नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों पर मोदी सरकार ने शिकंजा कस दिया है. केंद्र सरकार ने आज के अलगावदी नेता यासिन मलिक की अगुवाई वाले जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) पर आतंकवाद निरोधक कानून के तहत बैन लगा दिया है. कैबिनेट की सुरक्षा समिति की बैठक में यह फैसला किया गया है.


केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''केंद्र सरकार ने आज गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट को गैरकानूनी असोसिएशन घोषित किया है. यह कदम सरकार के की तरफ से आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत उठाया गया है.''





गौरतलब है कि यासिन मलिक के जेकेएलएफ की गतिविधियां साल 1988 से जारी थी. कहा जाता है कि कश्मीरी पंडितों के कश्मीर में कत्लेआम में यासीन मलिक का हाथ था. इस संगठन पर घाटी के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया का अपहरण और एयरफोर्स अधिकारियों की हत्या करने जैसे संगीन आरोप लग चुके हैं.


ये संगठन स्टोन पेल्टर और अलगाववादी गतिविधियां के लिए पैसा इकट्ठा करवाता है. इस संगठन के खिलाफ घाटी की पुलिस ने 37, दो केस सीबीआई और एक एनआईए ने दर्ज किए हैं.  मोदी सरकार ने ये फैसला खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर लिया है, जिसमें इस बात का जिक्र था कि जेकेएलएफ को पाकिस्तान से मदद मिल रही थी, जिससे वह आतंकियों को पैसा मुहैया करवा रहा था.


इससे पहले 28 फरवरी को सरकार ने ‘जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर’ पर भी बैन लगा दिया था, जिसने आतंकी संगठन हिजबुल को खड़ा करने में मदद की थी. एबीपी न्यूज़ ने भी  खुलासा किया था कि किस तरह से अलगाववादी नेताओं तक पैसा पहुंच रहा है.


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