लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सत्ता रूढ़ दल के रूप में यह साल शुरू करने वाली समाजवादी पार्टी के लिये वर्ष 2017 अर्श से फर्श पर लाने वाला साबित हुआ. इस साल ना सिर्फ उसे अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ा, बल्कि विधानसभा चुनाव में करारी हार के रूप में कीमत चुकाते हुए उसे सत्ता से बाहर भी होना पड़ा.
अखिलेश बने अध्यक्ष
एक जनवरी को हुए एसपी के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के स्थान पर दल का अध्यक्ष चुना गया. सत्ता और संगठन पर कब्जे को लेकर अखिलेश और शिवपाल के बीच रस्साकशी ऐसे वक्त शुरू हुई जब प्रदेश के विधानसभा चुनाव बिल्कुल नजदीक आ चुके थे. अखिलेश और मुलायम ने पार्टी तथा उसके चुनाव निशान साइकिल पर अपना-अपना दावा पेश किया और यह लड़ाई चुनाव आयोग तक पहुंची. हालांकि यह लड़ाई अखिलेश ने जीती.
अर्श से फर्श पर गिरी पार्टी
एसपी की अंदरूनी तनातनी की पार्टी को बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी. मार्च में आये विधानसभा चुनाव के नतीजों में पार्टी अर्श से फर्श पर जा पहुंची. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में 403 में से 224 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली एसपी इस साल के चुनाव में महज 47 सीटें पा सकी. एसपी ने मुलायम की मर्जी के बगैर कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और 403 में से 298 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. हालांकि, इस करारी पराजय के बावजूद एसपी पर अखिलेश का वर्चस्व कम नहीं हुआ और कभी मुलायम के वफादार रहे ज्यादातर वरिष्ठ नेता अखिलेश के साथ खड़े नजर आये.
दूसरी बार एसपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बने अखिलेश
एसपी में हाशिये पर पहुंचे शिवपाल ने अपनी अलग राह बनाने के लिये मुलायम की अगुवाई में समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने का एलान किया. पिछली पांच अक्तूबर को आगरा में हुए पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश को लगातार दूसरी बार एसपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया. इसके बाद वक्त ने करवट ली और मुलायम और अखिलेश के रिश्तों में फिर से पुरानी गर्माहट आती दिखी. मुलायम ने 79वां जन्मदिन पिछली 23 नवम्बर को एसपी के राज्य मुख्यालय में ही मनाया.
मुलायम और अखिलेश एक साथ नजर आये
नगर निकाय चुनाव के बीच हुए इस समारोह में मुलायम और अखिलेश अर्से बाद एक साथ नजर आये. राज्य में महापौर की 16 सीटों में से एक पर भी एसपी नहीं जीत सकी. साल 2012 के चुनाव में भी उसका खाता नहीं खुला था. संयुक्त राष्ट्र 2017 में अहम मुद्दों से जूझता रहा, सुरक्षा परिषद में सुधार की मंद गति भारत को रास नहीं आयी