Little Scientist: कहते है सीखने की कोई उम्र नहीं होती लेकिन कम उम्र में बिना किसी के सिखाए कोई बड़ा काम करे तो क्या बात है, इन्दौर के मास्टर यथार्थ जैन ने ऐसे ही कर दिखाया है, उन्होंने भारत के सबसे युवा वैज्ञानिक और भारत के सबसे कम उम्र के आविष्कारक बनने का तमगा हासिल किया है.


दरअसल इंदौर के बख्तावर राम नगर में रहने वाले 5 साल के बच्चे मास्टर यथार्थ जैन ने एक आविष्कार किया है, अपने जीवन के इस प्रारंभिक चरण में, उनके काम को भारत सरकार द्वारा "पेटेंट" के रूप में पंजीकृत किया गया है. वही उनके अद्वितीय सुविधाजनक बोतल डिजाइन के लिए उन्हें पेटेंट से सम्मानित किया गया है.


अपर केजी के छात्र हैं यथार्थ


बता दें यथार्थ इंदौर के मिनी हाइट्स स्कूल में अपर केजी में पढ़ रहे हैं. वह अपनी मां डॉ.चारुल जैन के साथ रहते हैं. जो सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंसेज, इंदौर में स्कूल ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी साइंसेज की एचओडी हैं. वह रोजगार योग्यता कौशल के लिए एक प्रमाणित मास्टर ट्रेनर भी हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कौशल भारत मिशन का एक हिस्सा हैं. उसके पास 3 अंतर्राष्ट्रीय कॉपीराइट भी हैं और वह एक आईपीआर प्रैक्टिशनर हैं.


पेटेंट हुआ बोतल का डिजाइन


यथार्थ ने विशेष रूप से खिलाड़ियों और यात्रियों के उपयोग के लिए एक बोतल का आविष्कार किया है, यथार्थ का कहना है कि बोतल डिजाइन पेटेंट की अवधारणा खिलाड़ियों और यात्रियों के उपयोग के लिए स्पिल प्रूफ बोतल प्रदान करना है. बोतल भौतिकी की अवधारणाओं का उपयोग करके बनाई गई है. उन्होंने "नियंत्रित दबाव की अवधारणा का इस्तेमाल किया है. अवधारणा यह है कि याथार्थ की बोतल के ऊपर एक नल है और बोतल नरम और सुरक्षित प्लास्टिक की है जब कोई बोतल में पानी भरना या कोई पेय पीना चाहे तो यह अत्यधिक सुविधाजनक होगा. पहले उपयोगकर्ता बोतल का नल खोलकर मुंह में रखेगा फिर भी पानी या कोई पेय पदार्थ नहीं निकलेगा. फिर नल से पानी बाहर आने देने के लिए उपयोगकर्ता को बोतल को निचोड़ने के लिए नियंत्रित दबाव डालना होगा जब तक बोतल को निचोड़ा नहीं जाता तब तक खुले नल से पेय नहीं निकलेगा और प्रेशर बंद होते ही पानी की सप्लाई भी बंद हो जाएगी, इसलिए पूरा आविष्कार "नियंत्रित दबाव की अवधारणा पर है." 


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बड़े होकर वैज्ञानिक बनना चाहते हैं यथार्थ


वहीं मास्टर यथार्थ की मां डॉ चारुल जैन का कहना है कि जब भी यथार्थ अपने गेम खेल कर बाहर से घर आते और बोतल से पानी पीते थे तो पानी गिर जाता था. उनका कहना था कि मां ऐसी कोई बॉटल क्यों नहीं आती जिससे पानी न गिरे. इसी सोच के साथ यथार्थ ने इस बॉटल का अविष्कार किया. जिस देख मैं भी चौंक गई, जिसके बाद भारत सरकार को बॉटल का डिजाइन भेजा. पहले 45 दिन अपने ऑनलाइन पोर्टल पर चेक किया. उन्होंने इसे माना यूनिक डिजाइन है तब जाकर इसे पेटेंट अप्रूवल मिला है. बहरहाल यथार्थ बड़े होकर एक बड़े वैज्ञानिक बनने और अपने देश का नाम रोशन करना चाहते हैं.



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