Uttar Pradesh Politicial Crisis: लोकसभा चुनाव के बाद से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अंदर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. इस तरह के राजनीतिक कयास इसलिए लगाए जा रहे हैं क्योंकि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जहां-जहां भी बैठकें की वहां डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक नहीं पहुंचे थे.


सूत्रों के मुताबिक यूपी के उपमुख्यमंत्रियों के इस  बर्ताव से हाईकमान नाखुश है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर बीजेपी की इस अंतरूनी कलह में आरएसएस किसके साथ है. 


योगी या मौर्य, किसके साथ संघ?


एबीपी न्यूज के खास कार्यक्रम सीधा सवाल में पत्रकार ने कहा, "संघ अभी ये चाह रहा है कि वह किसी के साथ न दिखे. इसी वजह से बीएल संतोष की जो बैठक हुई उसके बाद से चीजें बदलती गई. हालांकि योगी आदित्यनाथ की ताकत जनता के साथ-साथ संघ की तरफ से उनके लिए एक झुकाव भी है."


कार्यक्रम में पत्रकार ने बताया, "सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए माइनस प्वाइंट ये है कि विधायकों का एक बड़ा तबका उनसे असंतुष्ट हैं. बीते कुछ दिनों से योगी इसलिए मीटिंग भी कर रहे हैं ताकि वहां नेता अपनी बात रखें. संजय निषाद ने आकर अपनी समस्या बताई थी, जिसके बाद गोंडा के एसपी पर एक्शन लिया गया था.


योगी आदित्यनाथ के लिए ये है चुनौती


पत्रकार ने बताया, "सपा चीफ अखिलेश यादव ने जिस तरह से पीडीए का कॉम्बीनेशन खड़ा कर दिया है और लगातार उसको मजबूती देते जा रहे हैं, ये बीजेपी लिए चिंता की बात है. बीजेपी नेताओं की चिंता ये भी है कि योगी आदित्यनाथ की अगुआई में वे पीडीए से नहीं लड़ सकते हैं. बीजेपी विधायकों का एक तबका यह मानता है कि योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व का एजेंडा बढ़ा सकते हैं, लेकिन उससे 2027 का विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाएंगे, क्योंकि पीडीए के सामने योगी आदित्यनाथ का फॉर्मूल काम नहीं करेगा."


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