WTO Ministerial Meeting: विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन स्विट्जरलैंड (Switzerland) के जिनेवा (Geneva) में आज से शुरू होगा. मंत्रिस्तरीय बैठक टीके, खाद्य सुरक्षा (Food Security) और मत्स्य पालन (Fishing) से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित होगी. जिसका असर भारत (India) के नागरिकों, उनकी आजीविका और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. विकसित देश गरीब किसानों और मछुआरों को सब्सिडी (Subsidy) देने का विरोध कर रहे हैं, जबकि भारत अडिग है. भारत को सम्मेलन में भाग लेने वाले 164 देशों में से लगभग 81 का समर्थन प्राप्त है, जिसने भारत की ताकत को और मजबूत किया है. इस बैठक में भारत अपनी खाद्य सुरक्षा चिंताओं के स्थायी समाधान का मुद्दा उठाएगा. बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) करेंगे.
सम्मेलन में गरीब देशों में खाद्य सुरक्षा और टीकों जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. वहीं अवैध और अनियंत्रित फिशिंग पर सब्सिडी के मुद्दे पर भी चर्चा की जाएगी. इसके अलावा खाद्य सुरक्षा के लिए खरीदे गए खाद्यान्न के निर्यात के प्रस्ताव पर चर्चा होगी. कुछ साल पहले, विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के उपायों का प्रस्ताव रखा था. लेकिन पिछले 4 सालों में इसमें काफी बदलाव आया है. इसका कारण धीमी गति से चलने वाली अर्थव्यवस्था है.
अनाज सुरक्षा पर चर्चा
भारत पहले ही विश्व व्यापार संगठन को एक पत्र भेजकर अपने भंडार से निर्यात की अनुमति देने के लिए कह चुका है. इसका मतलब यह है कि भारत मुख्य रूप से किसानों से उच्च दरों पर अनाज खरीदता है और इसे देश के गरीब लोगों को सस्ते में देता है. हालांकि, इनमें से कई टन भंडारण तक नहीं पहुंचते हैं, जिसके चलते अनाज खराब हो जाता है. वहीं, सरकार की ओर से खरीदे जाने वाले ज्यादातर अनाज में मुख्य रूप से गेहूं और चावल होते हैं. ऐसे में भारत मांग कर रहा है कि हमें इनके निर्यात की अनुमति दी जाए. ये अलग बात है कि वर्तमान में भारत ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, क्योंकि भारत में युद्ध और युक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का प्रभाव महसूस होने लगा है. लेकिन फिर भी भारत इस पर चर्चा करेगा. वहीं, कई विकसित देश खाद्य सब्सिडी का विरोध कर रहे हैं तो, भारत अनुदान देने के पक्षों है.
मत्स्य पालन पर सब्सिडी के पक्ष में भारत
मत्स्य पालन (Fishing) को लेकर कुछ अहम फैसले भी मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में लिए जा सकते हैं. मछली पकड़ने के लिए सब्सिडी एक बड़ा चर्चा का विषय इस सम्मेलन में साबित होगा. कुछ देशों का मानना है कि मछली पकड़ने के लिए सब्सिडी को विनियमित किया जाना चाहिए और इस सम्मेलन में इसपर निर्णय लिया जा सकता है. हालांकि भारत इसका कड़ा विरोध करता है. भारत का कहना है कि छोटे मच्छुआरों को मिलने वाला अनुदान जारी रहना चाहिए. भारत का कहना है कि जिस तरह खाद्य सुरक्षा के लिए भोजन पर सब्सिडी दी जाती है, उसी तरह मछली पकड़ने के लिए भी सब्सिडी दी जाती है, जो जारी रहे. मछली भोजन भी विश्व स्तर पर कई लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग है. इसी तरह, कई देश इस बात से सहमत हैं कि सब्सिडी को नियंत्रित किया जाना चाहिए. हालांकि, विकासशील देश कट्टर विरोधी हैं. उनका कहना है कि अनुदान स्थायी होना चाहिए.
वैक्सीन के आईपीआर पर होगी चर्चा
डब्ल्यूटीओ फोरम में भारत, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और यूरोपीय संघ की मुलाकात होगी. इसमें मुख्य रूप से वैक्सीन (Vaccine) के आईपीआर यानी पेटेंट में छूट पर चर्चा होगी. डेढ़ साल पहले भारत और दक्षिण अफ्रीका ने महामारी में पेटेंट में ढील देने का प्रस्ताव रखा था. हालांकि, अमेरिका और यूरोपीय संघ में दवा कंपनियां इससे सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि इसमें बहुत पैसा और रिसर्च खर्च होता है. अगर ऐसा हुआ तो भविष्य में इनपर खर्च होनेवाला पैसा कहां से आएगा और खर्च किए गए पैसे को कौन चुकाएगा. इसीलिए यूरोपीय संघ और अमेरिका में कंपनियों के लिए स्वीकार्य नहीं है, और इसलिए इस पर चर्चा की जाएगी. इस मुद्दे पर चर्चा करने के बाद ही पता चलेगा कि भारत के अलावा अन्य विकासशील देशों को भी कोविड का टीका सस्ते में उपलब्ध होगा या नहीं. साथ ही, आज टीके की सबसे ज़्यादा जरुरत गरीब देशों को है जहां रिसर्च की सुविधा नहीं होती. इस सम्मेलन में भारत की कोशिश पर क्या निर्णय होता है उसपर ही इन गरीब देशों की टीका मिलेगा या नहीं निर्भर करता है.
विश्व व्यापार संगठन में सुधार
विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) कई देशों के बीच व्यापार विवादों को हल करना चाहता है. नियमों और विनियमों को कैसे कड़ा किया जा सकता है या इसे जल्दी से बदला जा सकता है? सम्मेलन में इस पर चर्चा की जा सकती है.
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