यूपी की बीजेपी सरकार में फिर दो डिप्टी सीएम हो सकते हैं. उत्तराखंड में पुष्कर धामी को मुख्य मंत्री बनाए जाने के बाद से केशव मौर्य पर सस्पेंस ख़त्म हो सकता है. धामी की तरह ही केशव भी चुनाव हार गए हैं. लेकिन केंद्रीय नेतृत्व की उन पर पूरा भरोसा है. योगी की पिछली सरकार में वे डिप्टी सीएम थे तो सब कुछ ठीक रहा तो इस बार भी वे योगी के साथ 25 मार्च को शपथ लेंगे. ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से उन्हें ये ज़िम्मेदारी दिए जाने के संकेत मिल चुके हैं.


मौर्य यूपी बीजेपी में पिछड़ी बिरादरी के सबसे बड़े नेता हैं. चुनाव हारने के बावजूद उन्हें बड़ी ज़िम्मेदारी देकर पार्टी पिछड़ों में एक पॉलिटिक्स मैसेज देना चाहती है. बीजेपी की नज़र अगले लोकसभा चुनाव पर है. इस बार का मंत्रिमंडल मिशन 2024 को ध्यान में रखते हुए ही बनाया जा रहा है.


बेबी रानी मौर्य हो सकती हैं यूपी की डिप्टी सीएम


मिशन 2024 के तहत ही दूसरा डिप्टी सीएम इस बार किसी ब्राह्मण नेता के बदले एससी समाज से बनाए जाने की चर्चा है. वो भी जाटव बिरादरी से. इस बिरादरी के लोग अब तक बीएसपी को वोट करते रहे हैं. बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी इसी बिरादरी की हैं. इस समाज से डिप्टी सीएम की रेस में बेबी रानी मौर्य का नाम सबसे आगे है. बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौर्य पहली बार आगरा ग्रामीण से विधायक चुनी गई हैं. ठीक चुनाव से कुछ महीने पहले उत्तराखंड के राज्यपाल से हटा दिया गया था. 


असीम अरूण भी रखते हैं जाटव बिरादरी से ताल्लुक


कन्नौज से चुनाव जीते पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरूण भी जाटव बिरादरी से हैं. चुनाव से ठीक पहले उन्होंने आईपीएस की नौकरी छोड़ दी थी. उनकी छवि एक ईमानदार और तेज तर्रार पुलिस अफ़सर की रही है. उनके पिता श्रीराम अरूण भी दो दो बार यूपी के डीजीपी रहे थे. बीजेपी को लगता है यही मौक़ा है जब मायावती के वोट बैंक को अपना बनाया जा सकता है. CSDS के सर्वे भी इस बात की ओर इशारा करते हैं. हाल में हुए विधानसभा चुनाव में 21 प्रतिशत जाटव ने बीजेपी को जबकि 65 फ़ायदा ने बीएसपी को वोट किया है. अब तक ये लारा का सारा वोट मायावती की पार्टी के मिलता रहा था. यूपी में क़रीब 12 प्रतिशत जाटव हैं.


पिछली सरकार के कई चेहरे किये जाएंगे ड्राप


योगी सरकार में ताकतवर कैबिनेट मंत्री रहे एक विवादित चेहरे को इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकती है. मंत्री रहते उन पर कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लगे. कहा जा रहा है कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व उनके काम काज से नाराज़ है. इसी लिए इस बार के चुनाव में उन्हें कोई ज़िम्मेदारी तक नहीं दी गई. इसी तरह पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक विवादित चेहरे को भी इस बार ड्रॉप किया जा सकता है. योगी की पिछली सरकार में वे मंत्री थे लेकिन उनके व्यवहार के कारण उनके इलाक़े के लोग उनसे बड़े नाराज़ हैं. वे चुनाव तो जीत गए हैं लेकिन उनकी ये जीत मोदी की जीत है.


पश्चिमी यूपी में बेहतर रहा है बीजेपी का प्रदर्शन


मंत्रिमंडल गठन को लेकर जो अब तक चर्चा हुई है उसके मुताबिक़ इस बार पिछली बार के मुक़ाबले युवा मंत्रिमंडल होगा. इस बार कुछ ऐसे चेहरों पर भी दांव लगाने की तैयारी है जो किसी न किसी फ़ील्ड में एक्सपर्ट हैं. किसान आंदोलन और जाट बिरादरी की नाराज़गी के बावजूद पश्चिमी यूपी में बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर रहा.


इसीलिए पार्टी ने इस बार इस इलाक़े के विधायकों को ईनाम में मंत्री बनाने का फ़ैसला किया है. पिछले कई सालों से संगठन में काम कर रहे दो नेताओं को भी मंत्री बनाने का फ़ैसला हुआ है. इस बार ज़ोर अति पिछड़े और दलित समुदाय पर है.


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