World Cancer Day: अच्छा स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नहीं है. बड़े बुजुर्गों से सुना करते थे कि तंदरूस्ती हजार नियामत है, लेकिन पिछले दो बरस से दुनिया में बीमारी के अलावा और किसी बात पर चर्चा नहीं हो रही. तंदरूस्ती तो छोड़िए, जिंदा रहना ही सबसे बड़ी उपलब्धि है, ऐसे में अगर किसी को कैंसर जैसी नामुराद बीमारी हो तो उसके लिए जिंदगी की डोर को थामे रखना और भी मुश्किल हो जाता है. हाल के एक शोध से पता चला है कि अन्य प्रकार के कैंसर की तुलना में ब्लड कैंसर (Blood Cancer) के रोगियों को कोविड-19 (Covid-19) की चपेट में आने का जोखिम 57 फीसदी तक ज्यादा होता है. राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार सॉलिड ट्यूमर वाले कैंसर रोगियों की तुलना में ब्लड कैंसर वाले लोगों को लंबे समय तक संक्रमण और कोविड-19 से मृत्यु का अधिक जोखिम हो सकता है.
ब्लड कैंसर के मरीजों को कोरोना संक्रमण का अधिक खतरा
शोध के मुताबिक ब्लड कैंसर (Blood Cancer) के रोगियों में अन्य प्रकार के कैंसर वाले रोगियों की तुलना में कोविड-19 का जोखिम 57 फीसदी अधिक था. इसमें भी ब्लड कैंसर या ल्युकेमिया, मॉयलोमा के रोगी सर्वाधिक चपेट में आ रहे हैं. महामारी के इस दौर में यूं तो सभी मुश्किल में हैं, लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कतें कैंसर के मरीजों को हो रही हैं. यही नहीं कोरोना के कारण कैंसर पीड़ितों के इलाज और उनके देखभाल में भी काफी बदलाव आया है. इस बाबत डॉ. राजित चानना, सलाहकार, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, दिल्ली ने कहा कि कैंसर पीड़ित के साथ ही उनकी देखभाल करने वालों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है ताकि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके. इस संबंध में अमेरिका के न्यूयार्क स्थित मोंडफोर मेडिकल सेंटर में विषाणु विज्ञानियों का कैंसर मरीजों पर किया गया शोध काबिलेगौर है.
कैंसर के मरीज बरतें विशेष सावधानी
अध्ययन में नमूने के तौर पर कोरोना संक्रमित 218 कैंसर मरीजों को गहन निगरानी में रखा गया. अध्ययन के दौरान 20 दिन में ही 61 मरीजों की संक्रमण से मौत हो गई. यह आंकड़ा अध्ययन में शामिल कोरोना संक्रमित कैंसर मरीजों का 28 फीसदी है जबकि इस दौरान अमेरिका में कोरोना से मौत की दर 5.8 फीसदी ही थी. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में प्रिवेंटिव ऑन्कोलॉजी विभाग की शुरूआत करने वाले डा. अभिषेक शंकर का कहना है कि कैंसर के मरीजों को कोविड के संदर्भ में डरने या परेशान होने की बजाय अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है. कीमोथैरेपी (Chemotherapy) और रेडियोथैरेपी जैसी उपचार पद्धतियों पर चल रहे मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है और ऐसे में डाक्टर और मरीज दोनों के लिए एहतियात और हिदायतें बढ़ जाती हैं.
ये भी पढ़ें:
Watch: दिल्ली-एनसीआर में बदलते मौसम ने बढ़ाई ठंड, बारिश से मिल सकती है प्रदूषण में राहत
कीमोथेरेपी वाले मरीज रहें सावधान
कैंसर के मरीजों के लिए उनकी सलाह है कि कोविड से संबंधित नियमों का पूरी तरह से पालन करें और किसी भी तरह की असहजता होने पर चिकित्सक से परामर्श लें. संक्रमण के डर से अस्पताल न जाने से जोखिम बढ़ सकता है, ऐसे में जरूरी है कि कोविड के लिए निर्धारित तमाम सावधानियों का पालन करते हुए अस्पताल जरूर जाएं और इलाज समय पर पूरा करें. अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक ऐसे लोग जिनका पहले कैंसर से उपचार यानी कीमोथेरेपी आदि हुए हैं उन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. डॉ इंदु बंसल, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम के अनुसार 'कैंसर के रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है इसलिए इन्हें ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है. डॉ. जे बी शर्मा, एचओडी और वरिष्ठ सलाहकार, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, एक्शन कैंसर अस्पताल दिल्ली ने कहा कि दरअसल कीमोथेरेपी जैसे उपचार के बाद प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है.
डॉक्टर की सलाह से कैंसर के मरीज भी लें कोरोना का टीका
कीमोथेरेपी (Chemotherapy) के कारण शरीर में ह्वाइट ब्लड सेल्स (WBC) यानी श्वेत रुधिर कणिकाओं का बनना कम हो जाता है, जो शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली का प्रमुख अंग होती हैं. एक अहम बात और कि कुछ लोग इस बात को लेकर असमंजस या भ्रम में हैं कि ब्लड कैंसर या अन्य कैंसर के पीड़ितों को कोरोना रोधी टीका लगवाना चाहिए या नहीं. डॉक्टरों के मुताबिक टीका हर हाल में शरीर को सुरक्षा ही प्रदान करता है, ऐसे में अपने डॉक्टर की सलाह से टीका लगवाने के प्रति कोई शंका नहीं होनी चाहिए. विशेषज्ञों का मानना है कि अब हमें इस बीमारी के साथ जीने की आदत डाल लेनी होगी, लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी है, जीने का जज्बा बनाए रखना. बीमारी कोई भी हो अगर यह याद रखें कि इस बीमारी से लड़ने वाले आप अकेले नहीं हैं, और इलाज संभव है तो डर कुछ कम जरूर हो जाएगा.
ये भी पढ़ें: