Women Reservation Bill: महिला आरक्षण बिल के लिए आसान नहीं आगे की राह, सामने हैं ये बड़े चैलेंज
Women Reservation Bill: नारी शक्ति वंदन अधिनियम मंगलवार को संसद में पेश किया गया. बिल के पास होने के बाद इसे लागू करने के लिए परिसीमन का काम पूरा होना जरूरी है, 2024 चुनाव में इसका लागू होना मुश्किल
नई संसद का श्रीगणेश 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी पर महिला आरक्षण बिल के ऐलान के साथ किया गया. मंगलवार को प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल (128वां संशोधन विधेयक) पेश किया. सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल नाम के साथ महिला आरक्षण बिल पेश किया और कहा कि इससे लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा. संसद में महिलाओं के लिए एक तिहाई कोटा बनाने की कोशिश 1996 से की जा रही हैं. मार्च 2010 में राज्यसभा ने संविधान (108 संशोधन) विधेयक, 2008 पारित किया, लेकिन यह कानून लोकसभा में पेश नहीं किया जा सका. भले ही मंगलवार को पेश किया गया विधेयक संसद के दोनों सदनों में तेजी से पारित हो जाए, लेकिन इसे लागू होने में कुछ समय लग सकता है.
विधेयक में महिलाओं को दिए जा रहे 33 फीसद आरक्षण में से ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण का प्रस्ताव है. हालांकि, ओबीसी समुदाय की महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रस्ताव नहीं है, जिसका मुद्दा आरजेडी और सपा लगातार उठाते रहे हैं. जब-जब संसद में यह बिल पेश किया गया, दोनों दलों ने जमकर इसका विरोध किया. अब देखना होगा कि इस बार उनका क्या रुख होता है क्योंकि ये दोनों दल I.N.D.I.A गठबंधन का हिस्सा हैं, जबकि कांग्रेस समेत गठबंधन के अन्य दल विधेयक के समर्थन में हैं. आरजेडी और सपा ओबीसी वर्ग की राजनीति करते रहे हैं.
आरक्षित सीटों की पहचान कैसे होगी?
अब ध्यान देने वाली बात यह भी है कि आरक्षित सीटों की पहचान कैसे की जाएगी. विधेयक में कहा गया है कि संसद और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. हालांकि, इस बात का जिक्र इसमें नहीं है कि सीटों की पहचान कैसे की जाएगी. 2010 में भी जब बिल पेश किया गया था तो यह नहीं बताया गया कि महिलाओं के लिए कौन सीटें अलग रखी जाएंगी. हालांकि, सरकार ने यह प्रस्ताव दिया था कि ड्रा के जरिए महिलाओं के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र प्राप्त किए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि कोई भी सीट लगातार तीन चुनावों में एक से ज्यादा बार आरक्षित न हो. वहीं, मंगलवार को पेश बिल में रिजर्व्ड सीटों के रोटेशन का भी प्रस्ताव है. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षित सीटों की पहचान कैसे की जाएगी. बुधवार से बिल पर बहस शुरू होगी.
किन संवैधानिक संशोधनों की होगी आवश्यकता ?
महिला आरक्षण बिल अगर पास होता है तो जिन संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता होगी, उनमें परिसीमन के लिए अनुच्छेद 82 और 170(3) में संशोधन भी है. परिसीमन के बाद ही महिला आरक्षण लागू होगा. हर जनगणना के बाद अनुच्छेद 82 के तहत परिसीमन अधिनियम लागू किया जाता है, जिसमें जनगणना के बाद क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों का पुननिर्धारण किया जाता है. वहीं, अनुच्छेद 170(3) विधानसभाओं की संरचना से संबंधित है. महिला आरक्षण बिल अगर पास होता है तो यह 15 सालों के लिए लागू होगा. हालांकि, 15 साल की अवधि पूरी होने के बाद इसे आगे बढ़ाया जा सकता है, जिसके लिए फिर से संसद में विधेयक पेश करना होगा. एक और ध्यान देने वाली बात यह भी है कि बिल के जरिए महिलाओं को सिर्फ लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण मिलेगा. राज्यसभा और विधानपरिषदों में यह लागू नहीं होगा.
क्या है परिसीमन?
महिला आरक्षण बिल अगर पास हो भी जाता है तो भी यह आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में लागू नहीं होगा क्योंकि परिसीमन का काम पूरा नहीं हो सका है. 2026 में परिसीमन का काम शुरू होगा उसके बाद ही निर्वाचन क्षेत्रों के विभाजन के बाद तय किया जा सकेगा कि महिलाओं के लिए कौन सी सीटें आरक्षित की जाएंगी. बढ़ती जनसंख्या के आधार पर समय-समय पर निर्वाचन क्षेत्रों का दोबारा निर्धारण किया जाता है ताकि लोकतंत्र में आबादी का सही प्रतिनिधित्व किया जा सके और सभी को समान अवसर प्राप्त हो. इसके जरिए लोकसभा और विधानसभा की सीटों के क्षेत्रों का पुननिर्धारण किया जाता है. इस प्रक्रिया को ही परिसीमन कहा जाता है.