जनगणना और परिसीमन से पहले ही लागू किया जाए महिला आरक्षण कानून, कांग्रेस नेता रंजीत रंजन की मांग
कांग्रेस नेता रंजीत रंजन ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल को झुनझुना करार देते हुआ कहा कि इसके पीछे षडयंत्र नजर आता है क्योंकि सरकार साढ़े नौ साल बाद इसे लेकर आई है.
लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के प्रावधान वाले विधेयक को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का चुनावी एजेंडा और झुनझुना करार देते हुए कांग्रेस नेता रंजीत रंजन ने गुरुवार (21 सितंबर) को राज्यसभा में मांग की कि इस प्रस्तावित कानून को जनगणना एवं परिसीमन के पहले ही लागू किया जाना चाहिए. कांग्रेस सदस्य रंजीत रंजन ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें इस विधेयक के पीछे षडयंत्र नजर आता है क्योंकि सरकार साढ़े नौ साल बाद इसे लेकर आई है.
लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के प्रावधान वाले संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 पर राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए रंजन ने कहा कि 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र में महिला आरक्षण की बात की गई थी, लेकिन उसने इसे पेश करने में इतना लंबा समय लगा दिया. उन्होंने सवाल किया कि इस विधेयक के लिए संसद के विशेष सत्र की क्या जरूरत थी? उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद इस विधेयक के जरिए भी सुर्खियां बटोरना है.
रंजीत रंजन ने कहा, बिल के जरिए झुनझुना दिखा रही सरकार
रंजीत रंजन ने इस विधेयक को चुनावी एजेंडा करार देते हुए कहा कि क्या सरकार इसके जरिए झुनझुना दिखा रही है. रंजन ने कहा कि सरकार का इरादा परिसीमन के बाद सीटों की संख्या में वृद्धि कर आरक्षण मुहैया कराना है ताकि पुरुषों की सीटों की संख्या नहीं घटे. उन्होंने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछ़ड़ा वर्ग (ओबीसी) की महिलाओं को भी अधिकार दिए जाने की मांग की. कांग्रेस सांसद ने कहा कि राजनीति के दलदल में अकेली महिलाओं का उतरना कठिन होता है. ऐसे में उन्हें अधिकारसंपन्न बनाने की जरूरत है. विधेयक को नारी शक्ति वंदन अधिनियम कहे जाने का जिक्र करते हुए रंजन ने इस नाम पर आपत्ति जताई और कहा कि समानता महिलाओं का संवैधानिक अधिकार है और इसे दैविक या पूजा से जोड़ना उचित नहीं है.
कांग्रेस नेता बोले- बीजेपी सरकार की कथनी और करनी में अतंर
रंजीत रंजन ने कहा कि बीजेपी की सरकार भले ही महिलाओं के वंदन की बात करती है, लेकिन उसकी कथनी और करनी में भारी अंतर है. उन्होंने सवाल किया कि अगर सरकार को महिलाओं को उचित सम्मान ही देना था तो उसने नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर आदिवासी समाज से आने वालीं महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को क्यों नहीं आमंत्रित किया. उन्होंने कहा कि जंतर मंतर पर महिला पहलवानों के धरने का मामला हो या मणिपुर में महिलाओं के उत्पीड़न का मामला, सरकार के रुख को सबने देखा है.
रंजीत बोले- महिलाएं किसी दया की पात्र नहीं
रंजीत रंजन ने कहा कि जब सत्ता पाने की जरूरत होती है तो महिलाओं की वंदना की जाती है. रंजन ने कहा कि महिलाएं किसी दया की पात्र नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि महिलाओं के मामले में पुरुषों की मानसिकता दोहरी होती है और वे महिलाओं को सम्मान एवं समानता देने के समय अपना पल्ला झाड़ लेते हैं.
यह भी पढ़ें:-
7 बार जनगणना और सिर्फ 4 बार परिसीमन... महिला आरक्षण बिल से पहले क्यों जरूरी? जानें इसकी प्रक्रिया और नियम