World Bank Report On Air Pollution: विश्व बैंक की पिछले हफ्ते जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के सबसे खराब वायु प्रदूषण (Air Pollution) वाले 10 शहरों में से नौ दक्षिण एशिया (South Asia) में स्थित हैं. "स्ट्राइविंग फॉर क्लीन एयर: एयर पॉल्यूशन एंड पब्लिक हेल्थ इन साउथ एशिया" टाइटल वाली रिपोर्ट 14 दिसंबर को जारी की गई थी. विश्व बैंक ने कहा कि वायु प्रदूषण से हर साल इस क्षेत्र में अनुमानित 20 लाख अकाल मौतें होती हैं.


इंटरनेशनल फाइनेंशियल एक्टिविस्ट्स ने कहा, "बड़े उद्योग, बिजली संयंत्र और वाहन दुनिया भर में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं, लेकिन दक्षिण एशिया में अन्य स्रोत महत्वपूर्ण अतिरिक्त योगदान देते हैं. उन्होंने कहा कि इनमें खाना पकाने और गर्म करने के लिए ठोस ईंधन का दहन, ईंट भट्टों जैसे छोटे उद्योगों से उत्सर्जन, नगरपालिका और कृषि से जुड़े कचरे को जलाना और दाह संस्कार शामिल हैं.


वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में किए गए दावे?


वर्ल्ड बैंक ने दक्षिण एशिया में प्रदूषण के हालात को लेकर अपनी रिपोर्ट कई महत्वपूर्ण दावे किए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में लगभग 60 फीसदी आबादी उन इलाकों में रहती है जहां PM2.5 का कॉन्सेंट्रशन विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतरिम टारगेट लेवल 35 μg/m³ से ज्यादा है. इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही सभी तकनीकी उपायों को पूरी तरह से लागू किया गया हो, फिर भी दक्षिण एशिया के हिस्से 2030 तक डब्ल्यूएचओ के अंतरिम लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम नहीं होंगे. इसके पीछे वहां हवा की गुणवत्ता को बताया गया है. 


विश्व बैंक ने कहा कि हालांकि, वायु प्रदूषण दक्षिण एशिया में लंबे समय तक रह सकता है, लेकिन यह इलाके में समान रूप से नहीं फैलता है, बल्कि जलवायु विज्ञान और भूगोल के परिणामस्वरूप बनने वाले बड़े "एयरशेड" में फंस जाता है. रिपोर्ट के अनुसार, इस इलाके में पश्चिम/मध्य भारत-गंगा का मैदान, मध्य/पूर्वी भारत-गंगा का मैदान, ओडिशा और छत्तीसगढ़, पूर्वी गुजरात और पश्चिमी महाराष्ट्र, उत्तरी/मध्य सिंधु नदी का मैदान और दक्षिणी सिंधु मैदान छह ऐसे एयरशेड हैं. 


रिपोर्ट में क्या सुझाव दिया गया?


रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्थिति से निपटने के लिए सबसे ज्यादा प्रभावी उपाय एयरशेड के बीच पूर्ण समन्वय की जरुरत है. इस प्रयास से दक्षिण एशिया में PM 2.5 के औसत जोखिम को घटाकर 30 µg/m³ कर देगा और इसमें 278 मिलियन डॉलर प्रति माइक्रोग्राम/mᶾ की लागत आएगी. इससे हर साल 750,000 से ज्यादा लोगों की जान बचाने में मदद मिलेगी. 


भारत का दिया हवाला


विश्व बैंक ने कहा कि भारत के हालिया सबूत बताते हैं कि इकोसिस्टम सर्विस के भुगतान के रूप में केश ट्रांसफर से एग्रीकल्चर बर्निंग को 80 फीसदी तक कम किया जा सकता है. रिपोर्ट में स्वच्छ चूल्हों का इस्तेमाल करने और उर्वरकों के लिए सब्सिडी पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है. 


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