Wrestlers Protest: भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों का प्रदर्शन जारी है. इस बीच हरिद्वार में गंगा नदी में प्रदर्शनकारी खिलाड़ी साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया मंगलवार (30 मई) को अपने मेडल बहाने पहुंचे लेकिन किसान नेता नरेश टिकैत ने खिलाड़ियों को रोक दिया. पहलवानों के इस कदम पर बीजेपी के सांसद बृजभूषण सिंह ने भी बयान दिए हैं. उन्होंने कहा कि गंगा की जगह पदक नरेश टिकैत को दे दिए गए. दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सीएम अरविंद केजरीवाल ने सरकार पर निशाना साधा. वहीं पूर्व क्रिकेटर अनिल कुंबले ने कहा कि उम्मीद है कि मामला जल्द सुलझेगा. बड़ी बातें-


1. बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एक्शन नहीं होने और 28 मई को जंतर मंतर पर हुई पुलिस कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शनकारी खिलाड़ियों ने मेडल गंगा में बहाने का मंगलवार को ऐलान किया. इसके बाद ये खिलाड़ी हरिद्वार के हर की पौड़ी पहुंचे. यहां ये सभी खिलाड़ी काफी भावुक नजर आए. इसी दौरान विपक्षी नेताओं और बीकेयू के राकेश टिकैत ने उनसे मेडल नहीं बहाने की अपील की. 


2. इसी बीच किसान नेता नरेश टिकैत हरिद्वार पहुंचे और सभी खिलाड़ियों से मेडल अपने पास ले लिए और उन्हें पांच दिनों का समय देने के लिए कहा. टिकैत ने कहा कि दोषियों को बचाया जा रहा है. हमने खिलाड़ियों से वक्त मांगा है. एक जून को यूपी के मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में खाप महापंचायत बुलाई गई है.


3. किसान नेता नरेश टिकैत ने एबीपी न्यूज से बात करते कहा कि खिलाड़ियों ने देश का मान बढ़ाया है. किस तरह से पहलवानों को 28 मई को घसीटा गया. पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ लेकिन ये तो तार तार हो गया. बीजेपी बृजभूषण शरण सिंह को बचाने में लगी है. खिलाड़ी आपकी बात कैसे मान गए के सवाल पर उन्होंने कहा हमने पहलवानों को समझाया. हम बच्चों (खिलाड़ी) का सिर नीचा नहीं होने देंगे. 


4. बृजभूषण सिंह ने कहा, ''जांच होने दीजिए. हमारे हाथ में खेल नहीं है. सब कुछ दिल्ली पुलिस के हाथ में है. पहलवानों के निवेदन पर एफआईआर हुई और इस पर जांच चल रही है. मैं क्या मदद कर सकता हूं. ये लोग मेडल गंगा में बहाने गए लेकिन किसान नेता नरेश टिकैत को दे दिए. मेरा कार्यकाल खत्म हो गया और मैं गलत पाया जाऊंगा तो गिरफ्तार हो जाऊंगा.''


5. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि आख़िर क्या जिद है, बेटियों को न्याय क्यों नहीं मिल सकता? क्यों बेटियों को ही कठघरे में खड़ा किया गया है? क्यों वो मां गंगा में मेडल प्रवाह करने के लिए मजबूर हुईं? ‘बेटी बचाओ’ नहीं अपराधी बचाओ, देश के गौरव को ठेस पहुंचाओ. वहीं कांग्रेस नेता और सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कोई भी खिलाड़ी अपने मेडल से बच्चों से भी ज्यादा प्यार करता है. ये मेडल आसानी से नहीं मिलते. इसके लिए वर्षों मेहनत करनी पड़ती है. जब सारा आलम सुख से सोता है तब खिलाड़ी मेडल के लिए स्टेडियम में पसीना बहा रहे होते हैं. खिलाड़ी कितने दुखी होंगे कि उन्होंने इतना कठोर फैसला लिया है. 


6. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मेडल बहाने का पहलवानों का अपना निर्णय है, लेकिन इस पर वो कुछ नहीं कह सकती. सवाल तो उठता है कि पहलवानों को मारा गया. सुप्रीम कोर्ट के कहने के बाद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर हुई फिर भी उसे गिरफ्तार नहीं किया गया. 


7. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा पूरा देश स्तब्ध है. पूरे देश की आंखों में आंसू है. अब तो पीएम मोदी को अपना अहंकार छोड़ देना चाहिए. 


8. पूर्व किक्रेटर अनिल कुंबले ने कहा कि पूरे मामले को लेकर दुख हो रहा है. उन्होंने ट्वीट किया, "28 मई को हमारे पहलवानों के साथ बदसलूकी के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ. उचित संवाद से किसी भी बात का समाधान निकाला जा सकता है. जल्द से जल्द समाधान की उम्मीद है.'' दरअसल जंतर-मंतर पर जब रविवार (28 मई) को पहलवानों और उनके समर्थकों ने सुरक्षा घेरा तोड़कर महिला महापंचायत के लिए नए संसद भवन की ओर बढ़ने की कोशिश की थी तब साक्षी मलिक और विनेश फोगाट को दिल्ली पुलिस ने जबरदस्ती बस में डाला था. 


9. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया कि प्रदर्शनकारी पहलवानों को इंडिया गेट पर धरने की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि राष्ट्रीय स्मारक प्रदर्शनों का स्थल नहीं है और उनके प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक स्थानों का सुझाव दिया जाएगा. पहलवानों ने दिन में कहा था कि वे इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठेंगे.


10. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान सिंह ने भी केंद्र सरकार पर हमला किया. उन्होंने कहा कि हमारे देश के अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता पहलवानों का केंद्र सरकार से दुखी होकर अपने पदकों को हरिद्वार गंगा जी में बहाने जाना देश के लिए बहुत शर्मनाक है. अगर समय रहते आवाज़ न उठाई गई तो अगली बारी देश के लोकतंत्र की अस्तियों को बहाने की होगी.


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