साल 2022 में दुनिया ने कई देशों के बीच के आपसी रिश्ते को खराब होते देखा है. रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से न सिर्फ दोनों तरफ के लोगों की मौत हुई है बल्कि इस युद्ध ने दुनियाभर को भारी खाद्यान्न संकट की ओर धकेल दिया है.  'विस्तारवाद', क्षेत्रीय संघर्ष और तानाशाहों की सनक दुनिया को बड़े खतरे की ओर ढकेल रही है.


सवाल इस बात का है कि क्या साल 2022 के साए से नए साल को मुक्ति मिल पाएगी? ऐसा फिलहाल दिख नहीं रहा है. रूस ने जब पिछली बार यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ी थी तो राष्ट्रपति पुतिन ने 72 घंटे में यूक्रेन को सरेंडर करा देने का दावा किया था. 


लेकिन यूक्रेन को अमेरिकी हथियारों और पश्चिमी मदद देशों की मदद मिल रही है और ये जंग लंबी खिंच रही है. इस बीच बीते पूरे साल में रूस की ओर से कई बार परमाणु युद्ध की भी धमकी दी गई है. लेकिन सिर्फ इसी इलाके में नहीं, पूरी दुनिया कई और देशों की हरकतें भी तनाव बढ़ा रही हैं.


रूस- यूक्रेन 


रूस और यूक्रेन के बीच 10 महीने से अधिक वक्त से खूनी जंग जारी है. इस युद्ध में यूक्रेन के कई इलाके तबाह हो चुके हैं. हजारों निर्दोष लोगों की जानें गईं हैं. इसके अलावा लाखों की संख्या में लोग पलायन के लिए मजबूर हुए हैं. इस युद्ध में दोनों देशों के सैनिकों को नुकसान पहुंचा है. यूक्रेन की सेना भी रूसी सैनिकों के साथ डटकर मुकाबला कर रही है. जंग के खत्म होने के फिलहाल कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिख रहे हैं.


2023 में क्या मोड़ ले सकता है युद्ध?


रूसी राष्ट्रपति पुतिन ये साफ कर चुके हैं कि जीत से कम पर वो मानने वाले नहीं. यूक्रेन शांति का पक्षधर तो है लेकिन युद्ध में वो भी डटकर मुकाबला कर रहा है. यूक्रेन की सरकार इस बात की घोषणा कर चुकी है कि उसकी सेना भी आखिरी दम तक पीछे नहीं हटेगी. दोनों पक्ष जब अड़े हुए हैं तो बातचीत की संभावना भी कमजोर नजर आती है. शांति के लिए किसी पक्ष को अपनी रणनीति बदलने की जरूरत होगी.


आर्मीनिया- अजरबैजान


रूस और यूक्रेन की तरह ही आर्मीनिया और अजरबैजान में इस साल जंग का खतरा मंडरा रहा है. दोनों देशों के रिश्ते की तुलना भारत पाकिस्तान के रिश्ते से की जाती है. आर्मीनिया और अजरबैजान आजादी के समय से ही एक दूसरे के कट्टर दुश्मन रहे हैं. दोनों देशों के बीच से नागोर्नो काराबाख पर कब्जे को लेकर कई दफा युद्ध भी हो चुका है. 


नागोर्नो काराबाख अंतरराष्ट्रीय रूप से अजरबैजान का हिस्सा है जो कि 4400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ. हालांकि इस इलाके पर आर्मेनिया के जातीय गुटों का कब्जा है. दोनों देशों के बीच आर्मीनिया-अजरबैजान के बीच हाल ही में भीषण सैन्य झड़प हुई थी. इस झड़प में दोनों देशों के 100 सैनिकों की हुई मौत थी. वर्तमान के हालात पर बात करें तो तनाव अब भी बरकरार है. 


चीन-ताइवान 


चीन ने एक बार फिर ताइवान पर अपनी नजरें गड़ा ली हैं. विस्तारवादी नीति पर चलने वाला चीन ताइवान आक्रामक नजर आ रहा है. शक्ति प्रदर्शन के नाम पर चीन ने अपनी फौज को ताइवान की तरफ मोड़ दिया है और घुसपैठ की कोशिश की है. अगर बार बार चीन ताइवान को में घुसपैठ की कोशिश करता रहा तो दोनों देशों के बीच जंग की स्थिति बन सकती है. 


चीन, ताइवान पर हमेशा से ही अपना हक मानता है और उसे अपना अहम हिस्सा बताता रहा है. वहीं दूसरी तरफ ताइवान का कहना है कि वह एक स्वतंत्र देश है. यही कारण है कि दोनों ही देशों के बीच काफी लंबे समय से टकराव की स्थिति बनी हुई है. पिछले कुछ सालों में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने तेजी से ताइवान की तरफ लड़ाकू विमान भेजने शुरू किए हैं.


ईरान-इजरायल 


इजराइल-ईरान को एक ऐसा देश मानता है जो उसे इजरायल को मिटाना चाहता है और उसके लिए ईरान सबसे बड़ा खतरा है. वहीं दूसरी ओर, ईरान इजराइल को अमेरिका के समर्थक के और अपने दुश्मन के तौर पर देखता है.


दोनों देशों के रिश्ते उस वक्त सबसे ज्यादा खराब हो गए जब साल 2020 में ईरान के नेताओं ने अपने शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फाखरी जादे की मौत के लिए इजरायल को दोषी ठहराया, जिनकी तेहरान के बाहर एक हाईवे पर गाड़ी से जाते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.


अफगानिस्तान- पाकिस्तान 


पाकिस्तान में इस वक्त हालात खराब हैं. तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ जंग छेड़ रखा है. उन्होंने अपने साथियों से कहा है कि वो जहां से भी हो पाकिस्तान पर हमला करें. इस बीच अब पाकिस्तान ने भी तालिबान के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है. उसने कहा है कि वो टीटीपी पर अफगानिस्तान में घुसकर भी हमला करने को तैयार है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय की तरफ से यह बयान जारी किया गया है.


भारत- चीन 


नौ दिसंबर 2022 को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीनी सेना की भारतीय सेना के साथ हिंसक झड़प हुई. इससे पहले भी 15 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प में जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 सैनिक मारे गए थे. 


पूर्वी लद्दाख विवाद में दोनों देशों के बीच कई बार सैन्य वार्ता भी हो चुकी है लेकिन दिसंबर में हुए झड़प के एक बार फिर सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है. हालांकि भारत की ओर से समझदारी भरे कदम उठाए गए हैं साथ ही चीन की हरकतों पर नजर रखने के लिए भारतीय जवान सीमा पर भारी साजो-सामान के साथ सीना ताने खड़े हैं.