YearEnder 2018: इन वैश्विक थिंक टैंक संस्थाओं ने कुछ ऐसे संवारी/बिगाड़ी भारत की सूरत
वैश्विक स्तर पर भारत की छलांग के क्या मायने हैं, वैश्विक थिंक टैंक संस्थाएं भारत के ओजस्वी भविष्य के मद्देनजर इसके आज को किस नजरिए देखती हैं?
दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में भारत ने बादशाहत कायम रखी है. बीते सालों में भारत सोशल इंडिकेटर्ल पर बेहतर प्रदर्शन करता आया है. देश अपने वैश्विक और एशियाई साथियों को पीछे छोड़ते हुए करोड़ों की आबादी के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ्य वातावरण प्रदान करने को प्रतिबद्ध है. वैश्विक स्तर पर भारत की इस छलांग के क्या मायने हैं, वैश्विक थिंक टैंक संस्थाएं भारत के ओजस्वी भविष्य के मद्देनजर इसके आज को किस नजरिए देखती हैं? इन संस्थाओं के तरफ से जारी की गई रिपोर्ट्स में साल 2018 में भारत की क्या दशा और दिशा रही, आइए नजर डालते हैं.
ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स 2018 आर्थिक और सामाजिक असमानताएं मानव विकास की प्रगति में हमेशा बाधक रही हैं, मगर इसके बावजूद 125 करोड़ से भी अधिक की आबादी वाला देश भारत उच्च मानव विकास वाले देशों को चुनौती दे रहा है. यूनाइटेड नेशन डेवलप्मेंट प्रोग्राम (यूनडीपी) की तरफ के जारी ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स 2018 में भारत को 130वां स्थान हालिस हुआ. पिछले साल के मुकाबले इस इंडेक्स में भारत का नाम एक पाएदान ऊपर दर्ज किया गया. भारत को यह सफलता स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्सनल इनकम में बढ़ोतरी के लिए हासिल हुआ है.
इज ऑफ डूइंग इंडेक्स 2018 वर्ल्ड बैंक की तरफ से जारी इंडेक्स में शीर्ष स्थान हालिस करने का मतलब होता है कि स्थानीय वातावरण में व्यापार का सुमग होना, इसके अवाला व्यापार के संचालन के लिए परिस्थितियां अनुकूल बनी रहें. भारत ने इस साल वर्ल्ड बैंक की तरफ से जारी इज ऑफ डूइंग इंडेक्स 2018 में 33 पाएदान की छलांग लगा कर 77वें स्थान पर पहुंच गया है. भारत को यह सफलता व्यापार स्थापन में बिजली की सुमगता, सिंगल विंडो क्लीयरेंस, आसानी से ऋण मुहैया होना, टैक्स पेमेंट (जीएसटी), और सीमा पार व्यापार (एफडीआई) में आए रिफॉर्म्स के जरिए हासिल हो पाया है.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2018 इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएफपीआरआई) की तरफ से जारी 119 देशों के ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2018 में भारत 103वें पायदान पर है. विश्व की महाशक्ति बनने का सपना देखने वाले देश में खाने जैसी बुनियादी जरूरतों से लोग महरूम हैं. बच्चों में कुपोषण (माल न्यूट्रीशन) की उच्च दर से देश में भूख का स्तर काफी गंभीर है क्योंकि पिछले साल भारत इस इंडेक्स में 100वें स्थान पर था. ये एक बड़ी विडंबना ही कही जा सकती है क्योंकि चीन (25वां स्थान), नेपाल (72), म्यानमार (68), श्रीलंका (67) और बांग्लादेश (86) की स्थिति इस इंडेक्स में भारत से बेहतर है.
ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2018 विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की तरफ से जारी ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2018 में भारत की स्थिति पहले सरीखे ही है. पिछले साल ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत को 108वां स्थान हासिल हुआ इस बार भी उसकी दशा यथावत है. भारत की यह दशा महिलाओं की संभावनाओं को नजरअंदाज करने के कारण हुई है. देश में महिलाएं उम्दा कार्य कर रही हैं मगर उनके लिए अवसरों की कमी बनी हुई है. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि भारत में महिलाओं और पुरुषओं में समानता लाने में 202 साल और लगेंगे.
वर्ल्ड माइग्रेशन इंडेक्स 2018 अपनी संभावनाओं की तलाश में पालायन करने में भारतीय शीर्ष पर हैं. यूनाइटेड नेशन की तरफ से जारी वर्ल्ड माइग्रेशन इंडेक्स 2018 में भारत का पहला स्थान है. पलायान के अच्छे और बुरे पहलुओं पर कई तर्क रखे जा सकते हैं, मगर विश्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट पर हमें ध्यान देना चाहिए. इस रिपोर्ट की मानें तो विदेशों में प्रवास करने वाले भारतीय दुनिया में सबस ज्यादा धन (80 बिलियन अमरीकी डालर) भारत भेजने में कामयाब रहे हैं. यह आंकड़ा चीन के मुकाबले 13 बिलियन अमरीकी डालर ज्यादा है.
ग्लोबल डेमोक्रेसी इंडेक्स 2018 रूढ़िवादी धार्मिक विचारधाराओं के उदय, अल्पसंख्यकों के साथ असंतुष्ट रवैये और हिंसा में हुई वृद्धि के मद्देनजर भारत ग्लोबल डेमोक्रेटिक इंडेक्स में 42वें स्थान पर खिसक गया है. एक धर्मनिरपेक्ष देश के तौर जानें जाने वाले भारत की फिजाओं में दक्षिणपंथी हिंदू ताकतों के मजबूत होने और अल्पसंख्यक समुदायों में व्याप्त भय को तरजीह देते हुए इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (इआईयू) भारत को लोकतंत्र के मंच पर यह स्थान दिया.
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2018 भारत में बोलने की आदाजी के गिरते स्तर को देखते हुए फ्रांस की कंपनी रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डन में भारत वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2018 में 138वां स्थान दिया है. पिछसे साल के मुकाबले इस इंडेक्स में भारत दो पाएदान खिसका है. हेट स्पीच, पत्रकारों की हत्याएं और सोशल मीडिया पर मिल रही धमकियों के चलते भारत में प्रेस की स्वतंत्रता पर सवालिया निशान लगा हुआ है.