भारत की आस्था और संस्कृति का साल, मोदी सरकार के नेतृत्व में इस साल क्या-क्या नया हुआ
साल 2024 में भारतीय संस्कृति ने वैश्विक स्तर पर अपनी छाप छोड़ी. अबू धाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर का उद्घाटन भारतीय कूटनीति की एक बड़ी उपलब्धि थी.
साल 2024 में भारत ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और उसे वैश्विक स्तर पर पेश करने की दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं. साल 2024 की शुरुआत जहां, राम जन्मभूमि अयोध्या में राम लला की ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा से हुई, वहीं दूसरी ओर इसी साल, अबू धाबी में पहले पारंपरिक हिंदू मंदिर के उद्घाटन ने भी भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव को दिखाया. इसके अलावा अमेरिका और भारत के बीच सांस्कृतिक संपत्ति समझौते पर हस्ताक्षर और असम के मोइदम्स को भारत के 43वें यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता मिलना भी भारत के लिए खास रहा.
अयोध्या में राम लला की प्रतिष्ठा
साल 2024 की शुरुआत में ही अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा न केवल धार्मिक नजरिए से महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह भारत के इतिहास में एक नया अध्याय भी लिखती है. यह आयोजन न केवल भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाता है, बल्कि यह विश्व भर के हिंदुओं के लिए एक भावनात्मक पल भी था. इस भव्य समारोह ने अयोध्या के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को फिर से स्थापित किया.
वैश्विक मंच पर भारतीय संस्कृति का प्रभाव
2024 में भारतीय संस्कृति ने वैश्विक स्तर पर अपनी छाप छोड़ी. अबू धाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर का उद्घाटन भारतीय कूटनीति की एक बड़ी उपलब्धि थी. यह मंदिर पारंपरिक हिंदू वास्तुकला के शास्त्रों पर आधारित है और भारत की आध्यात्मिक धरोहर को वैश्विक मंच पर दिखाता है.
इसके अलावा, इसी साल अमेरिका और भारत के बीच सांस्कृतिक संपत्ति समझौते पर हस्ताक्षर भी किए गए. इसके तहत अमेरिका ने 1,400 से अधिक चोरी की गई प्राचीन वस्तुएं भारत को लौटाईं. यह समझौता भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दिखाता है.
युनेस्को से मान्यता
साल 2024 में ही असम के मोइदम्स को भारत के 43वें यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता मिली. यह न केवल असम की सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान है, बल्कि यह भारतीय विरासत के वैश्विक स्वीकार्यता को भी दिखाता है. वहीं, इसी साल, गुजरात में ऐतिहासिक कोचरब आश्रम का पुनर्विकास और संभल में कल्कि धाम का शिलान्यास किया गया.
भाषा और सांस्कृतिक विविधता का साल
भारत की सांस्कृतिक विविधता को सम्मानित करते हुए इस साल असमिया, बंगाली, मराठी, पाली और प्राकृत भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया. इसके साथ ही, पुरी के जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वारों को भक्तों के लिए खोलने का फैसला भी इसी साल लिया गया. भक्त इसके लिए सालों से मांग कर रहे थे.
अर्थव्यवस्था और संस्कृति का साल
यह साल अर्थव्यवस्था और संस्कृति के नजरिए से भी खास रहा. इसी साल संस्कृति और अर्थव्यवस्था को जोड़ने के प्रयासों के तहत बिहार के विष्णुपद मंदिर और महाबोधि मंदिर के लिए कॉरिडोर परियोजनाओं की घोषणा की गई. इन परियोजनाओं से न सिर्फ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी. वहीं, इसी साल गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर के निर्माण की घोषणा भी भारतीय समुद्री इतिहास को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह परियोजना स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी और लगभग 22,000 नौकरियां पैदा करेगी.
महाकुंभ का साल
महाकुंभ 2025 के लिए 2024 से ही तैयारियां शुरू कर दी गई थीं. प्रयागराज में लगने वाला यह आध्यात्मिक मेला, दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला है. माना जा रहा है कि इस मेले में इस बार लगभग 45 करोड़ भक्त और पर्यटक भाग लेंगे.
महिलाओं का सशक्तिकरण
यह साल महिलाओं के सशक्तिकरण का साल रहा. दरअसल, इसी साल गणतंत्र दिवस पर 100 महिला कलाकारों ने परेड का नेतृत्व किया, जो महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल थी. इसके साथ ही, बोडोलैंड महोत्सव और अष्टलक्ष्मी महोत्सव जैसे आयोजनों ने भी भारत की सांस्कृतिक विविधता को दुनिया के सामने रखा.
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