लॉकडाउन में यमुना हुई साफ तो गंगा के पानी में नहीं आया कोई सुधार: जल शक्ति मंत्रालय
कोरोना के चलते बीते साल देश में लॉकडाउन के कारण नदियों का पानी साफ दिखा था. सरकार के अध्ययन के बाद इस बात की पुष्टि हुई कि कुछ नदियों के पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार मिला.
पिछले साल मार्च में जब लॉकडाउन शुरू हुआ तब इस तरह की कई तस्वीरें वायरल हुईं जिसमें देशभर की नदियों का पानी बिल्कुल साफ़ दिखाई दिया था. सरकार के अध्ययन से इस बात की पुष्टि हुई है कि उस दौरान कुछ नदियों के पानी की गुणवत्ता में सचमुच काफी सुधार देखने को मिला था.
7 नदियों के पानी की गुणवत्ता में दिखा काफी सुधार
जल शक्ति मंत्रालय ने गुरुवार को लोकसभा में एक लिखित जवाब में कुछ रोचक तथ्य साझा किए. मंत्रालय के मुताबिक पिछले साल मार्च और अप्रैल के महीनों में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रदूषण नियंत्रण कमिटी ने देशभर की 19 नदियों के पानी की गुणवत्ता की जांच की. इन नदियों में गंगा, यमुना, ब्राह्मी, ब्यास, ब्रह्मपुत्र, बैतरणी, कावेरी, चंबल, घग्घर, गोदावरी, कृष्णा, महानदी, नर्मदा, माही, पेन्नार, साबरमती, सतलज, सुवर्णरेखा और तापी जैसी नदियां शामिल हैं.
अध्ययन में कुछ रोचक परिणाम सामने आए हैं. इसमें कहा गया है कि इन नदियों में से 7 नदियों के पानी की गुणवत्ता में लॉकडाउन के शुरुआती दो महीनों के दौरान काफी सुधार देखा गया. इन नदियों में यमुना, ब्रह्मपुत्र, कावेरी, ब्राह्मणी, गोदावरी, कृष्णा और तापी शामिल हैं. हालांकि अध्ययन में ये साफ नहीं किया गया है कि यमुना नदी के उस भाग के पानी की गुणवत्ता में भी सुधार आया जो दिल्ली में पड़ता है.
साबरमती और माही नदी में नहीं दिखा सुधार
वहीं ब्यास, गंगा, सतलज, सुवर्णरेखा और चंबल जैसी नदियों के पानी की गुणवत्ता में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला. साबरमती और माही नदी के पानी में भी कोई सुधार देखने को नहीं मिला. इन नदियों के पानी की गुणवत्ता की जांच कुछ मूलभूत पैमाने को आधार मानकर की गई थी. इनमें पीएच ( pH ) फैक्टर, पानी में घुलने वाला ऑक्सीजन, बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड और फिकल कॉलीफार्म शामिल हैं.
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