Wrestlers Protests: दिल्ली पुलिस ने गुरुवार (15 जून) को भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के निर्वतमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर चार्जशीट दायर की.


पुलिस ने 6 बालिग महिला पहलवानों के 164 के तहत दर्ज किए बयानों (मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान) के आधार पर सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 354, 354A और 354D के तहत दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दायर की.


इसी मामले में बृजभूषण सिंह के सह-आरोपी विनोद तोमर के खिलाफ भी भारतीय दंड संहिता की धारा 109 (यदि कोई किसी को अपराध के लिए उकसाता है, यदि उकसाव के कृत्य को अंजाम दिया गया, और जहां इसके के लिए दंड कोई स्पष्ट प्रावधान न हो), 354, 354ए और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोपपत्र दाखिल किया गया है. 


चार्जशीट को कैसे तैयार किया गया?
करीब 1 हजार पन्नों की चार्जशीट महिला पहलवानों के बयानों और करीब 21 से 25 अन्य गवाहों के बयानों पर आधारित है. इसमें महिला पहलवानों की एसआईटी को मुहैया करवाई गई फोटो और अन्य डिजिटल एविडेंस पेन ड्राइव के जरिये कोर्ट को मुहैया करवाये गए हैं. इस पर 22 जून को सीएमएम कोर्ट में सुनवाई होगी.


पॉक्सो को लेकर क्या हुआ?
पॉक्सो के तहत नाबालिग पहलवान की दर्ज करवाई गई एफआईआर को लेकर पटियाला हाउस कोर्ट में कैंसीलेशन रिपोर्ट दायर की गई. सूत्रों के मुताबिक, इसकी वजह नाबालिग महिला पहलवान और उसके पिता के यौन शोषण के आरोप वापस लेना है. 


सूत्रों के मुताबिक, नाबालिग महिला पहलवान ने बयान वापस लेते हुए दलील दी कि मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ था, लेकिन मैंने इसको लेकर बहुत मेहनत की थी. मैं तनाव में थी, इसीलिए गुस्से में यौन शोषण का मामला दर्ज करवाया था. अब इस मामले पर पटियाला हाउस कोर्ट में 4 जुलाई को सुनवाई होगी.


बृजभूषण सिंह को कितनी सजा हो सकती है? 
बृजभूषण सिंह को आईपीसी की धारा  354ए (जमानती धारा) के तहत 3 साल तक की सजा और उन पर जुर्माना लग सकता है. इसके अलावा 354 में 1 से 5 साल तक की सजा और जुर्माना सिंह पर लग सकता है. ये गैर जमानती धारा है. साथ ही 354डी (जमानती धारा) के तहत सिंह को 3 से 5 साल तक की सजा हो सकती है. 


चार्जशीट में क्या-क्या है?
. सीआरपीसी की धारा 164 के तहत पीड़ितों का दिया गया बयान दो आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट करने का मुख्य सबूत है
. नाबालिग के बयान पर पुलिस उसे कथित अपराध के स्थान पर ले गई. उन्हें इस दौरान कोई भी सुनसान जगह नहीं मिली जहां अपराध हो सकता था (अपनी शिकायत में उसने दावा किया कि आरोपी ने उसे उस कमरे में बुलाया जहां वह थी  कथित तौर पर हमला किया गया)
. पीड़ितों के दिए गए डिजिटल साक्ष्य अपराध के कथित स्थान पर अभियुक्तों की उपस्थिति को स्थापित करते हैं. 
. पीड़ितों ने अपने आरोपों के समर्थन में पांच (लगभग) तस्वीरें दी है. 
. दो दर्जन गवाहों में से लगभग सात ने पीड़ितों के दावों का समर्थन किया है. बाकी आरोपियों के पक्ष में बोले हैं. वे ट्रायल के दौरान क्रॉस एग्जामिनेशन के अधीन होंगे.
. दूसरे देशों के कुश्ती महासंघों से डिजिटल साक्ष्य मिलने के बाद पुलिस एक पूरक आरोपपत्र दायर करेगी
. पुलिस ने आरोपी और पीड़िता का पिछले दस साल का सीडीआर मांगा है. यह एक बड़ा दस्तावेज है.


बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरनेश कुमार के एक जजमेंट के मुताबिक, 7 साल से कम सजा वाली धाराओं में गिरफ्तारी जांचकर्ता के खुद के विवेक पर निर्भर करता है. आरोपी जांच में सहयोग करता है तो गिरफ्तारी जरूरी नही.


पुलिस के मुताबिक, बृजभूषण सिंह को जब भी जांच संबंधी सवालों को लेकर संपर्क किया गया तो उन्होंने पूरा सहयोग किया. इस कारण उनकी गिरफ्तारी की कोई खास वजह नहीं थी. 


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