नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) ने कोरोना वायरस के स्रोत की पड़ताल करने और इस वायरल संक्रमण के दौरान डब्ल्यूएचओ के कामकाज का स्वतंत्र-निष्पक्ष आकलन किए जाने को सर्वसम्मित से मंजूरी दे दी. स्विट्जरलैंड के जिनेवा में हुई वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की 73वीं बैठक में प्रचंड अंतरराष्ट्रीय समर्थन के बीच चीन को भी इन सवालों पर मौन स्वीकृति देनी पड़ी जिनसे वो अब तक कतरा रहा है.


विश्व स्वास्थ्य सभा की बैठक में जिन देशों को कार्यकारी मंडल का सदस्य चुना गया उनमें भारत का भी नाम है. यह कार्यकारी मंडल विश्व स्वास्थ्य संगठन का दिशा-निर्देशन करने वाली संस्था है. निर्वाचन के बाद नवगठित बोर्ड की अगली बैठक 22 मई को होनी है जिसमें इसकी अध्यक्षता करीब एक साल के लिए भारत के हाथ होगी. भारत तीन साल तक इस बोर्ड में रहेगा. इस बोर्ड में चीन पहले से मौजूद है और उसका कार्यकाल 2021 तक है.


महत्वपूर्ण है कि कोरोना संकट के बीच 18 और 19 मई को हुई विश्व स्वास्थ्य सभा में पारित प्रस्ताव पर क्रियान्वयन की रिपोर्ट को अगली वर्ल्ड हेल्थ असेंबली बैठक के सामने रखने की जिम्मेदारी कार्यकारी बोर्ड पर ही है. ऐसे में भारत की अगुवाई में काम करने वाले बोर्ड की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. बोर्ड के अधिकतर देश उस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने वालों में शामिल थे जो इस मामले की मुकम्मल पड़ताल चाहते हैं.


विश्व स्वास्थ्य सभा में पारित प्रस्ताव के मुताबिक इस बात की जांच होनी चाहिए कि आखिर कोरोना वायरस का के स्रोत क्या है और यह इंसानों के बीच कैसे आया. इस वायरस के वाहकों की भी जांच होनी चाहिए. इसके लिए एक सेहत नीति के तहत सभी देश जानवरों की सेहत की निगरानी करने वाले वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ, फूड एंड एग्रीकल्चर समेत अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम पर सबने सहमति जताई. प्रस्ताव के मुताबिक, कोरोना वायरस के संक्रमण स्रोत की जांच से भविष्य में ऐसे जूनेटिक वायरसों के वाहकों की रोकथाम में मदद मिलेगी.


100 से अधिक देशों की तरफ से रखे गए प्रस्ताव में कोरोना संक्रमण के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन के कामकाज की स्वतंत्र, निष्पक्ष और चरणबद्ध समीक्षा की भी बात कही गई है. साथ ही कोरोना संकट के पूरे घटनाक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिक्रियाओं के आकलन का भी उल्लेख किया गया. इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने वालों में भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, रूस, ब्रिटेन, तुर्की, कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया,अफ्रीकी समूह के देश और यूरोपीय संघ के मुल्क शामिल हैं.


हालांकि, रोचक है कि कोरोना वायरस के कारण 900 जानें गंवाने के बावजूद पाकिस्तान ने चीन से दोस्ती की फिक्र में इस प्रस्ताव से किनारा किया. इतना हीं नहीं विश्व स्वास्थ्य सभा की बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री जफर मिर्जा चीन के मिजाज की फिक्र करते ज्यादा नजर आए. मिर्जा ने तीन मिनट के भाषण का करीब एक चौथाई हिस्सा यह बताने में लगाया कि पाकिस्तान एक चाइना नीति के पक्ष में है और ताइवान को चीन का हिस्सा मानता है.


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