी जुमला करार दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक का हमने हमेशा से समर्थन किया है. साल 2010 में राज्यसभा में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पारित करवाया था. ओबीसी वर्ग की महिलाओं को भी इस विधयेक के जरिये सामान मौका मिलना चाहिए.
"महिलाओं और युवतियों की उम्मीदों के साथ धोखा"
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि चुनावी जुमलों के इस मौसम में ये सभी जुमलों में सबसे बड़ा है. करोड़ों भारतीय महिलाओं और युवतियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा धोखा है. जैसा कि हमने पहले बताया था, मोदी सरकार ने अभी तक 2021 की दशकीय जनगणना नहीं कराई है, जिससे भारत जी-20 में एकमात्र देश बन गया है, जो जनगणना कराने में विफल रहा है.
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