'मॉब ने मेरे दादा जी का गंडासे से सिर काट दिया', योगेंद्र यादव ने सुनाई सलीम बनने की कहानी
Lok Sabha Election 2024: योगेंद्र यादव ने कहा कि स्कूल में भी उनका नाम सलीम था, लेकिन बच्चे उन्हें चिढ़ाते थे कि वह अपने मां-बाप के बेटे नहीं हैं क्योंकि उनके माता-पिता हिंदू हैं.
Lok Sabha Election 2024: राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने बताया कि बचपन में उनका नाम सलीम था और आज भी पुराने जानने वाले उन्हें इसी नाम से जानते हैं. उन्होंने कहा कि उनके पिता ने उनकी माता से कहा था कि वह अपने बच्चों का नाम मुस्लिम रखेंगे इसलिए उनको सलीम नाम दिया गया. हालांकि, जब वह स्कूल गए तो बच्चे उनको चिढ़ाते थे तो घरवालों ने नाम बदलकर योगेंद्र रख दिया.
एक टीवी चैनल पर इंटरव्यू में योगेंद्र यादव ने अपने दादा का एक किस्सा शेयर करते हुए कहा कि उनके दादा की हत्या धार्मिक उन्माद के दौरान हुई थी. उन्होंने कहा, 'मेरे दादाजी का 1938 में मॉब ने मर्डर कर दिया था. मेरे दादा का नाम रामसिंह था और वो हिसार शहर में रहते थे. वहां एक दिन पहले शहर में झगड़ा हुआ और उन्मादियों को लगा कि दादाजी के स्कूल के बच्चों ने जाकर किया है.'
मेरे दादा की गंडासे से गर्दन काट दी, योगेंद्र यादव ने कहा
योगेंद्र यादव ने आगे कहा, 'मॉब ने जाकर दादाजी से कहा कि इन लड़कों को निकालो और हमारे हवाले करो. मेरे दादा ने कहा कि इस वक्त तो मैं उनका मामा हूं मैं कैसे कर दूं. वहीं पर उसी वक्त उनका सिर गंडासे से अलग कर दिया गया. मेरे पिताजी ने ये देखा अपनी आंख से. इसका एक मतलब ये हो सकता था कि वह भी मैं हिंदू, मैं हिंदू सम्राट ये सब करते और मुसलमानों से नफरत करते, लेकिन वह गांधी का जमाना था.'
'पिता ने रखी थी बच्चों का नाम मुस्लिम रखने की शर्त'
योगेंद्र यादव ने आगे बताया, 'मेरे पिताजी उस समय 8 साल के थे. उन्होंने पार्टिशन का दौर भी देखा जब मुसलमानों का कत्ल हुआ. उन पर गांधी का बहुत प्रभाव था. उन्होंने मेरी मां से कहा कि बस एक शर्त है कि हमारे बच्चों को मैं मुस्लिम नाम दूंगा. देखिए जिसने ये सब देखा वो कहता है कि मैं अपने बच्चों को मुस्लिम नाम दूंगा. सबसे पहले बेटी हुई उसको नजमा नाम दिया, लेकिन मेरी मां ने हाथ जोड़ लिए कि लड़की को रहने दो फिर शादी नहीं होगी. दूसरी लड़की का भी नाम हिंदू रखा.'
स्कूल में नाम के लिए चिढ़ाते थे बच्चे
उन्होंने कहा, 'तीसरा मैं हुआ और मेरा नाम सलीम रखा गया. ये कोई निक नेम नहीं था. जब स्कूल मैंने ये नाम लिखवाया तो बच्चे बोलने लगे तुम तो अपने मां-बाप के बेटे नहीं हो क्योंकि माता-पिता तो हिंदू हैं. देवेंद्र सिंह और कमला की संतान सलीम कैसे हो सकता है. 2-4 महीने में मैंने घर आकर बोला घरवालों से नाम बदलने को कहा और मेरा नाम योगेंद्र कर दिया, लेकिन भाई-बहन और पड़ोस के लिए मैं अभी भी सलीम ही हूं. पहली बार जब टीवी पर मुझे देखा तो किसी ने मेरी मां को फोन करके कहा कि एक लड़का टीवी पर दिखा वो तो हमारे सलीम जैसा दिखता है, लेकिन उसका नाम कुछ और है.'
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