लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैंक अधिकारियों से किसानों के कर्ज को लेकर अनुरोध किया है. योगी ने बैंक अधिकारियों से कहा कि वे फसल की कर्ज माफी योजना से लाभान्वित होने वाले किसानों को कर्ज अदायगी के लिए न तो कोई नोटिस जारी करें और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करें. योगी ने यहां सभी बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों की विशेष राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति को संबोधित करते हुए इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि बैंकों के सहयोग के चलते फसल ऋण माफी योजना को मुकम्मल शक्ल दी जा सकती है.
उन्होंने कहा, "यह कार्य तभी पूरा होगा जब प्रदेश के प्रत्येक पात्र छोटे और सीमान्त किसानों के खाते में राज्य सरकार की तरफ से दी गयी राहत को पहुंचा दिया जाए." उन्होंने बैंक अधिकारियों से कहा कि वे इस योजना से लाभान्वित होने वाले किसानों को कर्ज अदायगी के लिए न तो कोई नोटिस जारी करें और न ही उनके विरूद्ध कोई कार्रवाई करें.
राज्य की 22 करोड़ जनता का होगा विकास
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की 22 करोड़ जनता का विकास, सीधे तौर पर गांवों के विकास से जुड़ा है. राज्य के समग्र विकास के लिए अवस्थापना सुविधाओं के विकास के साथ-साथ रोज़गार के अवसर को बढावा देने और ग्रामीण जनता के लिये कल्याणकारी कार्यक्रम चलाये जाने के लिए बैंकों का सहयोग आवश्यक है. जिससे किसान, गांव और गरीब की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार आये.
उन्होंने कहा कि प्रदेश की लगभग 78 फीसदी जनसंख्या गांवों में निवास करती है और अपनी आजीविका के लिए ज्यादातर कृषि पर निर्भर है. प्रदेश में किसानों की कुल संख्या का लगभग 93 फीसदी छोटे और सीमान्त किसान हैं. स्पष्ट है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था काफी हद तक छोटे और सीमान्त किसानों पर निर्भर है. पिछले सालों में दैविक आपदाओं- सूखा, बाढ़ और ओलावृष्टि का सर्वाधिक कुठाराघात इन किसानों को ही झेलना पड़ा है, जिसके कारण ये किसान बैंकों से लिये गये फसली कर्ज की अदायगी भी नहीं कर पा रहे हैं. इन परिस्थितियों में उनके सूदखोरों और साहूकारो के मकड़जाल में फंसने की प्रबल सम्भावनायें हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका सीधा प्रभाव कृषि क्षेत्र की उत्पादकता पर पड़ना तय है, जो राज्य के विकास की गति को सीधे तौर पर अवरूद्ध करेगा. प्रदेश के छोटे और सीमान्त किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और उन्हे पुन: मुख्य धारा में वापस लाने के लिए, राज्य सरकार की तरफ से उनके एक लाख रुपये तक के फसली कर्ज को माफ करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि इसके अलावा किसानों के एनपीए कर्ज को एकमुश्त समाधान (ओटीएस) के तहत राज्य सरकार की वित्तीय सहायता से 'राइट आफ' किये जाने का निर्णय भी लिया ताकि ऐसे किसान पुन: बैंकिंग सेवाओं का लाभ ले सकें जिन्हें कर्ज में डूबे होने के चलते बैंकों ने फसली ऋण देना बंद कर दिया था.
योजना को सफल बनाने के लिए जिला तंत्र को जोड़ा गया
योगी ने कहा कि फसली ऋण योजना के प्रभावी क्रियांवयन के लिए बैंकों के साथ-साथ जिला तंत्र को भी जोड़ा गया है. इसके लिए जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गयी है. जिलाधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि योजना का लाभ प्रत्येक पात्र किसान तक पहुंचे और योजना की जानकारी गांव-गांव तक पहुंचाई जाए.
उन्होंने कहा कि योजना में पार्यदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लाभान्वित होने वाले किसानों के बैंक खातों को आधार से लिंक कराया जाय. बैंकर्स जिला प्रशासन से आवश्यक समन्वय करते हुए आवश्यकतानुसार किसानों की केवाईसी औपचारिकतायें भी पूर्ण कराए. राज्य सरकार का साल 2017-18 का बजट पारित होने के तत्काल बाद छोटे और सीमान्त किसानों की फसल कर्ज माफी की समतुल्य धनराशि, बैंकों को उपलब्ध करा दी जाएगी. इस योजना से लाभान्वित होने वाले किसानों को कर्जमाफी संबंधी प्रमाण-पत्र शिविर लगाकर उपलब्ध कराये.
योगी ने कहा कि प्रदेश में जिस संख्या में बैंक की शाखाएं होनी चाहिए थी, वह नहीं हैं. वर्तमान में यहां 16,583 बैंक शाखाएं हैं, जिनमें 8,176 ग्रामीण शाखाएं हैं. प्रदेश में प्रति बैंक शाखा जनसंख्या का औसत लगभग 12,000 है, जबकि अखिल भारतीय स्तर पर यह औसत लगभग 9,000 है. इसी प्रकार प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति बैंक शाखा जनसंख्या का औसत लगभग 21,000 है, जबकि अखिल भारतीय स्तर पर यह औसत लगभग 17,400 है. इस प्रकार अखिल भारत की तुलना में उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखायें अपर्याप्त हैं.
डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के साथ गांवों में खोली जाएंगी बैंकों की शाखाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार की तरफ से डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने और प्रदेश के अन्तिम व्यक्ति तक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच को दृष्टिगत रखते हुए राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकाधिक बैंक शाखायें स्थापित करना जरूरी है. उन्होंने बैंकों से आग्रह किया कि भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश के अनुरूप आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में अधिक से अधिक 'बैंकिंग आउटलेट' खोले जाएं, ताकि लोगों को आसानी से बैंकिंग सेवा और सुविधायें मिल सकें. इस संकल्प को पूरा करने के लिये राज्य सरकार बैंकों को यथा सम्भव हर सुविधा उपलब्ध कराएगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बैंकों और बैंकर्स की सुरक्षा के लिए भी संवेदनशील है.
योगी ने कहा कि प्रदेश की अधिकांश आबादी आर्थिक रूप से कृषि पर निर्भर है. राज्य सरकार किसानों के कल्याण और उनकी आर्थिक समृद्धि के लिए कृत संकल्पित है, इसलिए कृषि, उद्यान, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन और सहकारिता को प्रोत्साहित करते हुए किसानों की आय साल 2022 तक दोगुना करने का काम शुरू किया गया है. यह लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकेगा जब कृषि उत्पादन में वृद्धि हो. इसके लिए किसानों को नयी तकनीक से जोड़ने, कृषि में निवेश के साथ-साथ वैज्ञानिक विधियों को बढ़ाने की दिषा में प्रभावी प्रयास किए जाए.
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार खाद्य प्रसंस्करण और अन्य प्रकार के मूल्य संवर्धन कार्य-कलापों को बढ़ाने और मण्डियों को आनलाइन जोड़ने पर भी बल दे रही है. योगी ने कहा कि उपलब्ध संसाधनों को तेजी से बढ़ाते हुए प्रदेश की विकास दर को 10 प्रतिशत तक प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, क्योंकि ऐसा होने पर ही राज्य के विकास के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे.
उन्होंने कहा कि राज्य में बैंकों के योगदान की समीक्षा से स्पष्ट है कि बैंकों के ऋण-जमानुपात में पिछले साल की तुलना में इस साल मार्च, 2017 तक लगभग नौ फीसदी की गिरावट आयी है. उत्तर प्रदेश के 18 जनपद ऐसे है जिनका ऋण-जमानुपात 40 प्रतिशत से भी कम है जो अधिकाशतया पूर्वाचल से संबंधित हैं. जनपद सिद्धार्थनगर, आजमगढ़, जौनपुर और गाजीपुर का ऋण जमानुपात 25 प्रतिशत से भी कम है. इससे प्रदेश के विकास में क्षेत्रीय समानता स्पष्ट दिखायी देती है. उन्होंने कहा कि पूर्वी क्षेत्र के विकास के लिए एक सुदृढ़ कार्ययोजना बना कर इन क्षेत्रों में अधिक से अधिक ऋण वितरित किए जाएं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और स्टैण्ड-अप इण्डिया योजना के अन्तर्गत भी अपेक्षित ऋण वितरण नहीं किया गया है. प्रदेश में बैंकों की शाखाओं के दृष्टिगत स्टैण्ड-अप इण्डिया योजना के अन्तर्गत यदि एक अनुसूचित जाति-जनजाति के लाभार्थी और एक महिला लाभार्थी को ऋण दिया जाय तो, प्रतिसाल 33,000 नये उद्यमी प्रदेश के आथर्कि पटल पर तैयार होंगें, जो प्रदेश के सार्थक विकास में अहम भूमिका का निर्वाह करेंगे.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अन्तर्गत बैंकों ने उत्तर प्रदेश में 15 जून, 2017 तक तीन लाख लाभार्थियों को ऋण स्वीकृत किये है. इस प्रकार प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में भी बैंकों ने उत्तर प्रदेश की बड़ी जनसंख्या के बावजूद कम ऋण वितरण किया है. उन्होंने बैंकों से इन दोनों योजनाओं के अन्तर्गत लाभार्थियों की जरूरतों के अनुरूप अधिक से अधिक ऋण वितरण करने की अपेक्षा की.