Budget 2019: मोदी सरकार की बजट घोषणा के साथ आलोचना भी शुरू हो गई है. सरकार ने छोटे और मध्यम किसानों को थोड़ी राहत देते हुए हर साल छह हजार रुपये सीधा बैंक खाते में भेजने की घोषणा की है. सरकार के इस घोषणा को विपक्षी पार्टियां ऊंट के मुंह में जीरा जैसा मान रहे हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने कहा कि किसी किसान को अगर 500 रुपये प्रति माह मिलता है तो इससे क्या लाभ होगा? उन्होंने कहा कि इससे किसानों की जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आएगा. वहीं किसानों के लिए काम करने वाले और स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा कि अगर किसी परिवार में पांच सदस्य हैं तो प्रति व्यक्ति मात्र 3 रुपया 3 पैसा मिलेगा.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''Budget 2019 सही मायने में किसानों के जख्म पर नमक छिड़कने जैसा है. हर साल 6000 रुपये एक परिवार को दिये जाने का 'ऐतिहासिक' फैसला अगर पांच लोगों के परिवार में बांटा जाए तो एक व्यक्ति को 3.3 रुपये प्रति व्यक्ति मिलेगा. यह मनरेगा और वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाले पेंशन से भी कम है.''
उन्होंने आगे कहा, ''सवाल था कि किसानों की आय दुगुनी का वादा करने वाली सरकार ने अब तक कितनी आय बढ़ाई है? लेकिन जवाब देने की बजाए ये तो किसानों के वोट का सौदा करने लग गए! असल मे ₹6000 प्रति वर्ष का मतलब 5 सदस्य वाले परिवार के लिए प्रतिदिन ₹3.3 है। इससे तो एक कप चाय भी नही मिलती, चाय पर चर्चा के लिए!'' वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता ने कहा कि एक किसान को प्रति दिन मात्र 16 रुपया मिलेगा. यह मजाक जैसा है.
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आज के अंतरिम बजट में मोदी सरकार ने किसानों के लिए ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ (प्रधानमंत्री किसान योजना) की घोषणा की है. वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान योजना का लाभ दो हेक्टेयर से कम जोत वाले किसानों को मिलेगा. इसके तहत किसानों को हर साल 6,000 रुपये की सहायता प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये उनके बैंक खाते में भेजी जाएगी. यह राशि उन्हें 2,000-2,000 रुपये की तीन किस्तों में दी जाएगी. पहली किस्त अगले महीने की 31 तारीख तक किसानों के खातों में डाल दी जाएगी.
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वित्त मंत्री ने कहा कि इससे 12 करोड़ छोटे और सीमान्त किसानों को लाभ होगा. उल्लेखनीय है कि हाल में बीजेपी को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा था. माना जा रहा है कि बीजेपी की हार में किसानों और ग्रामीण मतदाताओं की नाराजगी प्रमुख कारण थी. ऐसे में लगातार इस तरह की चर्चा चल रही थी कि सरकार बजट में किसानों को राहत के लिए कुछ बड़ी घोषणा कर सकती है.