विश्व मृदा दिवस 2020: जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व मृदा दिवस और कब से हुई मनाने की शुरूआत
साल 2002 में अंतरराष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ ने 5 दिसंबर को हर साल विश्व मृदा दिवस मनाने की सिफारिश की थी. एफएओ के सम्मेलन ने सर्वसम्मति से जून 2013 में विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया और 68 वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसको आधिकारिक रूप से मनाए जाने का अनुरोध किया.
हर साल 5 दिसंबर को दुनियाभर में विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है. दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वीं सामान्य सभा की बैठक में पारित संकल्प के द्वारा 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का संकल्प लिया गया था. इस दिवस को मनाने का उदेश्य किसानों के साथ आम लोगों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है. विश्व मृदा दिवस 2020 की थीम पर्यावरण प्रेमियों से संबंधित. इस वर्ष का अभियान है "मिट्टी को जीवित रखना, मिट्टी की जैव विविधता की रक्षा करना".
साल 2002 में अंतरराष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ ने 5 दिसंबर को हर साल विश्व मृदा दिवस मनाने की सिफारिश की थी. एफएओ के सम्मेलन ने सर्वसम्मति से जून 2013 में विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया और 68 वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसको आधिकारिक रूप से मनाए जाने का अनुरोध किया.
सबसे पहले यह खास दिन संपूर्ण विश्व में 5 दिसंबर 2014 को मनाया गया था. इस दिवस को खाद्य व कृषि संगठन द्वारा मनाया जाता है. विश्व के कई हिस्सों में उपजाऊ मिट्टी बंजर हो रही है. जिसका कारण किसानों द्वारा ज्यादा रसायनिक खादों और कीटनाशक दवाईयों का इस्तेमाल करना है. ऐसा करने से मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने की वजह से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में गिरावट आ रही है और यह प्रदूषण का शिकार हो रही है. किसानो और आम लोगों को मिट्टी की सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए यह दिन विशेष तौर पर मनाया जाता है.
मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2015 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (एसएचसी) की शुरूआत की थी. इसमें भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय द्वारा देशभर में 14 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) जारी करने का लक्ष्य रखा गया था.
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