Zoho CEO Sridhar Vembu: ज़ोहो के सीईओ श्रीधर वेम्बू को हाल ही में सोशल मीडिया पर ग्राउंडिंग थैरेपी को लेकर सुर्खियां बटोरनें में जुटे हुए हैं. इस दौरान श्रीधर वेम्बू ने बताया कि वो पिछले काफी समय से नंगे पैर धरती पर चलते हैं. जिसके कारण उनके स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ा है. वेम्बू का कहना है कि उन्हें एक दोस्त के जरिए इस थेरेपी का पता चला था. उसके बाद से जब भी जरूरी होता है तो वे नंगे पैर चलते हैं. इससे बाडी को हील होने में काफी मदद मिलती है.
सीईओ श्रीधर वेम्बू के दावे पर एक डॉक्टर ने ट्रोल किया था, जो एक्स पर 'दलिवरडॉक' के नाम से जाना जाता है. 'दलिवरडॉक' ने नंगे पैर चलने के लाभों पर एक पोस्ट के लिए वेम्बू की आलोचना की. उन्होंने कहा कि श्रीधर वेम्बू को साइंटिफिक टेम्परामेंट की बात करनी चाहिए. क्योंकि, इस ग्राउंड थेरेपी को आज तक किसी भी साइंटिफिक स्टडी में साबित नहीं किया जा सका है.
बिल्कुल बकवास और बेकार स्टडी
इस मामले पर 'दलिवरडॉक', जिसके ट्विटर पर 274K से ज़्यादा फ़ॉलोअर हैं. उन्होंने विरोध किया है. उनका कहना है कि "ग्राउंडिंग या अर्थिंग (नंगे पैर चलने के ज़रिए) एक छद्म वैज्ञानिक अभ्यास है. इसका कोई चिकित्सकीय रूप से लाभ नहीं है. इस विषय पर बहुत सारे बिल्कुल बकवास बेकार अध्ययन हैं. इस दौरान दोनों ने कई पोस्ट में एक दूसरे से भिड़ंत की. जहां श्री धर वेम्बू ने उन्हें घमंडी डॉक्टर कहते हुए कहा कि "घमंडी डॉक्टरों से दूर रहें. यह सबसे अच्छी स्वास्थ्य सलाह है जो मैं किसी को दे सकती हूं.
सोशल मीडिया पर डॉक्टर ने श्री धर वेम्बू पर साधा निशाना
इसके जवाब में 'दलिवरडॉक' ने ज़ोहो के सीईओ को "स्वास्थ्य अनपढ़ बुमेर अंकल" कहा. 'बूमर अंकल' पोस्ट को टैग करते हुए, वेम्बू ने लिखा, "क्या हम ऑनलाइन अपमान करने में कम से कम मौलिक हो सकते हैं? क्या यह पूछना बहुत ज़्यादा है?" इसके बाद उन्होंने कहा कि उन्हें अक्सर ऑनलाइन अपमानित किया जाता है, और अक्सर उन्हें "बूमर अंकल" कहा जाता है. उन्होंने आगे लिखा कि 'बूमर अंकल' का क्या मतलब है और कैसे एक और आम अपमान जिसका उन्हें अक्सर सामना करना पड़ता है वह "संघी" विचारधारा के हैं.
जानिए कौन हैं श्री धर वेम्बु?
श्रीधर वेम्बू, ज़ोहो कॉर्पोरेशन के को-फाउंडर और सीईओ हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस कंपनी रेवेन्यू $1 बिलियन से ज्यादा यानी 39,000 करोड़ है. खास बात ये है कि अपनी जड़ों से जुड़े रहने के साथ साथ उन्होंने कामयाबी का इतना बड़ा मुकाम हासिल किया.
श्रीधर वेम्बू ने 1996 में अपने भाई के साथ मिलकर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट फर्म एडवेंटनेट की शुरुआत की. समय के साथ उनका ये फैसला सफल हो रहा था. इसके बाड उन्होंनेन्हों नेसाल 2009 में अपनी कंपनी का नाम बदलकर जोहो कॉर्पोरेशन कर दिया गया. यह कंपनी सॉफ्टवेयर सॉल्युशन सर्विस मुहैया कराती है.
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