नई दिल्ली: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और अटल बिहारी वाजयेपी और चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने लेख के दूसरे दिन आज मंदी विवाद पर अपनी जुबानी खोली. आज एक बार फिर उन्होंने अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार की नाकामियों का पिटारा खोल दिया.
यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार एक के बाद एक झटके देती रही जिससे अर्थव्यवस्था कमजोर हुई है और बीते छह महीने से लगातार विकास दर में गिरावट देखी जा रही है. यशवंत सिन्हा ने कहा, “सरकार ने पहला झटका नोटबंदी से दिया, अभी उससे लोग उबर भी नहीं पाए थे, लेकिन जीएसटी का झटका दे दिया.’’
मोदी सरकार की जल्दबाज़ी में किए गए फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए पूछा, “कौन सा पहाड़ टूट जाता अगर जीएसटी, एक जुलाई के बजाए एक अक्टूबर से लागू होता. जिससे नोटबंदी के झटके से लोग उबर जाते तो जीएसटी का असर उतना नहीं होता.” हालांकि, यशवंत सिन्हा ने ये भी कहा कि वो इस वक़्त जीएसटी के डिज़ाइन और टैक्स दर पर बात नहीं कर रहे हैं.
और क्या बोले यशवंत सिन्हा?
जीडीपी के आंकड़े देखकर चिंता गहरायी
मीडिया से बात करते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा, ''मैं पहले कुछ नहीं बोला लेकिन जब इस वर्स के पहली तिमाही के आंकड़े आए कि जिसमें पता चला कि 6% से भी ग्रोथ रेट नीचे आ गया है तो चिंता ज्यादा गहराई. हमें लगा कि शायद सरकार इसके बारे में कुछ करेगी. एक हफ्ते से ज्यादा का समय निकल गया और सरकार की तरफ से कुछ नहीं तब मुझे लगा कि ये बात जनता के सामने आनी चाहिए.''
चालीस महीने बाद पिछली सरकार को दोष नहीं दे सकते
यशवंत सिन्हा ने कहा, ''सरकार बनने से पहले आर्थिक मामलों की बात मैं ही रखता था. उस समय हम यूपीए सरकार की पॉलिसी पैरालिसिस की बात करते थे.
इसीलिए वो फैसले नहीं ले पा रहे थे, उस वक्त भ्रष्टाचार भी हो रहा था. उस समय कई लाख करोड़ की परियोजनाएं रुक गयीं थीं. इसका नतीजा हुआ कि इन परियोजनाओं के लिए बैंकों ने जो लोन दिया था पब्लिक सेक्टर की कंपनियों वो एनपीए हो गया. एक बार फिर सुनने में आ रहा है करीब आठ लाख करोड़ का कर्ज एनपीए है ये हर साल बढ़ ही रहा है. हम उम्मीद कर रहे कि जब हमारी सरकार बनेगी तब हम सुधार के लिए काम करेंगे. इस दिशा में काम हुआ है लेकिन जैसा होना चाहिए था वैसा नहीं. चालीस महीने सरकार में रहने के बाद हम पहले की सरकार को दोष नहीं दे सकते.''
नोटबंदी के बाद जीएसटी के झटके की जरूरत नहीं थी
जीएसटी पर सरकार को घेरते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा, ''लगातार बढ़ते एनपीए से अर्थव्यस्था की रफ्तार धीमी हो गयी इससे बेरोजगार पैदा हुआ. इसके बाद नोटबंदी हो गयी फिर जीएसटी लागू हो गया. मैं जीएसटी का सबसे बड़ा समर्थक था. पिछली सरकार में जब वित्त मामलों की कमेटी का अध्यक्ष था. गुजरात सरकार के विरोध के बावजूद हम लोगों ने कहा कि जीएसटी लागू होना चाहिए. लेकिन जिस तरह जीएसटी लागू हुआ उससे समस्याएं और गहरायीं. जब हम एक बार नोटबंदी का झटका दे चुके थे तो फिर जीएसटी के झटके की जरूरत क्या थी. जब आप बार बार किसी को झटका दोगे तो रफ्तार तो धीमी होगी ही.''
सरकार ने जीएसटी लागू करने में जल्द बाजी की
यशवंत सिन्हा ने कहा, ''एक जुलाई से जीएसटी लागू करने का कोई मतलब नहीं था. किसी भी वित्त वर्ष में एक जुलाई नहीं एक अप्रैल का महत्व होता है. हमने सुझाव दिया था कि एक अक्टूबर से जीएसटी लागू किया जाए. इससे नोटबंदी के भी करीब छह महीने पूरे हो जाएंगे, इसके बाद चीजें समझने का टाइम मिल जाएगा. सरकार बहुत जल्दबाजी में थी. इसके चलते बहुत सारी समस्याएं पैदा हुईं. परेशानियां बढ़ रही हैं, इसीलिए हमने सोचा चीजों को सामने लाएं. इसके साथ ही इसे कैसे सुधारा जाए इस पर भी चर्चा करें.''