योगी आदित्यनाथ ने लगातार दूसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. योगी ने लखनऊ के इकाना स्टेडियम में अपने हजारों समर्थकों और बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं की मौजूदगी में शपथ ली. योगी आदित्यनाथ के साथ उनके कई कैबिनेट मंत्रियों ने भी शपथ ली है. जिनमें चुनाव हारने वाले केशव प्रसाद मौर्य भी शामिल थे.
हार के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य बने मंत्री
पिछली योगी सरकार में डिप्टी सीएम रहे केशव प्रसाद मौर्य ने भी कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली है. उन्हें लेकर तमाम अटकलें जारी थीं, क्योंकि केशव प्रसाद इस बार अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं रहे. कौशांबी जिले की सिराथू सीट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद कहा जा रहा था कि केशव प्रसाद मौर्य की कैबिनेट में वापसी मुश्किल है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
वहीं अब उन्हें फिर से डिप्टी सीएम भी बना दिया गया है. अबकी बार योगी सरकार में दो डिप्टी सीएम बनाए गए हैं. केशव प्रसाद मौर्य को सपा-अपना दल (कमेरावादी) की उम्मीदवार पल्लवी पटेल ने उनके ही गढ़ में मात दी. बतौर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को कौशांबी की अन्य सीटों की जिम्मेदारी भी दी गई थी, लेकिन वो इन सीटों पर भी अपनी पार्टी को जीत नहीं दिला पाए. यहां सपा गठबंधन ने ही बाजी मारी. यही कारण है कि केशव मौर्य की कैबिनेट में वापसी को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे.
योगी की शपथ के लिए पिछले कई दिनों से तैयारियां चल रही थीं, क्योंकि बीजेपी ने एक बार फिर भारी बहुमत के साथ यूपी की सत्ता में वापसी की है. ऐसे में आयोजन को काफी भव्य रखा गया, जिसमें बीजेपी के कई मुख्यमंत्रियों को भी न्योता दिया गया. इसके अलावा यूपी में बीजेपी के तमाम कार्यकर्ताओं को इस शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने को कहा गया था.
कुछ ऐसा रहा केशव प्रसाद मौर्य का करियर
केशव प्रसाद मौर्य का जन्म कौशांबी जिले के सिराथू कस्बे में हुआ था. भाजपा सूत्रों के अनुसार, मौर्य ने बचपन में अपने माता-पिता का खेतीबाड़ी में हाथ बंटाया, चाय दुकान चलाई और अखबार भी बेचे. उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अशोक सिंहल के मार्गदर्शन में राजनीति में सक्रिय हुए और अपनी एक अलग पहचान बनाई. मौर्य ने भी हिंदुत्व के एजेंडे को ऊपर रखा. वह विहिप और बजरंग दल में 18 वर्षों तक प्रचारक भी रहे. मौर्य 2002 और 2007 में इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से चुनाव में मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा. इसके बाद संगठन में उन्होंने अपनी सक्रियता बढ़ाई.
BJP ने 2012 में मौर्य को सिराथू विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया और वह चुनाव जीत गये. मौर्य जब सिराथू में BJP उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीते थे, तब आसपास के जिलों में अधिकांश सीटों पर उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. साल 2013 में मौर्य ने इलाहाबाद के एक कॉलेज में एक ईसाई धर्म प्रचारक के आने के विरोध में प्रदर्शन का नेतृत्व किया था. श्री राम जन्मभूमि और गोरक्षा आदि आंदोलनों के दौरान मौर्य जेल भी गये थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में मौर्य को पार्टी ने फूलपुर से उम्मीदवार बनाया और वह रिकार्ड मतों से चुनाव जीत गये. इसके बाद उन्हें 2016 में उत्तर प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया.
प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद मौर्य ने राज्य भर का व्यापक दौरा कर पिछड़े वर्गों का समर्थन जुटाया. उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में BJP ने एक नया कीर्तिमान बनाया. उप्र की 403 विधानसभा सीटों में पार्टी ने 312 और सहयोगी दलों ने 13 सीटें जीत ली. मौर्य को पिछली सरकार में भी उप मुख्यमंत्री बनाया गया था.
ये भी पढ़ें -
ब्रजेश पाठक बने उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम, कुछ ऐसा रहा है राजनीतिक सफर