Yamuna Cleaning: यमुना की सफाई को लेकर एनजीटी ने जो उच्च स्तरीय कमेटी बनाई थी उसके सामने दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने नदी को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े रखे हैं. इसके अलावा यह बात भी सामने आई है कि पिछले 8 वर्षों में यमुना का प्रदूषण दोगुना हो गया है. इस मामले को लेकर 14 जनवरी को इस कमेटी की पहली बैठक हुई, जिसमें इस बात का खुलासा किया गया है.
14 जनवरी को उच्च स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की अध्यक्षता में कमेटी की पहली बैठक हुई थी. बैठक के दौरान दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने जानकारी दी कि पल्ला इलाका जहां से यमुना हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश करती है, उस जगह पर साल 2014 से लेकर आजतक Biological Oxygen Demand का स्तर मात्र 2 mg/ltr बना हुआ है, लेकिन ओखला बैराज के उस हिस्से पर जहां से यमुना दिल्ली को छोड़कर यूपी की तरफ बढ़ती है, उस जगह BOD लेवल साल 2014 के 32 mg/ltr के आंकड़े से बढ़कर साल 2023 में 56 mg/ltr तक पहुंच गया है.
क्या है बीओडी?
BOD पानी की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है, जल निकाय में मौजूद सूक्ष्मजीवों की तरफ से कार्बनिक पदार्थों को डिकम्पोज करने के लिए आवश्यक पानी में मौजूद ऑक्सीजन की मात्रा है. बीओडी का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर (mg/l) से कम ठीक माना जाता है.
उपराज्यपाल वीके सक्सेना को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) और जल बोर्ड ने जो जानकारी दी है उसके मुताबिक शाहदरा ड्रेन और नजफगढ़ ड्रेन यमुना में होने वाले प्रदूषण की मुख्य वजह मानी गई है. इसके अलावा 35 में से सिर्फ 9 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ही तय मानकों के हिसाब से चल रहे हैं.
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