लखनऊ: पोस्टर विवाद के बीच योगी सरकार ने अध्यादेश लाकर 'उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली अध्यादेश 2020' पास कर दिया है. इस अध्यादेश को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंजूरी भी दे दी है. साथ ही योगी सरकार ने वसूली के लिए एक ट्रिब्यूनल का भी गठन किया है, जो अधिकार के साथ हिंसा के मामले में दोषी लोगों से क्षतिपूर्ति वसूलने का काम करेगी.


इस अध्यादेश के लागू होने के बाद प्रदेश में राजनीतिक जुलूस, प्रदर्शन, हड़ताल व बंद के दौरान सरकारी व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले को अब क्षतिपूर्ति देनी ही होगी. क्षतिपूर्ति के लिए ही राज्य सरकार ने क्लेम ट्रिब्यूनल बनाया है.


अध्यादेश लाकर विवादों में आई योगी सरकार
पोस्टर मामले में योगी सरकार का अध्यादेश लाने का फ़ैसला विवादों में है. इसकी वजह यह है कि 19 दिसंबर को नागरिकता कानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के 57 आरोपियों से एक करोड़ 55 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति का सरकार की तरफ से नोटिस जारी किया गया.


नोटिस के बाद योगी सरकार ने सभी 57 आरोपियों की तस्वीरें और नाम पते बड़े बड़े पोस्टर्स पर चौराहों पर लगवा दिए. इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए रविवार के दिन इस मामले की सुनवाई की.


हाईकोर्ट ने पोस्टर लगाने पर योगी सरकार को फटकार लगाते हुए पोस्टर्स हटाकर 16 मार्च तक रजिस्ट्रार जनरल को अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया. हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई.


सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए मामले को 3 जजों की बेंच को रेफर कर दिया. ऐसे में सोमवार को योगी सरकार को हाईकोर्ट के आदेश पर अनुपालन रिपोर्ट दाख़िल करना है. उसी बीच सरकार ने अध्यादेश लाकर ये जता दिया कि वो किसी भी हाल में पोस्टर मामले में पीछे हटने को तैयार नहीं है. इस मामले में विपक्ष ने योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा है.


दावा अधिकरण को दिए गए कई अधिकार
योगी सरकार के अध्यादेश के मुताबिक़ हिंसा के मामले में ट्रिब्यूनल के फैसले को किसी भी अन्य न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी. ट्रिब्यूनल को आरोपी की संपत्ति अटैच करने अधिकार होगा. साथ ही वह अधिकारियों को आरोपी का नाम, पता व फोटोग्राफ प्रचारित-प्रसारित करने का आदेश दे सकेगा कि आम लोग उसकी संपत्ति की खरीदारी न करें.


अध्यादेश के मुताबिक ट्रिब्यूनल में सदस्यों की संख्या राज्य सरकार जैसा उचित समझे उतनी होगी. जहां दो या दो से अधिक सदस्य हों, वहां उनमें एक सदस्य की नियुक्ति अध्यक्ष के रूप में की जाएगी. किसी क्षेत्र के लिए दो या उससे अधिक ट्रिब्यूनल गठित किए जाएं, वहां राज्य सरकार सामान्य या विशेष आदेश द्वारा उनके मध्य कार्य आवंटन का विनियमन कर सकती है.


ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष रिटायर्ड जिला जज और सदस्य सहायक आयुक्त स्तर का अधिकारी होगा. ट्रिब्यूनल नुकसान के आकलन के लिए क्लेम कमिश्नर की तैनाती कर सकेगा. वह क्लेम कमिश्नर की मदद के लिए प्रत्येक जिले में एक-एक सर्वेयर भी नियुक्त कर सकता है, जो नुकसान के आकलन में तकनीकी विशेषज्ञ की भूमिका निभाएगा.