Yasin Malik Case: बैरक नंबर -7 में रहेगा यासीन मलिक, सीसीटीवी से होगी निगरानी
Yasin Malik Case: यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा के ऐलान के बाद तिहाड़ जेल में रखा जाएगा. मलिक को एनआईए कोर्ट द्वारा सजा का ऐलान किए जाने के बाद ही तिहाड़ जेल प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण बैठक ली है.
Yasin Malik Case: दिल्ली की एक अदालत (Delhi Court) ने बुधवार को आतंकवाद के वित्तपोषण (Terror Funding) मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Kashmirs Separatist Leader Yasin Malik) को उम्रकैद (Lifetime Impresionment) की सजा सुनाई है. अदालत ने मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. यासीन मलिक की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने यासीन मलिक को गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं. यासीन मलिक की ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी. यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा के ऐलान के बाद तिहाड़ जेल में रखा जाएगा. अलगाववादी नेता मलिक को एनआईए कोर्ट द्वारा सजा का ऐलान किए जाने के बाद ही तिहाड़ जेल प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण बैठक ली है. इस बैठक में तिहाड़ प्रशासन के मुखिया ने यासीन मलिक की सुरक्षा को लेकर सख्त निर्देश दिए हैं.
तिहाड़ जेल प्रशासन ने यासीन मलिक तिहाड़ जेल में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में रखने का इंतजाम किया है. फिलहाल यासीन मलिक तिहाड़ जेल की 7 नंबर बैरक में बंद था और अभी वो इसी जेल में रहेगा. इस जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक पर सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जाएगी. यासीन मलिक की जेल या वार्ड कहीं और शिफ्ट किया जाएगा या नहीं इस बात को लेकर फिलहाल अभी कोई फैसला नहीं किया गया है. विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने मलिक को दो अपराधों - आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (यूएपीए) (आतंकवादी गतिविधियों के लिए राशि जुटाना)- के लिए दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई गई.
एनआइए ने मांगी थी यासीन मलिक के लिए मौत की सजा
इससे पहले मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने यासीन मलिक को मृत्युदंड दिए जाने का अनुरोध किया था. वहीं मलिक ने अवैध गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत लगाए गए आरोपों समेत उस पर लगे सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था. अदालत ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 19 मई को दोषी करार दिया था. उसने एनआईए के अधिकारियों को मलिक पर जुर्माना लगाए जाने के लिए उसकी वित्तीय स्थिति का आकलन करने के निर्देश दिए थे.
यासीन मलिक ने नहीं किया सजा का विरोध
मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का विरोध नहीं करता. इन आरोपों में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) शामिल हैं. अदालत ने पूर्व में, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसरत आलम, मोहम्मद युसूफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख तथा नवल किशोर कपूर समेत कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे.
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