World Bicycle Day: दिल्ली के रहने वाले 10 साल के आरव ने अपने पिता अतुल भारद्वाज (Atul Bhardwaj) के साथ मणिपुर से दिल्ली (Manipur-Delhi) की दूरी साइकिल से पूरी कर दी. ये दूरी 2500 किमी की है. आज वर्ल्ड बाइसाइकल डे (World Bicycle Day) है. दिल्ली के ध्यानचंद स्टेडियम (Dhyan Chand Stadium) में ये पिता पुत्र की जोडी भी आई हुई थी. इस दौरान एबीपी न्यूज ने उन दोनों से इस शानदार यात्रा के बारे में विस्तार से बात की.
10 साल के आरव ने बताया कि मैने INA मेमोरियल मोईरांग (मणिपुर) से 14 अप्रैल को यात्रा शुरू की थी और नेशनल वॉर मेमोरियल, नई दिल्ली में 15 मई को यात्रा खत्म की. आरव ने कहा कि ये यात्रा मैने आजादी के 75वें साल और नेता जी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के लिए की है.
रास्ते में हुईं किस तरह की कठिनाइयां ?
इस यात्रा के दौरान आरव को किस तरह की परेशानी हुई, इस बात पर आरव बताते हैं कि कभी-कभी गर्मी होती थी तो कभी बारिश. कभी हमें पहाड़ पर चलना पड़ता था, इस पर मैने अच्छे से प्रैक्टिस की, इसलिए मैं ये कर पाया. आरव ने आगे कहा कि उन्होंने ये यात्रा 32 दिनों में पूरी की. इस दौरान उनके पिता अतुल भारद्वाज भी साथ में मौजूद रहे. अतुल पेशे से डॉक्टर हैं. डॉक्टर अतुल भारद्वाज कहते हैं कि ये प्लान मेरे बेटे और मेरे पिताजी का था.
कितने दिन की प्रैक्टिस ?
उन्होंने कहा कि जब हमारे पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम वाली स्टैचू का नेशनल वॉर मेमोरियल पर अनावरण किया था तभी इन्होंने (आरव और अतुल के पिता ने) जनवरी के आखिरी हफ्ते में प्लान बनाया था. डॉ अतुल बताते हैं कि हमने इसकी ट्रेनिंग फरवरी में स्टॉर्ट की. हमारे पास प्रैक्टिस करने के लिए सिर्फ 2 महीने थे. जैसे कई बच्चा मोहल्ले में डेढ़ से 2 घंटे साइकिल चलाता है वैसे ही आरव भी मोहल्ले में साइकिल चलाता था.
डॉ अतुल ने कहा कि मैंने फिर आरव की प्रैक्टिस प्रैक्टिस कराई. रोड पर ट्रैफिक सेंस कराया. हमने 1 हफ्ते तक 25 किमी तय किए. डॉ अतुल बताते हैं कि इसके साथ ही जो आखिरी हफ्ते की ट्रेनिंग थी वो 80 किमी प्रति दिन की थी. हम रोड पर प्रैक्टिस करते थे. जब हमें लगा कि हम ये कर सकते हैं तो हमने अपना प्लान एक्जीक्यूट किया.
लोकल लोगों का सहयोग मिला
इस 25 सौ किमी की यात्रा में किस तरह की परेशानी आयी इस पर डॉ अतुल ने बताया कि शुरू में पहाड़ी एरिया था. फिर बारिश और गर्मी बढ़ गयी लेकिन रास्ते में जो लोग मिले उन्होंने आपको बहुत प्यार दिया. वहां जो लोग मिले, रास्ते में मिले उन्होंने हमें बहुत प्यार दिया.
जब उनको पता चला कि हमारी यात्रा का मोटिव क्या है तो वो बहुत खुश हुए. हमारी यात्रा को फ्लैग ऑफ मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने किया और फिर यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने भी बीच में फ्लैग ऑफ किया. और आखिर में दिल्ली में नेशनल वॉर मेमोरियल के डायरेक्टर कर्नल आकाश ने आरव को इंडियन आर्म्ड फोर्सेज मेडल देकर नेशनल वॉर मेमोरियल पर फेसिलिटेट किया.
भविष्य के बारे में क्या बोले आरव?
अपने भविष्य के बारे में पूछे जाने पर आरव कहते हैं कि वो आर्मी में जाना चाहते हैं इसके साथ ही आरव कहते हैं कि कि वो ट्राई करेंगे कि बाइसाइकल के साथ आर्मी में भी रहें. उन्होंने कहा कि मैं ट्राई करूंगा कि मैं दोनों में ही इन्वाल्व रहूं. वहीं आरव के पिता का कहना था कि उनका बेटा जो भी करना चाहे वो उसमें सहयोग करेंगे. उन्होंने कहा कि अगर वो चाहता है कि वो डिफेंस फोर्स में जाए तो मैं जरूर सपोर्ट करूंगा. दूसरा उसका सपना है कि इस उम्र में उसने जो स्टेमिना बनाया है वो इसे बरकरार रखे और ओलंपिक में जाए.