लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने धर्मांतरण को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी है. आयोग ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए तीन महीने में धर्मांतरण को लेकर अपनी रिपोर्ट बनाई है. यह रिपोर्ट गुरुवार को विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एएन मित्तल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ को सौंपी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि धर्मांतरण के लिए नियम कायदे क्या होने चाहिए और जबरन धर्मांतरण कराने वालों को क्या सज़ा मिलनी चाहिए.


उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एएन मित्तल ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि हमने 3 महीने में रिपोर्ट तैयार करके सरकार को सौंप दी है. अब सरकार विभागीय परीक्षण कर मंत्री और अन्य अधिकारियों के समक्ष रखा जाएगा. अगर विधिक पहलुओं के आधार पर सहमति बनी तो सरकार धर्मांतरण को लेकर कानून बना सकती है. उन्होंने कहा कि देश में 10 राज्यों में पहले से जबरन धर्मांतरण को लेकर कानून है. उन कानूनों कर साथ साथ पड़ोसी देशों के कानून को भी पढ़कर इस रिपोर्ट को बनाया गया है.


जस्टिस मित्तल ने कहा कि हमारी रिपोर्ट में मुख्यतः ईसाई धर्म को धर्मान्तरण करने में लीन पाया गया है. उन्होंने बताया कि मीडिया रिपोर्ट्स को आधार रखकर रिपोर्ट में कुछ प्रावधान किए गए हैं. इसके तहत जो प्रस्ताव दिए गए हैं, उसमें न्यूनतम एक वर्ष और अधिकतम 7 वर्ष की सज़ा के लिए प्रावधान किया गया है. धर्मांतरण करने वाले शख्स को ये स्वतंत्रता है कि वो कोई भी धर्म अपना सकता है. ऐसे में जबरन धर्मांतरण को लेकर यह कानून है. धर्म परिवर्तन करने वालों को प्रशासन को पहले और धर्म परिवर्तन के 21 दिन बाद भी सूचना देनी होगी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से मुलाक़ात हुई और सीएम की तरफ से सकारात्मक रूख़ देखने को मिला है.


जस्टिस मित्तल के साथ रिपोर्ट बनाने वाली आयोग की सचिब सपना त्रिपाठी ने कहा कि यूपी विधानसभा में 1952 से लेकर अबतक धर्मांतरण को लेकर जो सवाल पूछे गए और साथ ही मीडिया की रिपोर्ट्स को आधार रखकर यह रिपोर्ट तैयार की गई है. मुख्यमंत्री से मुलाक़ात में सीएम का रूख़ सकारात्मक मिला है. सचिव सपना त्रिपाठी ने कहा कि लालच देकर, मदद के नाम पर या किसी अन्य तरीक़े से जबरन धर्मांतरण कराया गया है तो वो अपराध की श्रेणी में आएगा. उन्होंने बताया कि ईसाई और इस्लाम को इस काम मे ज़्यादा संलग्न पाया गया है.


इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा ने कहा कि यूपी में धर्मांतरण को लेकर कानून लाया जाना बड़ा मुद्दा हो सकता है. उन्होंने कहा कि जिस तरह की राजनीति सीएम योगी आदित्यनाथ करते रहे हैं, इससे उनको राजनैतिक फ़ायदा हो सकता है.उन्होंने कहा कि सरकार इस क़ानून के ज़रिए लोगों का समर्थन प्राप्त कर सकती है और इसका फ़ायदा आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है. हालांकि सपा, बसपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों के लिए इसके पक्ष या विपक्ष में कुछ भी कहना मुश्किल हो सकता है.


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब गोरखपुर के सांसद थे, तब न सिर्फ यूपी बल्कि देशभर में ऐसे मुद्दों पर खुलकर बोलते रहे हैं. योगी घर वापसी के प्रबल समर्थक रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि यूपी में धर्मांतरण रोकने के लिए विधि आयोग की शिफारिशों को सरकार मानकर जल्द एक कानून ला सकती है. ऐसे में अगर यह कानून बनता है तो यूपी देश का 11वां ऐसा राज्य बन जायेगा जहां धर्मांतरण को लेकर कानून है.


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