Wrestlers Police Custody: भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को पुलिस ने रविवार (28 मई) को हिरासत में ले लिया था. उनमें से महिला पहलवानों साक्षी मलिक, संगीता फोगाट और विनेश फोगाट को छोड़ दिया गया है जबकि बजरंग पुनिया अब भी पुलिस हिरासत में ही हैं. सभी पहलवानों को पुलिस ने अलग-अलग जगहों पर रखा था.
आइये जानते हैं कि पूरे घटनाक्रम में क्या-क्या हुआ-
1. दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई पर पहलवानों का कहना है कि उनके साथ हाथापाई भी की गई. वहीं, साक्षी मलिक और संगीता फोगाट ने साफ तौर पर कहा कि अभी यह आंदोलन खत्म नहीं हुआ है. साक्षी मलिक ने कहा, “पुलिस हिरासत से छूटकर हम वापस जंतर-मंतर पर अपना सत्याग्रह शुरू करेंगे. इस देश में अब तानाशाही नहीं, बल्कि महिला पहलवानों का सत्याग्रह चलेगा.”
2. पहलवानों के प्रदर्शन का समर्थन कर रहे किसान संगठनों ने इस लड़ाई को आगे ले जाने की बात कही है. उत्तर प्रदेश को दिल्ली से जोड़ने वाले गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसानों ने प्रदर्शन किया.
3. हालांकि, किसानों ने इस प्रदर्शन को रविवार (28 मई) की शाम खत्म कर दिया. राकेश टिकैत ने कहा कि आज का प्रदर्शन खत्म हो गया है, अब कुछ दिनों मीटिंग करके आगे का फैसला किया जाएगा.
4. वहीं, दिल्ली पुलिस ने इस मामले पर अपना रुख साफ करते हुए कहा कि जिन लोगों ने बैरिकेड तोड़कर आगे जाने की कोशिश की थी उन्हें रोका गया और उन्हें वहां से हटाकर दूसरी जगह ले जाया गया. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया को कानून-व्यवस्था के उल्लंघन के आरोप में हिरासत में लिया.
5. इस पूरे मामले को लेकर राजनीतिक सरगर्मी भी देखने को मिली. किसान नेता का कहना था कि जब तक पहलवानों को रिहा नहीं किया जाएगा, ये प्रदर्शन जारी रहेगा. वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दलों ने पहलवानों को हिरासत में लेने को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस पर जमकर हमला किया.
6. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “नई संसद के उद्घाटन का हक राष्ट्रपति जी से छीना, सड़कों पर महिला खिलाड़ियों को तानाशाही बल से पीटा! बीजेपी-आरएसएस के सत्ताधीशों के 3 झूठ अब देश के सामने बे-पर्दा हैं. पहला- लोकतंत्र, दूसरा- राष्ट्रवाद, तीसरा- बेटी बचाओ. याद रहे मोदी जी, लोकतंत्र केवल इमारतों से नहीं, जनता की आवाज से चलता है.”
7. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पहलवानों का समर्थन करते हुए संसद के नए भवन के उद्घाटन को लेकर केंद्र पर हमला करते हुए कहा, "नए संसद भवन की क्या जरूरत है अगर वह विरोध कर रहे पहलवानों को न्याय नहीं दे सकता है."
8. राहुल गांधी ने कहा, "राज्याभिषेक पूरा हुआ- 'अहंकारी राजा' सड़कों पर कुचल रहा जनता की आवाज़."
9. वहीं, प्रियंका गांधी ने कहा, "खिलाड़ियों की छाती पर लगे मेडल हमारे देश की शान होते हैं. उन मेडलों से, खिलाड़ियों की मेहनत से देश का मान बढ़ता है. बीजेपी सरकार का अहंकार इतना बढ़ गया है कि सरकार हमारी महिला खिलाड़ियों की आवाजों को निर्ममता के साथ बूटों तले रौंद रही है."
10. सीएम ममता ने ट्वीटर पर लिखा, “जिस तरह से दिल्ली पुलिस ने साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और अन्य पहलवानों के साथ मारपीट की, उसकी कड़ी निंदा करती हूं. यह शर्मनाक है कि हमारे चैंपियंस के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाता है. लोकतंत्र सहिष्णुता में है लेकिन निरंकुश ताकतें असहिष्णुता और विरोध को दबाने पर पनपती हैं. मैं मांग करती हूं कि पुलिस हिरासत से पहलवानों को तुरंत रिहा किया जाए. मैं पहलवानों के साथ खड़ी हूं.”