Andhra Pradesh: 27 साल पुराने मामले में YSRCP नेता को कोर्ट ने भेजा जेल, आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में थे पार्टी के उम्मीदवार
Andhra Pradesh News: वाईएसआरसीपी नेता के अलावा नौ और दोषियों को दलित उत्पीड़न मामले में कोर्ट ने दोषी ठहराया है. सेशन कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक इस मामले की सुनवाई चलती रही.
AP Assembly Election 2024: आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी के नेता थोटा त्रिमुरथुलु को विशाखापत्तनम की विशेष अदालत ने 27 साल पुराने मामले सजा सुनाई. विधायक थोटा त्रिमुरथुलु को दो दलित युवकों के साथ उत्पीड़न के मामले में 18 महीने की सजा और 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. जज ने इस मामले अन्य नौ आरोपियों थोटा बाबुलु, थोटा रामू, थोटा पुंडरीकक्षुडु, थलातम मुरली मोहन, देवल्ला किशोर, थोटा श्रीनु, मंचम प्रकाश और अचंता राम सत्यनारायण को छह महीने कैद और 22-22 हजार रुपये का जर्माना लगाया.
विधानसभा चुनाव उम्मीदवार हैं थोटा त्रिमुरथुलु
इस मामले के दोषी मंचम प्रकाश की मुकदमें के दौरान ही मृत्यु हो गई. थोटा त्रिमुरथुलु वर्तमान में राज्य विधान परिषद सदस्य हैं. इसके अलवा वे 13 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में कोनसीमा जिले की मंडापेटा विधानसभा सीट से वाईएसआरसीपी के टिकट पर उम्मीदवार भी हैं. कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद थोटा त्रिमुरथुलु ने जमानत याचिका दायक की.
जानें क्या है पूरा मामला?
यह घटना 29 दिसंबर 1996 की है, उस समय पेद्दा कापू समुदाय से आने वाले थोटा त्रिमुरथुलु गोदावरी जिले के रामचंद्रपुरम विधानसभा से निर्दलीय विधायक थे. तत्कालीन विधायक त्रिमुरथुलु के लोग पांच दलित युवाओं कोटि चिन्ना राजू, ददाला वेंकटरत्नम, चल्लापुड़ी पट्टाभिरामय्या, कनिकेला गणपति और पुव्वला वेंकटरमण को गांव से उठाकर विधायक के आवास पर लेकर आ गए. वहां चिन्ना राजू और वेंकटरत्नम का सिर मुडवा दिया गया और बाकी के तीन लोगो को बुरी तरह पीटा. सभी पीड़ितों की उम्र 25-30 साल के बीच थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सभी दलित युवक वहां स्थानीय मतदान केंद्र में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के पोलिंग एजेंट के रूप में काम कर रहे थे. रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ितों ने साल 1994 के विधानसभा चुनाव में विधायक त्रिमुरथुलु की ओर कथित तौर पर किए जा रहे धांधली का विरोध किया था. ये लोग इसके बाद भी विधायक के खिलाफ अपनी आवाज उठाना जारी रखे. इस बात ने गुस्सा होकर विधायक त्रिमुरथुलु ने उन सभी लोगों ने बदला लेने के उद्देश्य से इस घटना को अंजाम दिया.
पुलिस ने 7 जनवरी 1997 को त्रिमुरथुलु को गिरफ्तार कर उनेक और उनके अन्य साथियों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट समेत अलग-अलग धाराओं में ममला दर्ज किया था. चार्जशीट जारी होने बाद विधायक सहित सभी लोग जमानत पर बाहर आ गए. इसके बाद मामले की सुनवाई लगातार चलती रही और आरोपी सेशन कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक चक्कर लगाते रहे.