नई दिल्ली: सरकार ने यस बैंक पुनर्गठन योजना को अधिसूचित कर दिया है. इसके मुताबिक संकट में फंसे निजी क्षेत्र के बैंक पर लगी रोक 18 मार्च को हटा ली जाएगी. वर्तमान प्रशासक प्रशांत कुमार को नवगठित बोर्ड का प्रबंध निदेशक और सीईओ नियुक्त किया गया है. गजट अधिसूचना में बताया गया कि यस बैंक पुनर्गठन योजना 13 मार्च, 2020 से प्रभावी होगी.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पांच मार्च को यस बैंक पर रोक लगा दी थी जिसके तहत प्रति जमाकर्ता तीन अप्रैल तक बैंक से अधिकतम 50,000 रुपये ही निकाल सकता था. अधिसूचना में कहा गया, ''पुनर्गठित बैंक पर सरकार द्वारा जारी रोक का आदेश इस योजना के आरंभ की तिथि से तीसरे काम-काजी दिवस को शाम छह बजे से अप्रभावी हो जाएगा.'' यस बैंक की योजना 13 मार्च को अधिसूचित की गई थी इसलिए बैंक पर लगी रोक तीसरे काम-काजी दिवस यानि 18 मार्च को हटा ली जाएगी.
यस बैंक पर आरबीआई का फैसला क्या है?
2019 में 3 लाख 80 हजार 826 करोड़ रुपए की पूंजी वाले यस बैंक पर 2 लाख 41 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज है. बैंक का एनपीए बढ़ा तो RBI ने कमान अपने हाथ में ली. बैंक के निदेशक मंडल को 30 दिन के लिए भंग किया. बैंक की देखरेख के लिए प्रशासक नियुक्त किया गया. SBI के पूर्व डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ फाइनेनशियल ऑफिसर प्रशांत कुमार यस बैंक के नए प्रशासक हैं.
खाता धारकों की बैंक से पैसा निकालने की सीमा 50 हजार रुपए महीना तय कर दी गई. विशेष परिस्थितियों में 5 लाख रुपए तक खाते से निकाले जा सकते हैं. विशेष परिस्थिति का मतलब, पढ़ाई, इलाज और शादी है.
आरबीआई को क्यों उठाना पड़ा ऐसा कदम?
आरबीआई ने कदम इसलिए उठाया है ताकि बैंक की वित्तीय हालत को सुधारा जा सके. खाता धारकों के पैसों को डूबने से बचाया जा सके. RBI को ग्राहकों और बैंक की मदद के इसलिए आना पड़ा क्योंकि 2004 में शुरू हुए यस बैंक की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी.
बैंक कब से गड़बड़ी कर रहा था?
बैंक पर कर्ज का बोझ बढ़ा रहा था और बैंक के शेयर लगातार गिर रहे थे. ग्राहकों को अपने पैसों की चिंता हो रही थी. 2018 से RBI को लग रहा था कि बैंक ने अपने NPA और बैलेंसशीट में गड़बड़ी की है. इसके बाद RBI के दबाव में यस बैंक के चेयरमैन राणा कपूर को पद छोड़ना पड़ा.
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