Wrestlers Protest Against BJP MP: गोंडा जिले की कैसरगंज लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न और पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की जा चुकी है. सरयू नदी के उस पार नवाबगंज कस्बे में बनी बृजभूषण शरण सिंह की आलीशान कोठी बीते तीन दशकों से सियासत का केंद्र रही है. माना जाता है कि इस इलाके में स्थानीय विवादों को हल करने से लेकर प्रशासनिक प्रकियाओं को आगे बढ़ाने के लिए 6 बार के सांसद बृजभूषण का नाम ही काफी है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दशकों से बृजभूषण शरण सिंह ने विरोधियों को धमकाने और बाहुबली के लिए कुख्यात क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए आस्था, अपराध और राजनीतिक रसूख के मिश्रण का इस्तेमाल किया है. हालांकि, अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता को उत्तर प्रदेश की राजनीति की धुंधली दुनिया से दूर एक अखाड़े से अपने सियासी करियर की सबसे कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण पर भारत के शीर्ष पहलवानों ने यौन उत्पीड़न और डराने-धमकाने के आरोप लगाए हैं. जिसके चलते जनता के समर्थन की लहर अब उनके खिलाफ जाती दिख रही है.
इस रिपोर्ट में राजनीतिक विशेषज्ञों के हवाले से दावा किया गया है कि बृजभूषण शरण सिंह का सियासी भविष्य अधर में फंस सकता है. राजनीतिक विशेषज्ञ इरशाद इल्मी ने कहा कि यह सच है कि सिंह के क्षेत्र में काफी समर्थक हैं और राम मंदिर आंदोलन के साथ उनके जुड़ाव ने अयोध्या के साथ अपनी सीमाओं को साझा करने वाले क्षेत्र में उनकी स्वीकार्यता बढ़ा दी है, लेकिन उनके राजनीतिक भविष्य के बारे में अनुमान लगाना मुश्किल है.
बचपन से ही रहा था अखाड़ों का शौक
8 जनवरी, 1957 को जन्मे बृजभूषण शरण सिंह ने बचपन में ही अखाड़े जाना शुरू कर दिया था और स्थानीय स्तर पर कुश्ती में नाम कमाया. अयोध्या के साकेत कॉलेज में छात्रजीवन के दौरान उनका राजनीति में करियर शुरू हुआ. ये वह दौर था, जब अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन धीरे-धीरे बढ़ रहा था और इस दौरान बृजभूषण ने खुद को सफलतापूर्वक नेता के तौर पर पेश किया.
राम मंदिर आंदोलन बना वरदान
1991 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान बृजभूषण शरण सिंह ने पहली बार बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसी साल बीजेपी को पहली बार उत्तर प्रदेश में सत्ता मिली थी. 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस बृजभूषण के लिए वरदान साबित हुआ. उन्होंने सार्वजनिक तौर पर खुद को बाबरी मस्जिद गिराने वालों के तौर पर पेश किया. वरिष्ठ बीजेपी नेताओं लालकृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह के साथ सिंह के खिलाफ भी सीबीआई ने मामला दर्ज किया था, लेकिन 2020 में उन्हें बरी कर दिया गया.
तिहाड़ जेल में बिताए कई महीने
एक फायरब्रांड हिंदू नेता के तौर पर बृजभूषण शरण सिंह को राम मंदिर आंदोलन से जुड़े नेताओं के साथ देखा जाने लगा. इसी बीच 1992 में उन पर टाडा के तहत डॉन दाउद इब्राहिम के गुर्गों की मदद करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया. 1999 में रिहा होने से पहले बृजभूषण ने कई महीने तिहाड़ जेल में बिताए. हालांकि, इस दौरान उनका प्रभाव खत्म नहीं हुआ. 2009 में उन्होंने सियासी हवाओं को भांपते हुए बीजेपी छोड़ समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया और कैसरगंज लोकसभा सीट से फिर सांसद बने. हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वो बीजेपी में वापस आ गए.
कुश्ती ने दिलाई पहचान
कुश्ती ने बृजभूषण सिंह की सियासत में एक अहम भूमिका निभाई है. गोंडा के नंदिनी नगर में होने वाले कुश्ती के तमाम आयोजनों में सिंह ही केंद्र होते थे. एसयूवी के काफिलों के साथ दर्जनों की संख्या में उनके कार्यकर्ता जब कार्यक्रम स्थल पर आते थे तो लोगों में उनके पैर छूने की होड़ मच जाती थी. कहा जाता है कि बृजभूषण के एक इशारे पर अखाड़े में चल रही कुश्ती रुक जाया करती थी. उनकी कही बात ही कुश्ती का नियम हो जाती थी. इतना ही नहीं, इन कार्यक्रमों में आसपास के जिलों के विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, चेयरपर्सन और सदस्य भी शामिल होते थे.
यह अपराध और राजनीति का मिश्रण ही है, जिसने उन्हें पहलवानों की ओर से जनवरी में पहली बार आरोप लगाए जाने के बावजूद परेशान नहीं किया. सिंह ने 2022 में एक वेब पोर्टल को दिए इंटरव्यू में एक शख्स की हत्या करने की बात भी कबूल की थी. 2019 में उनके चुनावी हलफनामे में चार लंबित मामलों को जानकारी दी गई थी.
ये भी पढ़ें: