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जयललिता के जीवन के इस पहलू को आप शायद ही जानते हों!
नई दिल्ली: आज शायद ही जनाते हों की आज दक्षिण भारत में खासकर तमिलनाडु के लोगों के बीच भगवान की तरह पूजी जाने वाली जयललिता एक वक्त तमिल फिल्म इंडस्ट्री की सुपर स्टार थीं. उन्होंने बॉलीवुड में धर्मेंद्र के साथ भी एक फिल्म में काम किया था.
पहले फिल्मों में कामयाबी और फिर फिल्मों से राजनीति का सफर जयललिता ने बेहद कामयाबी से तय किया. लेकिन अपने राजनीति के सफर में जयललिता ने जो उतार-चढ़ाव देखे हैं वो उतने ही नाटकीय हैं कि वो फिल्मी कहानी का रूप ले सकते हैं. एक खूबसूरत दिल मोहने वाली हीरोईन से सख्त आयरन लेडी तक का सफर जयललिता के लिए आसान नहीं रहा है. इन सालों में जयललिता ने देखी है उन्हें मारे जाने की साजिश, उन्हें कुर्सी से उखाड़ फेंकने के दांव-पेंच और भ्रष्टाचार के ऐसे आरोप जो किवदंती तक बन गए. लेकिन हर बार जयललिता इन सबसे निजात पाने में कामयाब रहीं. जयललिता का जन्म एक तमिल परिवार में 24 फरवरी, 1948 में हुआ और वो कर्नाटक के मेलुरकोट गांव में पैदा हुई. मैसूर में संध्या और जयरामन दंपति के ब्राह्मण परिवार में जन्मीं जयललिता की शिक्षा चर्च पार्क कॉन्वेंट स्कूल में हुई. जयललिता के पिता का तब निधन हो गया था जब वे केवल दो वर्ष की थीं. उनकी मां जयललिता को साथ लेकर बेंगलुरू चली गई थीं जहां उनके माता-पिता रहते थे. बाद में उनकी मां ने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया. जयललिता ने पहले बेंगलुरू और बाद में चेन्नई में अपनी शिक्षा प्राप्त की. कहा जाता है कि जब जयललिता स्कूल में पढ़ ही रही थीं तभी उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए राजी कर लिया था. उनकी पहली फिल्म एक अंग्रेजी फिल्म ‘एपिसल’ आई . 15 साल की उम्र में तो उन्होंने कन्नड़ फिल्मों में अभिनेत्री का काम करना शुरू कर दिया था. इसके बाद उन्होंने तमिल फिल्मों का रूख किया. दिलचस्प ये है कि जयललिता उस दौर की पहली ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने स्कर्ट पहन कर भूमिका की जिसे उस दौर में बड़ी बात माना गया. उस ज़माने के सबसे लोकप्रिय अभिनेता एम जी रामचंद्रन के साथ उनकी जोड़ी बहुत ही मशहूर हुई. 1965 से 1972 के दौर में उन्होंने अधिकतर फिल्में एमजी रामचंद्रन के साथ की. फिल्मी कामयाबी के दौर में उन्होंने 300 से ज़्यादा तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में काम किया. अपने राजनैतिक गुरू एम जी रामचंद्रन के साथ उनका दूसरा दौर राजनीति में शुरू हुआ. एमजी रामचंद्रन जब राजनीति में चले गए तो करीब दस साल तक उनका जयललिता से कोई नाता नहीं रहा. लेकिन 1982 में एम जी रामचंद्रन उन्हें राजनीति में लेकर आए. हालांकि इस बात से जयललिता ने हमेशा इंकार किया. रामचंद्रन चाहते थे कि जयललिता राज्यसभा पहुंचे क्योंकि उनकी अंग्रेजी बहुत अच्छी थी. जयललिता 1984-1989 तक राज्यसभा सदस्य बनीं और साथ ही उन्हें पार्टी का प्रचार सचिव भी नियुक्त किया गया. इस जिम्मेदैरी को भी जयललिता ने बखूबी निभाया.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
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