COP-28 Summit In India: आगामी 30 नवंबर और 1 दिसंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुबई के दो दिवसीय दौरे पर जा रहे हैं. मौका है वर्ल्ड क्लाइमेट एक्शन समिट की सालाना बैठक का जहां दुनिया के कई विकसित और विकासशील देशों के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा लेंगे. इस सम्मेलन का उद्देश्य कॉर्बन उत्सर्जन को कम करने और मौसम संबंधी घटनाओं से निपटने में विकासशील देशों का समर्थन करने पर केंद्रित होगा.
हालांकि इस समिट से पहले आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने एक नई रिपोर्ट प्रकाशित की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते सालों में हुए इन शिखर सम्मेलन में किए गये वादे पूरे नहीं हुए हैं, इसमें सबसे अहम वादा यह कि सभी विकसित देश पर्यावरण को बचाने के लिए सभी विकासशील देशों को $100 बिलियन देने का वादा किया था जोकि पूरा नहीं हुआ.
विकसित देशों ने कितने रुपये जुटाए?
विकसित देशों ने विकासशील देशों को देने के लिए सिर्फ 89.6 बिलियन डॉलर जुटाए. ओईसीडी इसलिए भी अहम है क्योंकि मुख्य रूप से यह अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, कनाडा और अन्य समृद्ध देशों का एक समूह है. इस रिपोर्ट के बाद ऐसा माना जा रहा है कि दुबई में होने वाली इस बैठक का अहम विषय इस वादे को पूरा नहीं किए जाने को लेकर होगा.
यह रिपोर्ट 2020 में ग्लासगो समिट के बारे में भी बताती है जहां पर इन विकसित देशों ने विकासशील देशों को 100 अरब डॉलर दिए थे. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन यूएनएफसीसीसी के दलों ने भी ग्लासगो में गहरे अफसोस के साथ कहा था कि विकसित देशों का समूह 2020 में तय समय में 100 अरब डॉलर के जलवायु परिवर्तन के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया था.
विकासीशील देशों ने कितने रुपये दिए?
ओईसीडी रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में सार्वजनिक क्षेत्र ने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय चैनलों के माध्यम से जुटाए गए 73.1 बिलियन डॉलर में से 49.6 बिलियन डॉलर कर्ज के रूप में दिए गए थे. हालांकि रिपोर्ट के आधार पर साझा की जाने वाली रिपोर्ट की मानें तो पर्यावरण की सारी चितांए जलवायु बचाए जाने के ऊपर निर्भर हैं.
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