नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ट्रेनों की टाइमिंग को लेकर बड़ा सुधार करने जा रहा है. इसके लिए रेलवे ने 'ज़ीरो बेस्ड' टाइम टेबल तैयार किया है. यह टाइम टेबल सामान्य ट्रेनों के शुरू होते ही लागू किया जाएगा. हालांकि, कोरोना संकट को देखते हुए अभी स्पेशल ट्रेनें ही चलती रहेंगी.
पिछले कई दशकों से राजनीतिक मांग पर ट्रेनों के स्टॉपेज भी बढ़ाये गए हैं. वोट बैंक और नेताओं के विरोध के डर से कई बिना मांग वाली ट्रेनें भी चल रही हैं, जिनकी आधी से ज़्यादा सीटें खाली ही रहती हैं. इसलिए रेलवे ने अधिकतर खाली जाने वाली 500 ट्रेनों को चिन्हित कर उन्हें बंद करने का फैसला किया है.
रेलवे के अनुसार नए टाइम टेबल में इस बात का खयाल भी रखा गया है कि बंद की गई ट्रेनों का प्रभाव यात्रियों पर न पड़े. यात्रियों के लिए उन ट्रेनों की जगह दूसरी ट्रेनों का विकल्प मौजूद रहेगा.
किन-किन स्टॉपेज को बंद किया जाएगा
जिन 10,000 स्टॉपेज को बंद किया जा रहा है, उनमें से अधिकतर स्टॉपेज धीमें चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों के हैं. जिन पैसेंजर ट्रेनों में किसी ‘हॉल्ट स्टेशन’ पर कम से कम 50 यात्री चढ़ते या उतरते हों, वहां का स्टॉपेज ख़त्म नहीं किया जाएगा. लेकिन जहां 50 से भी कम यात्री चढ़ते-उतरते हों, ऐसे सभी स्टॉपेजों को नए टाइम टेबल में ख़त्म कर दिया गया है.
बढ़ जाएगी ट्रेनों की स्पीड
बिना मांग वाली ट्रेनों को रद्द करने और कुछ ट्रेनों के स्टॉपेज कम करने से अब कई ट्रेनों की स्पीड बढ़ जाएगी. योजना के मुताबिक, नए टाइम टेबल में कुछ मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों को सुपरफास्ट ट्रेन का दर्ज़ा भी दिया जाएगा. बता दें कि सुपरफास्ट ट्रेनें वो होती हैं, जिसकी औसत रफ्तार 55 किलोमीटर प्रति घंटे से ज़्यादा होती है. इससे सुपरफास्ट चार्ज के रूप में रेलवे की आय भी कुछ बढ़ जाएगी.
क्या होता है जीरो बेस्ड टाइम टेबल
जीरो बेस्ड टाइम टेबल वो होता है जिसमें टाइम टेबल तैयार करते समय ट्रैक पर कोई ट्रेन नहीं होती है. यानी प्रत्येक ट्रेन को नई ट्रेन की तरह समय दिया जाता है. इस तरह एक-एक कर सभी ट्रेनों के चलने का समय तय किया जाता है. इससे हर ट्रेन के चलने और किसी स्टॉपेज पर रुकने का सुरक्षित समय दिया जाता है, जिससे वो ट्रेन न तो किसी अन्य ट्रेन की वजह से ख़ुद लेट हो और न ही किसी दूसरी ट्रेन को प्रभावित करें.
आम तौर पर रेलवे का नया टाइम टेबल जुलाई में लागू होता है. इस साल कोरोना संकट के कारण इसके लागू होने की नौबत नहीं आ सकी. दरअसल, हर साल कई नई ट्रेन शुरू की जाती हैं, जिनको अगले साल रेलवे टाइम टेबल में जगह देनी पड़ती है. इसीलिए हर साल नए टाइमटेबल की ज़रूरत पड़ती है. हालांकि नए टाइम टेबल में मामूली सा ही अंतर होता है. कुछ एक ट्रेनों का समय 5 मिनट से अधिकतम 15 मिनट तक आगे या पीछे किया जाता है.
रेलवे ने लॉकडाउन में कराया ट्रैक में सुधार
कोरोना संकट के दौरान सिर्फ़ 230 स्पेशल ट्रेनें ही चल रही हैं, जिसके कारण नए टाइम टेबल को लागू करना अधिक आसान है. लॉकडाउन से लेकर अब तक अधिकतर पटरियां ख़ाली हैं. इसका फ़ायदा उठाते हुए रेलवे ने हर तरह के सुधार कार्य को आगे बढ़ाया है, जिससे अब ट्रेन की स्पीड बढ़ाई जा सकती है. स्पीड बढ़ाने के लिए स्टॉपेज को कम कर देने से बढ़ी हुई स्पीड और प्रभावी हो जाएगी.
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