World Book Fair 2024: विश्व पुस्तक मेले में पाठकों की उमड़ी भीड़, लोगों ने कहा- किताबें खरीदकर पढ़ने वाली ये आखिरी पीढ़ी है
World Book Fair 2024: विश्व पुस्तक मेला पहुंचने के लिए आपको प्रगती मैदान मैट्रो स्टेशन पहुंचना होगा जिसका नाम अब सुप्रीम कोर्ट मैट्रो हो चुका है.
World Book Fair 2024: विदेश से आए प्रकाशकों और प्रख्यात वैश्विक मेलों के निदेशकों ने नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले की सफलता को करीब से समझा। दुनियाभर के प्रकाशकों, लेखकों और मेलों के आयोजनकर्ताओं ने नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के तीसरे दिन आपसी विचार-विमर्श करने के लिए नई दिल्ली राइट्स टेबल 2024 में हिस्सा लिया।
किताब और किताब प्रेमियों का जलसा देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर देखने को मिल रही है. दुनियाभर के प्रकाशकों, लेखकों और किताब प्रेमियों का ये जलसा लगा है विश्व पुस्तक मेले में जो 10 से 18 फरवरी तक चलेगी. इस बार विश्व पुस्तक मेले का थीम- 'बहुभाषी भारत एख जीवंत परंपरा' है. शनिवार को विश्व पुस्तक मेले का आयोजन केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की थी.
कैसे पहुंचे विश्व पुस्तक मेले में
विश्व पुस्तक मेला पहुंचने के लिए आपको प्रगती मैदान मैट्रो स्टेशन पहुंचना होगा जिसका नाम अब सुप्रीम कोर्ट मैट्रो हो चुका है. यहां आपको मैट्रो स्टेशन पर ही पुस्तक मेले के लिए टिकट मिल जाएगा. बच्चों के लिए 10 रुपये और 18 साल की उम्र से बड़ों के लिए 20 रुपये टिकट का दाम है.
प्रवेश द्वार 4, 6 और 10 से लोग मेले में जा सकते हैं. वहीं दिव्यांगों के लिए प्रवेश द्वार 6 और 8 पर व्हिलचेयर मौजूद है.
कैसा है लोगों का जोश
एबीपी न्यूज़ की टीम जब पुस्तक मेले में पहुंची और लोगों से बात की. हर उम्र के पाठकों का जोश देखने लायक था. एक शख्स जो परिवार के साथ मेले में आए थे उन्होंने किताबों को लेकर अपनी दीवानगी को जाहिर करते हुए कहा-''अब धीरे धीरे पुस्तकें हमारी जिंदगी से लापता होती जा रही हैं ऐसे में मैं अपने बच्चों को वो दुनिया दिखाने लाया हूं जो हमारी जनरेशन का सबसे खूबसूरत हिस्सा है.
वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र रोहित ने अपनी किताबों के प्रति प्रेम को जाहिर करते हुए कहा कि मुझे सालभर विश्व पुस्तक मेले का इंतजार रहता है. यहां एक ही जगह मुझे सारी किताबें मिल जाती हैं. मै हिन्दी साहित्य का स्टूडेंट हूं तो मुझे यहां नाटक, कहानियां और कविता, आलोचना सभी किताबें एक साथ खरीदने को मिलती है.'
आगरा से दिल्ली खास विश्व पुस्तक मेले में शरीक होने आए 58 वर्षिय राजेंद्र जी ने कहा,'' किताबों का शौक मुझे बचपन से है. मैं हर साल आगरा से दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के लिए आता हूं. मेरे बच्चों को किताबों से उतना लगाव नहीं लेकिन मैं और मेरी पत्नी पढ़ती है. मैंने इस बार भी लगभग अपनी पसंद की 5000 की किताबें खरीदी हैं. मुझे लगता है अब आने वाली पीढ़ी किताब खरीदकर शायद ही पढ़ेगी.''