जाकिर नाईक पर भारत की मांग के दबाव में नहीं आएगा मलेशिया: पीएम, महातिर मोहम्मद
न्यूज़ स्ट्रेट टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा कि उनकी सरकार हमेशा इस बात को तय करेगी कि वो इस तरह की किसी मांग पर प्रतिक्रिया देने से पहले सभी पहलुओं पर विचार करें, 'वरना किसी को नुकसान पहुंच सकता है.'
पुत्राजया (मलेशिया): मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा है कि वो भारत के विवादित मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाईक को आसानी से महज इसीलिए नहीं डिपोर्ट कर देंगे क्योंकि भारत ऐसा चाहता है. न्यूज़ स्ट्रेट टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, महातिर ने कहा कि उनकी सरकार हमेशा इस बात को तय करेगी कि वो इस तरह की किसी मांग पर प्रतिक्रिया देने से पहले सभी पहलुओं पर विचार करें, 'वरना किसी को नुकसान पहुंच सकता है.'
उन्होंने कहा, "हम आसानी से दूसरे की मांगों का पालन नहीं करते हैं. हमें अपना जवाब देने से पहले सभी पहलुओं को देखना चाहिए." प्रधानमंत्री से यह पूछा गया था कि क्या उनके गठबंधन की कुछ पार्टियां नाईक को भारत भेजना चाहती हैं. जाकिर फिलहाल में मलेशिया का स्थायी निवासी है. वो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी कनेक्शन के आरोपों में भारत सरकार के लिए वॉन्टेड हैं.
नईक को देश में रहने की है इजाज़त देश की डेमोक्रेटिक एक्शन पार्टी (डीएपी) के नेता रामासामी पलनीसामी ने कहा कि उन्हें भारत और मलेशिया के बीच किसी गुप्त समझौते का शक है. मोहम्मद ने बीते सप्ताह कहा था कि इस कथित धर्मगुरु को भारतीय अधिकारियों को नहीं सौंपा जाएगा क्योंकि उसे मलेशिया में स्थायी निवासी का दर्जा दिया गया है. उन्होंने कहा कि नाईक को तब तक मलेशिया में रहने की इजाजत होगी जब तक कि वो कोई समस्या नहीं खड़ी करता.
नईक ने मीडिया पर लगाए आरोप रिपोर्ट में कहा गया है कि कई समूहों को महातिर का फैसला सही नहीं लग रहा है. वो सरकार से नाईक को भारत को लौटा देने पर जोर दे रहे हैं. यह कहा जा रहा है कि भारत ने जाकिर को लौटाने का औपचारिक रूप से आग्रह किया है. भारत ने नाईक पर अपने नफरत वाले भाषणों से युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों के लिए उकसाने का आरोप लगाया है. आपको बता दें कि नाईक ने ये आरोप भी लगाया है कि भारतीय मीडिया बीते दो सालों से उसे बदनाम करने में लगा हुआ है.
नाईक पर कई मामले दर्ज हैं राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंकवाद और धनशोधन के अरोपों के तहत नाइक के खिलाफ जांच की थी. वो दो साल पहले जुलाई में भारत से चला गया था. एनआईए ने सबसे पहले 2016 में आतंकवाद निरोधी कानून के तहत अलग-अलग धार्मिक समूहों के बीच कथित रूप से दुश्मनी बढ़ाने के सिलसिले में एक मामला दर्ज किया था. बाद में एनआईए और मुंबई पुलिस ने नाइक के न्यास के कुछ पदाधिकारियों के आवासीय परिसर समेत मुंबई में 10 स्थानों पर छापे मारे थे.