नई दिल्ली: आज बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर राम नाथ कोविंद के नाम का एलान किया. कोविंद के नाम पर अब एनडीए में ही विरोध के सुर उठने लगे हैं.
अगर वोटबैंक के लिए दलित उम्मीदवार तो समर्थन नहीं
केंद्र और महाराष्ट्र में सराकर की सहयोगी शिवसेना ने एनडीए उम्मीदवार राम नाथ कोविंद के समर्थन से इनकार कर दिया है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, ''अगर कोई सिर्फ वोटबैंक के लिए दलित को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना रहा है तो हम उनके साथ नहीं हैं. मोहन भागवत हमारी पहली पसंद हैं अगर किसी को उनसे आपत्ति है तो हमने एमएस स्वामिनाथन का नाम भी सुझाया है.''
हम भी मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार हैं: उद्धव ठाकरे
इसके साथ ही महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस की बात का जवाब देते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम भी मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार हैं. इसके साथ ही उन्होंने मध्यावधि चुनाव की चुनौती भी दी.
दरअसल राज्य में कृषि संकट के मद्देनजर कर्ज माफी के लिए किसानों के आंदोलन की पृष्ठभूमि में राज्य में मध्यावधि चुनाव होने की अटकलें लगाई जा रही हैं. इसी पर दोनों दल एक दूसरे को मध्यावधि चुनाव की धमकी दे रहे हैं.
एनडीए की ओर से बिहार के राज्यपाल का नाम आया
एनडीए ने 72 साल के रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. राम नाथ कोविंद अभी बिहार के राज्यपाल हैं. कोविंद के नाम की घोषणा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने की. बीजेपी और एनडीए को उम्मीद है कि अनुसूचित जाति वर्ग से जुड़े होने के कारण कोविंद के नाम पर वो कांग्रेस सहित विपक्ष की सहमति भी हासिल करने में सफल रहेंगे.
कौन हैं रामनाथ कोविंद?
उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले रामनाथ कोविंद दलित समाज से आते हैं. रामनाथ कोविंद अभी बिहार के राज्यपाल हैं. रामनाथ कोविंद को वकालत का लंबा अनुभव है. वे सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में 16 साल तक वकालत कर चुके हैं.
राम नाथ कोविंद यूपी से दो बार साल 1994-2000 और साल 2000-2006 के दौरान राज्यसभा सांसद रह चुके हैं. वे बीजेपी के प्रवक्ता रह चुके हैं. इसके अलावा कोविंद 1998 से 2002 तक बीजेपी के दलित मोर्चा के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं.