UP Politics: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की 2017 में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी और अचानक से योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया जाता है. उसके बाद फिर 2022 में योगी आदित्यनाथ के दम पर ही बीजेपी ने यूपी में वापसी की और इसके बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा. हालांकि ये हमेशा कहा जाता रहा कि यूपी में योगी को फ्री हैंड नहीं दिया गया. फिर इस साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में जो बीजेपी की हालत हुई उसके बाद से इस बात की चर्चा जोर पकड़ने लगी. अब सात साल बाद योगी आदित्यनाथ ने जो फैसला लिया उससे लगने लगा है कि वो फ्रंट फुट पर खेलने वाले हैं.
दरअसल, 7 सालों बाद प्रदेश के मुख्य सचिव के रूप में योगी आदित्यनाथ को पसंदीदा अफसर मिला है. उस अफसर का नाम है मनोज सिंह जो 1988 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उनको राज्य की नौकरशाही और राजनीतिक हलकों में एक एक्सीरिएंस शख्स के रूप में देखा जाता है. उनकी कार्यशैली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है जब हाथरस की दुखद घटना घटी उसके तुरंत बाद वो मौके पर पहुंचे. इससे पहले ध्यान नहीं आता कि कोई मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी इतनी जल्दी घटनास्थल पर पहुंचा हो.
मनोज सिंह की किस खासियत के मुरीद हैं योगी आदित्यनाथ?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मनोज सिंह एक लो प्रोफाइल अधिकारी हैं. उनको सोशल मीडिया या फिर किसी इंटरव्यू में भी नहीं देखा जाता है. इसके अलावा मनोज सिंह ऐसे अधिकारी हैं जो अपने ऑफिस में 12 से 14 घंटे काम करते हैं या फिर ये वक्त अपने ऑफिस में ही बिताते हैं. यही चीजें योगी आदित्यनाथ को प्रभावित कर गईं.
योगी आदित्यनाथ ने दे दिया विपक्ष को संदेश
लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनावी जुमला छोड़ते हुए कहा था कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यूपी में योगी आदित्यनाथ की छुट्टी कर दी जाएगी और अमित शाह आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री बनेंगे. हालांकि यूपी में योगी आदित्यनाथ की जो 7 साल बाद मुराद पूरी हुई उससे तो यही लग रहा है कि अरविंद केजरीवाल ने एक चुनावी जुमला छोड़ा था. क्योंकि दुर्गा शंकर मिश्र का कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया और उनकी जगह पर मनोज सिंह को मुख्य सचिव बनाया गया इससे एक संदेश तो गया ही है कि 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में योगी फुल फॉर्म में होंगे.