पटना: बीजेपी के पूर्व नेता और वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने एक बार फिर सक्रिय राजनीति में वापसी करने का फैसला लिया है. उन्होंने शनिवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा बनाने का ऐलान किया. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्य की खस्ता स्थिति को देखते हुए उन्होंने तीसरा मोर्चा बनाने का फैसला लिया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके साथ बिहार सरकार के पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह और पूर्व सांसद अरुण कुमार और अन्य कई नेता भी मौजूद रहे. दो साल पहले राजनीति से संन्यास लेने वाले यशवंत सिन्हा ने शनिवार को अचानक सक्रिय राजनीति में लौटने की घोषणा की.


यशवंत के तीसरे मोर्चे में ज्यादातर ऐसे नेता शामिल हुए हैं, जो न तो महागठबंधन का हिस्सा हैं और न ही एनडीए का. बता दें कि तीसरे मोर्चे में अब तक यशवंत के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव, पूर्व बिहार मंत्री नरेंद्र सिंह और रेनू कुशवाहा, पूर्व सांसद अरुण कुमार और नागमणि जैसे नेता शामिल हुए हैं.


बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा चुनाव लड़ेगा- यशवंत सिन्हा 


वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा चुनाव लड़ेगा और इसका मुख्य उद्देश्य मौजूदा सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकना होगा.' हालांकि, यशवंत ने अभी यह नहीं बताया कि वह खुद विधानसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं.


उन्होंने आगे कहा कि जो हमारे साथ आना चाहता है, उसका स्वागत है. हम बेहतर बिहार बनाने के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत के साथ लड़ेंगे. हालांकि, अभी यशवंत ने अपनी पार्टी के नाम का ऐलान नहीं किया है. इस बारे में उन्होंने कहा कि अभी इसको लेकर फैसला नहीं हुआ है, लेकिन जल्द ही वह पार्टी के नाम का ऐलान करेंगे.


'बेहतर बिहार बनो और बेहतर बिहार बनाओ'


बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को राज्य की "खराब" स्थिति के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए, उन्होंने 'बेहतर बिहार बनो और बेहतर बिहार बनाओ' का नारा दिया. नीतीश सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि राजग सरकार ने लगभग 15 सालों तक सत्ता में रहने के बावजूद विकास नहीं किया. इसके साथ ही उन्होंने राज्य की खराब स्थिति के लिए भी मौजूदा सरकार को जिम्मेदार ठहराया.


उन्होंने कहा, "जब तक राज्य से मौजूदा डिस्पेंसल को समाप्त नहीं किया जाता है, तब तक बिहार को बेहतर बनाने के लिए काम करना काफी कठिन होगा. राज्य सरकार को भंग करना बेहतर बिहार बनाने के लिए पहला कदम होगा.


राज्य में अपने चरम पर है भ्रष्टाचार- पूर्व केंद्रीय मंत्री 


यशवंत ने आगे कहा कि बिहार पिछले 27 सालों से मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में सबसे नीचे है और राज्य गरीबी सूचकांक में सबसे गरीब है. यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि राज्य की वार्षिक प्रति व्यक्ति आय 47,541 रुपये है जो राष्ट्रीय औसत का एक तिहाई है.


उन्होंने कहा कि बिहार स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान करने के मामले में भी सूची में सबसे नीचे है और इसके किसान देश में सबसे गरीब हैं. देश के कुल उद्योगों में राज्य की हिस्सेदारी सिर्फ 1.5 प्रतिशत है.


सिन्हा ने आरोप लगाया कि राज्य में कानून और व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और भ्रष्टाचार चरम पर है, क्योंकि यहां वर्तमान में "रिश्वत के बिना कुछ नहीं चलता".


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