Women Reservation Bill In Parliament: देश की नई संसद अब नारी शक्ति का वंदन करने जा रही है. लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान जिस बिल में है, उसका आधिकारिक नाम संविधान (128वां संशोधन) विधेयक 2023 है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया है. यह बिल मंगलवार (19 सितंबर) को लोकसभा में पेश हो गया. जिस तरह का संख्या बल बीजेपी के पास है, उससे उम्मीद है कि बिल लोकसभा में तो पास होगा ही होगा, राज्यसभा में भी कोई रुकावट नहीं आएगी.


ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह बिल लागू हो पाएगा और अगर हां तो यह कब और कैसे लागू होगा? जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं क्या कानून वहां लागू होगा या फिर 2024 के लोकसभा चुनाव के वक्त इसे लागू किया जाएगा. या फिर इसके लिए अभी और लंबा लंबा इंतजार करना होगा. 


संविधान (128वां संशोधन) विधेयक 2023 कहिए या नारी शक्ति वंदन अधिनियम और या फिर महिला आरक्षण बिल. यह लोकसभा में पेश हो गया है. ऐसे में अगर संसद के इस विशेष सत्र में यह बिल पास होकर कानून बन जाता है तो फिर क्या होगा? क्या ये कानून तुरंत लागू हो जाएगा? क्या इस कानून के लागू होने के बाद पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा के चुनाव होंगे? क्या पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों और फिर लोकसभा चुनावों पर इस कानून का असर पड़ेगा?


इसका जवाब है नहीं. दरअसल, इसका जवाब इस बिल में ही है, जो लोकसभा में पेश किया गया है. लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की ओर से पेश बिल में ही साफ कर दिया गया है कि जब तक जनगणना और परिसीमन न हो जाए, यह कानून लागू नहीं होगा.  


जनगणना के बाद होगा परिसीमन 
जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के बाद परिसीमन होगा और उसके बाद ही संविधान संशोधन विधेयक 2023 को लागू किया जाएगा, जो लागू होने की तारीख से अगले 15 साल के लिए मान्य होगा. इसका मतलब यह है कि सबसे पहले देश की जनगणना होगी.


कानून का 2024 में लागू होना मुश्किल 
बता दें कि यह जनगणना 2021 में होने वाली थी, लेकिन अभी तक नहीं हो पाई. अब यह कब तक हो पाएगी, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता. जनगणना के बाद परिसीमन होगा यानी कि आबादी के लिहाज से लोकसभा क्षेत्र का पुनर्निधारण किया जाएगा और तब जाकर इस कानून को लागू किया जाएगा. ऐसे में यह 2024 में लागू नहीं हो सकता है. हालांकि, इसे 2029 में लागू होने की उम्मीद है.


2026 के बाद होगी पहली जनगणना
हालांकि, यह इतना भी आसान नहीं है और इसकी वजह है प्रधानमंत्री वाजपेयी के कार्यकाल में हुआ संविधान संशोधन. उस वक्त तय किया गया था कि 2026 के बाद जो पहली जनगणना होगी और उसके आंकड़े जारी हो जाएंगे और उसके बाद परिसीमन होगा. इस लिहाज से 2026 के बाद पहली जनगणना 2031 में होगी. फिर 2034 में लोकसभा का चुनाव होगा और तब जाकर उस लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू होगा.


पूर्ण कार्यकाल का करना होगा इंतजार
रही बात कि क्या बीच में ही इस कानून को लागू नहीं किया जा सकता तो कानून मंत्री ने जो बिल पेश किया है, उसमें साफ तौर पर लिखा है कि विधानसभा या लोकसभा के कार्यकाल के बीच में कानून लागू नहीं होगा. इसलिए कानून को लागू करने के लिए लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल का इंतजार करना ही होगा. 


2029 से पहले लागू नहीं हो सकता कानून
ऐसे में लोकसभा में यह कानून 2029 के चुनाव से पहले किसी भी सूरत में लागू नहीं हो सकता है. रही बात विधानसभा चुनाव में इस कानून के लागू होने कि तो बिल में ही प्रावधान है कि जब तक जनगणना नहीं होती, कानून लागू नहीं होगा.  


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