नई दिल्ली: दुनियाभर में तेजी से बढ़ती जनसंख्या की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. बढ़ती जनसंख्या कई विकासशील देशों के लिए बड़ी समस्या है. यहां जनसंख्या विस्फोट एक गंभीर चिंता का विषय है. लेकिन इस बार दुनिया कोरोना महामारी की गिरफ्त में है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जनसंख्या दिवस 2020 की थीम में महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों से संबंधित रखी है. विश्व जनसंख्या दिवस 2020 की थीम है- 'कोविड-19 की रोकथाम: महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ और अधिकारों की सुरक्षा कैसे हो'.
देश-दुनिया में महिलाएं अक्सर असुरक्षित माहौल में काम करती हैं. उनकी सुरक्षा पर खास ध्यान नहीं दिया जाता है. जबकि दुनियाभर में करीब 60 फीसदी महिलाएं अनौपचारिक रूप से अर्थव्यवस्था में योगदान देती हैं.
कोरोना संकट में महिलाओं की परेशानी पहले से और ज्यादा बढ़ गई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना संकट के समय 5 साल से कम उम्र के शिशुओं और उनकी माताओं को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं और पोषक तत्व नहीं मिल रहे हैं. इस वजह से उनकी मृत्यु दर बढ़ी है. इस दौरान शिशुओं की मृत्यु के 2,53,500 और माताओं की मृत्यु के 12,200 ज्यादा मामले सामने आए हैं. इस मुश्किल समय में महिलाओं को अपना और शिशुओं का खास ध्यान रखना आवश्यक है. परिवार के अन्य सदस्य भी उनका ध्यान रखें.
जनसंख्या दिवस का महत्व और इतिहास
विश्व जनसंख्या दिवस पहली बार साल 1989 में मनाया गया था. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद ने इस दिवस की शुरुआत की थी. उस समय दुनिया की जनसंख्या करीब 500 करोड़ थी. विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का पहले उद्देश्य जनसंख्या पर नियंत्रण रखने की अहमियत लोगों को बताना है. इस दिवस पर कई कार्यक्रमों और सभाओं का भी आयोजन किया जाता है, जिसके जरिए बढ़ती जनसंख्या की वजह से होने वाले खतरों के प्रति लोगों को आगाह किया जाता है.
Worldometers के अनुसार, इस समय दुनिया की जनसंख्या 7.7 बिलियन है. चीन दुनिया की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है. चीन के बाद सबसे ज्यादा जनसंख्या भारत में है. भारत की जनसंख्या करीब 135 करोड़ है. वर्तमान में सबसे तेज गति से जनसंख्या बढ़ने करने वाला देश नाइजीरिया है. साल 2050 तक नाइजीरिया के अमेरिका को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर पहुंचने की संभावना है.
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