विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है. हम जिस पर्यावरण में रहते हैं उसकी रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है, क्योंकि ये ना सिर्फ हमें स्वस्थ रखता है बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए भी बहुत जरूरी है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक भारत हर साल 33 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक उत्पन्न करता है. इसे नियंत्रित करना हर भारतीय की जिम्मेदारी है. देश में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास भी कर रही है. इसी तरह कई निजी कंपनियां भी कचरे की रीसाइक्लिंग कर उसे काम में ला रही हैं. एक इंटरव्यू में ग्लोबल बिजनेस डायरेक्टर रिचर्ड मॉरिस जो कि कार्पेट इंटर के मालिक हैं उन्होंने वो प्लास्टिक को रिसाइकल करके कार्पेट बनाते हैं. कार्पेट इंटर थाईलैंड में स्थित सभी प्रकार के कालीनों का एक विविध अंतरराष्ट्रीय निर्माता है और टीसीएम कॉर्पोरेशन पब्लिक कंपनी लिमिटेड के तहत थाईलैंड के स्टॉक एक्सचेंज में सार्वजनिक रूप से कारोबार करता है. रिचर्ड ने कहा कि 'हम कालीन बनाते हैं जो हमारे ग्राहकों के लिए सुंदरता और दक्षता प्रदान करती है, हमारी प्रतिबद्धता पर्यावरण की रक्षा करते हुए लोगों तक अच्छी कालीन पहुंचाना है'.
प्लास्टिक को रिसाइकिल करती है कार्पेट इंटर कंपनी
रिचर्ड ने बताया कि साल 2004 के बाद से कार्पेट इंटर ने भारी तादाद में इस्तेमाल की गई प्लास्टिक की बोतलों का पुनर्नवीनीकरण किया है, जिससे हानिकारक प्रदूषण को रोका जा सकता है. साथ ही बताया कि वो जैविक कृषि उर्वरक के प्रमुख थाई ब्रांड के सहयोग से पानी और मानव अपशिष्ट को जमा कर उसका फिर से उपयोग करते हैं.
हानिकारक कीटनाशकों से मुक्त है जैविक उर्वरक
रिचर्ड ने कहा कि जैविक उर्वरक हानिकारक कीटनाशकों से मुक्त है और थाई किसान समुदाय को एक लागत प्रभावी विकल्प प्रदान करता है. अनन्नास, गन्ना, कसावा और व्यवस्थित वृक्षारोपण जैसे हजारों एकड़ फसल की उपजाऊ वृद्धि में योगदान देता है.
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