एक्सप्लोरर

World AIDS Day: अभी भी AIDS दुनिया के लिए है बड़ी चुनौती, वर्ल्ड एड्स डे पर जानें हर बारीकी

HIV/AIDS: एड्स को लेकर लोगों में बहुत सारे भ्रम भी हैं. इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने के लिहाज से ये भी जरूरी है कि लोगों के मन जो भी गलत धारणाएं हैं, उन्हें दूर किया जाए.

World AIDS Day: दुनिया में अब तक 4 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान एचआईवी एड्स (HIV/AIDS) की वजह से गई है. बीमारी की खोज के 40 साल बाद भी एचआईवी एड्स दुनिया के सामने हेल्थ से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है.

वर्तमान में करीब 4 करोड़ लोग इस रोग से पीड़ित हैं. सिर्फ 2021 में ही 15 लाख लोग एचआईवी इंफेक्शन से ग्रसित हुए थे. इतना ही नहीं इस बीमारी ने 2021 में साढ़े 6 लाख लोगों की जानें ले ली थी. 1981 में इस बीमारी की खोज के बाद से अब तक एड्स वायरस से 8 करोड़ 42 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. वर्तमान में एचआईवी संक्रमण के दो तिहाई मामले सिर्फ अफ्रीकी देशों में है. ये आंकड़े एचआईवी एड्स की गंभीरता को बताने के लिए काफी है.

एड्स का पूरी तरह से इलाज नहीं 

सबसे बड़ी समस्या ये है कि इतने सालों बाद भी इस बीमारी का पूरी तरह से इलाज नहीं मिल पाया है. हालांकि एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी के जरिए वायरस को फैलने से रोका जा सकता है और एचआईवी संक्रमित व्यक्ति लंबे वक्त तक जिंदा रह सकता है. 2021 में 2 करोड़ 87 लाख लोग एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी का उपयोग कर रहे थे. इससे संक्रमित एक बड़ी संख्या को अभी भी एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी नहीं मिल पा रहा है. बचाव ही इस बीमारी का एकमात्र इलाज है. 

एक दिसंबर को मनाया जाता है वर्ल्ड एड्स डे

एड्स की गंभीरता को देखते हुए हर साल एक दिसंबर को दुनियाभर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO की पहल पर 1988 से विश्व एड्स दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी. इस साल करीब डेढ़ लाख लोग HIV पॉजिटिव पाए गए थे. पहली बार 1987 में एड्स से जुड़े वैश्विक कार्यक्रम के लिए काम कर रहे सार्वजनिक सूचना अधिकारियों जेम्स डब्ल्यू. बन और थॉमस नेटर ने उस वक्त के WHO के ग्लोबल प्रोग्राम ऑन एड्स के डायरेक्टर जोनाथन मान को विश्व एड्स दिवस मनाने का सुझाव दिया. बन और नेटर WHO में एड्स पर ग्लोबल कार्यक्रम के लिए अधिकारी के तौर पर स्विट्जरलैंड के जेनेवा में काम कर रहे थे. जोनाथन को World AIDS Day मनाने का विचार पसंद आया. उन्होंने एक दिसंबर 1988 को विश्व एड्स दिवस मनाने के लिए चुना. उसके बाद से हर साल इस दिन World AIDS Day मनाया जाता है. 
 
जागरुकता फैलाना है World AIDS Day का मकसद 

जब पहली बार अमेरिका में 1981 में एड्स बीमारी की पहचान हुई, उसके बाद से ये बीमारी बहुत तेजी से दुनिया के कोने-कोने में पहुंचने लगी. एड्स का कोई इलाज नहीं होने और बीमारी के घातक होने की वजह से सिर्फ बचाव ही एकमात्र जरिया था, जिससे लोग एचआईवी संक्रमण से बच सकते थे. उस वक्त HIV पॉजिटिव होने का मतलब ही था कि संक्रमित व्यक्ति की कुछ दिनों में मौत हो जाना. HIV संक्रमण को रोकने के लिए सिर्फ एक ही उपाय था. लोग इस बीमारी के बारे में जागरुक हों. एड्स वायरस फैलता कैसे है, इससे किन तरीकों से बचा जा सकता है, इसको लेकर लोगों में जागरुकता बढ़े. इसी मकसद से हर साल एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. 

संक्रमित लोगों के प्रति संवेदनशील बनें लोग

इस दिवस को मनाने का एक और मकसद है. वो मकसद है HIV संक्रमित लोगों के प्रति होने वाले भेदभाव को रोका जा सके. पहले एड्स बीमारी से ग्रसित लोगों को लोग अछूत समझते थे. समाज के इसी नजरिए की वजह से लोग HIV संक्रमण का टेस्ट कराने से भी हिचकिचाते थे. टेस्ट में पॉजिटिव आने पर परिवार, रिश्तेदार या दोस्तों को बताने में भी उन्हें शर्म महसूस होती थी. विश्व एड्स दिवस का मकसद पीड़ित लोगों को लेकर समाज को संवेदनशील बनाना भी है. साथ ही इस वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए धनराशि की व्यवस्था करना भी इस दिवस के उद्देश्यों में शामिल है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि World AIDS Day एचआईवी/एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने और महामारी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता दिखाने के लिए दुनिया भर के लोगों को एक साथ लाता है. इससे एचआईवी/एड्स की रोकथाम, उपचार और देखभाल में क्या प्रगति हो रही है, इसे भी प्रोत्साहन मिलता है. World AIDS Day दुनियाभर में मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य दिवसों में से सबसे महत्वपूर्ण बन गया है.

विश्व एड्स दिवस की थीम

हर साल विश्व एड्स दिवस के लिए एक थीम निश्चित किया जाता है. World AIDS Day 2022 की थीम 'Equalize' है. इस थीम के मुताबिक समाज में फैली असमानताओं को दूर कर एड्स बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए सभी लोग बढ-चढ़कर आगे आएं.  

जागरुकता से HIV संक्रमण में हो रही है कमी

2021 में 3 करोड़ 84 लाख लोग HIV का दंश झेल रहे थे. हैरान करने वाली बात है कि इनमें 54 फीसदी महिलाएं हैं. 15 से 24 साल की महिलाओं में HIV संक्रमण का प्रसार ज्यादा हो रहा है. हर हफ्ते 15 से 24 साल की करीब 5 हजार महिलाएं एचआईवी से संक्रमित हो जाती हैं. अभी भी संक्रमित लोगों में सिर्फ 85 प्रतिशत लोगों को अपने संक्रमण के बारे में जानकारी है. दुनिया में 59 लाख लोग ऐसे भी है, जिन्हें अपने संक्रमण के बारे में जानकारी ही नहीं है.

विश्व एड्स दिवस से फैली जागरुकता और तमाम सरकारी प्रयासों की वजह से एड्स के प्रसार पर अंकुश लगाने में सफलता भी मिली है. 1996 में HIV संक्रमण अपने पीक पर था. उस समय से अभी HIV संक्रमण में 54 फीसदी की कमी आई है. एड्स से होने वाली मौत के मामलों में भी कमी हुई है. 2004 में एड्स से सबसे ज्यादा मौत हुई थी. अब इसमें 68 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. 2004 में एड्स से 20 लाख लोगों की मौत हुई थी. वहीं 2021 में करीब साढ़े 6 लाख लोगों की जानें गई.

एड्स को लेकर क्या है भारत की स्थिति 

भारत की भी एक बड़ी आबादी एड्स की भयानक बीमारी को झेल रही है. भारत में HIV का पहला मामला 1986 में सामने आया था. इसके बाद देशभर में ये संक्रमण तेजी से फैला. इस चुनौती से निपटने के लिए भारत सरकार ने 1992 में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) की शुरुआत की.  इस कार्यक्रम की वजह से ही 2012 में देश के युवाओं में वार्षिक आधार पर एड्स के नए मामलों में 57% की कमी आई. देश में अभी भी 15 से 49 वर्ष के करीब 25 लाख लोग एड्स से पीड़ित हैं. भारत को इस बीमारी से पूरी तरह मुक्त होने में अभी लंबा वक्त लगेगा. 

एड्स बीमारी से लड़ने में UNAIDS की भूमिका

वैश्विक स्तर पर इस बीमारी से लड़ने के लिए संयुक्त राष्ट्र का कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसे एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम यानी UNAIDS के नाम से जाना जाता है. इस कार्यक्रम का मकसद 2030 तक इस बीमारी का पूरी तरह से उन्मूलन कर देना है. 1996 में इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी. UNAIDS ही एड्स को खत्म करने के लिए दुनियाभर के अभियानों की अगुवाई कर रहा है. अपनी शुरुआत के समय से ही UNAIDS एड्स बीमारी के पूरी तरह उन्मूलन के लिए वैश्विक, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय नेतृत्व के बीच समन्वय का काम करता है. इसके 70 देशों में दफ्तर हैं और इसमें काम करने वालों में से 70 फीसदी कर्मचारी सीधे फील्ड में जाकर एड्स बीमारी के खिलाफ जंग लड़ते हैं. 

क्या है एचआईवी संक्रमण

HIV यानी Human Immunodeficiency Virus एक प्रकार का रेट्रोवायरस है. ये सीधे व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है. शरीर में प्रवेश करने के बाद HIV की संख्या बढ़ती जाती है और कुछ ही समय में वो हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है. एक बार ये वायरस शरीर में घुस जाता है तो उसे पूरी तरह से खत्म करना नामुमकिन है. ये वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में CD4 नामक के श्वेत रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है.

ये कोशिकाएं ही हमारे शरीर में होने वाली गड़बड़ियों का पता लगाती हैं. शरीर में घुसने के कुछ समय बाद ही एचआईवी CD4 कोशिकाओं को नष्ट कर देता है. इससे हमारा इम्यून सिस्टम बेहद कमजोर हो जाता है. इम्यून सिस्टम कमजोर होते ही उस शख्स में किसी भी बीमारी से लड़ने की ताकत बेहद कम हो जाती है और वो मामूली चोट या बीमारी से उबरने में भी असमर्थ हो जाता है.

HIV-AIDS का प्रसार कैसे होता है ?

HIV-AIDS छूने से नहीं होता है. इसके प्रसार का सबसे मुख्य वजह असुरक्षित यौन संबध है. संक्रमित खून के संपर्क में आने से भी ये बीमारी हो जाती है. इंजेक्शन देने के लिए एक ही सिरिंज का दोबारा इस्तेमाल भी इसके संक्रमण के लिए कारण है. HIV पॉजिटिव महिला के बच्चे में भी इसका संक्रमण हो सकता है. ब्लड डोनेट करने से ये बीमारी नहीं होती है. 

ये भी पढ़ें: West Bengal Districts: 75 साल में बने हैं सिर्फ 9 नए जिले, क्यों इसमें पीछे है पश्चिम बंगाल, जिले और आबादी के गणित को जानें विस्तार से

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

‘हिंदुओं पर जो उंगली उठाएगा उसका काम तमाम हो जाएगा’, सनातन धर्म संसद में बोले बीजेपी विधायक टी राजा
‘हिंदुओं पर जो उंगली उठाएगा उसका काम तमाम हो जाएगा’, सनातन धर्म संसद में बोले बीजेपी विधायक टी राजा
'बीजेपी शासित राज्य दिल्ली में डीजल बसें भेजकर बढ़ा रहे प्रदूषण', गोपाल राय ने लगाया आरोप
'बीजेपी शासित राज्य दिल्ली में डीजल बसें भेजकर बढ़ा रहे प्रदूषण', गोपाल राय ने लगाया आरोप
200 करोड़ी फिल्म दे चुकी है तस्वीर में दिख रही ये बच्ची, खूब मचा था बवाल, पहचाना?
200 करोड़ी फिल्म दे चुकी है तस्वीर में दिख रही ये बच्ची, खूब मचा था बवाल
Gautam Gambhir: 'भारतीय टीम के लिए सही फिट नहीं...' पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने कोच गौतम गंभीर पर साधा निशाना
'भारतीय टीम के लिए सही फिट नहीं...' पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने गंभीर पर साधा निशाना
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Maharashtra Elections 2024: महाराष्ट्र चुनाव में वोट जिहाद वाली बात में कितनी सच्चाई? | ABP NewsMaharashtra Elections 2024: महाराष्ट्र चुनाव में वोटर धर्म और मजहब में बंटकर करेंगे मतदान? | ABPSandeep Chaudhary: Maharashtra का चुनावी हल्ला...हिंदू-मुस्लिम खुल्लम खुल्ला? | ABP NewsSandeep Chaudhary: Maharashtra में BJP को लेकर Abhay Dubey का विश्लेषण | ABP News

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
‘हिंदुओं पर जो उंगली उठाएगा उसका काम तमाम हो जाएगा’, सनातन धर्म संसद में बोले बीजेपी विधायक टी राजा
‘हिंदुओं पर जो उंगली उठाएगा उसका काम तमाम हो जाएगा’, सनातन धर्म संसद में बोले बीजेपी विधायक टी राजा
'बीजेपी शासित राज्य दिल्ली में डीजल बसें भेजकर बढ़ा रहे प्रदूषण', गोपाल राय ने लगाया आरोप
'बीजेपी शासित राज्य दिल्ली में डीजल बसें भेजकर बढ़ा रहे प्रदूषण', गोपाल राय ने लगाया आरोप
200 करोड़ी फिल्म दे चुकी है तस्वीर में दिख रही ये बच्ची, खूब मचा था बवाल, पहचाना?
200 करोड़ी फिल्म दे चुकी है तस्वीर में दिख रही ये बच्ची, खूब मचा था बवाल
Gautam Gambhir: 'भारतीय टीम के लिए सही फिट नहीं...' पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने कोच गौतम गंभीर पर साधा निशाना
'भारतीय टीम के लिए सही फिट नहीं...' पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने गंभीर पर साधा निशाना
इन 8 जरूरी बातों का रखें ख्याल, कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट लेना हो जाएगा बेहद आसान
इन 8 जरूरी बातों का रखें ख्याल, कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट लेना हो जाएगा बेहद आसान
अमेरिकी चुनाव में ट्रंप को कैसे मिला हिंदुओं का वोट? बाइडेन की इन 'गलतियों' का कमला हैरिस को भुगतना पड़ा खामियाजा
अमेरिकी चुनाव में ट्रंप को कैसे मिला हिंदुओं का वोट? बाइडेन की इन 'गलतियों' का कमला हैरिस को भुगतना पड़ा खामियाजा
'ये हमारी एकता...', CM योगी के 'बंटेंगे को कटेंगे' वाले नारे पर बोलीं कंगना रनौत
'ये नारा हमारी एकता', CM योगी के 'बंटेंगे को कटेंगे' वाले नारे पर बोलीं कंगना रनौत
क्यों दुनिया की सबसे बुद्धिमान प्राणी कहलाती है छोटी सी मधुमक्खी? जानिये इनमें क्या होता है खास
क्यों दुनिया की सबसे बुद्धिमान प्राणी कहलाती है छोटी सी मधुमक्खी? जानिये इनमें क्या होता है खास
Embed widget