जोजिला बन रहा है जम्मू-कश्मीर का नया पीर पंजाल? लद्दाख क्षेत्र में बड़े आतंकी हमले का अलर्ट
Terror Buildup in Ladakh: सीआईके विंग के अधिकारियों ने सात नए भर्ती किए गए आतंकवादियों से पूछा तो पता चला कि हैंडलर युवा लड़कों को भर्ती करने के लिए एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल कर रहे थे.
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Ladakh on Alert: 20 अक्टूबर की रात को जम्मू कश्मीर के गांदरबल के गगनगीर क्षेत्र में हुई आतंकी हमले ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है. आतंकियों ने कंस्ट्रक्शन कंपनी के कैंप पर हमला कर 7 लोगों की जान ले ली, जिनमें डॉक्टर और सुरक्षा प्रभारी भी शामिल थे. इस इलाके को अब तक कश्मीर के सबसे सुरक्षित इलाकों में गिना जाता था, लेकिन अब यह आतंकियों के निशाने पर आ गया है.
इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान और चीन से सटे सरहदी इलाकों में घुसपैठ की कई घटनाएं सामने आई हैं. यह माना जा रहा है कि आतंकियों के समूह अब लद्दाख क्षेत्र में पहुंच रहा है, जिससे यह इलाका नए आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र बन सकता है. इससे पहले पीर पंजाल और चिनाब घाटी जैसे शांत इलाकों को निशाना बनाकर आतंकियों ने अपनी गतिविधियां शुरू की थीं.
नया आतंकवादी समूह और रणनीति
सीमाओं पर कड़ी निगरानी और नियंत्रण रेखा पर सफल आतंकवाद विरोधी अभियान के कारण नए लश्कर समूह की ओर से किए गए पहले हमले में देरी हुई, जिससे सुरक्षा बलों को पूरे मॉड्यूल को खत्म करने का समय मिल गया. लश्कर-ए-तैयबा के नए आतंकवादी समूह 'तहरीक लबैक या मुस्लिम' (टीएलएम) के सात नए भर्ती किए गए आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया और आगे भी गिरफ्तारियां होने की संभावना है.
काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (सीआईके) विंग के अधिकारियों की ओर से गिरफ्तार किए गए सात नए भर्ती किए गए आतंकवादियों से प्रारंभिक पूछताछ के दौरान पता चला है कि हैंडलर युवा लड़कों को भर्ती करने के लिए एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन सरहद पार से नए हथियार और गोला-बारूद के आने में देरी के कारण हमलों में देरी हुई.
मंगलवार यानी 22 अक्टूबर को सीआईके ने एफआईआर संख्या 06/2023 के तहत धारा 153-ए, 505, 121 और 120-बी आईपीसी आर/डब्ल्यू 13 और 39 यूए (पी) के तहत सर्च वारंट के सिलसिले में कश्मीर के कई स्थानों पर छापे मारे. सीआईके ने कहा कि यह मामला पाकिस्तान स्थित एजेंसियों के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर और एलओसी के पार सक्रिय आतंकवादी संगठनों द्वारा रची गई साजिश से जुड़ा है.
नए आतंकी मॉड्यूल बनाने की चल रही कवायद
सीआईके ने श्रीनगर, गंदेरबल, बांदीपोरा, कुलगाम, बडगाम, अनंतनाग और पुलवामा में छापे मारे. सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान स्थित खुफिया एजेंसियां और उनके आतंकी हैंडलर विभिन्न सोशल मीडिया एप्लीकेशन, खासकर एन्क्रिप्टेड सेवाओं वाले एप्लीकेशन का इस्तेमाल करके कश्मीर में नए "आतंकी मॉड्यूल" बनाने की लगातार कोशिश में हैं. जांच दल का हिस्सा रहे सीआईके अधिकारी ने कहा कि उनका इरादा जम्मू-कश्मीर के युवाओं को गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करना है और साथ ही उन्हें आतंकवादी रैंक में शामिल करना है.
उन्होंने कहा कि शुरू में नए आतंकी भर्ती चुनाव को बाधित करने, गैर-स्थानीय लोगों और अल्पसंख्यकों सहित आसान लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए लक्षित हमले करने के लिए तैयार थे.
'बाबा हमास' है हमले का सरगना
पुलिस की ओर से अब तक बरामद की गई जानकारी और सबूतों के आधार पर यह पाया गया है कि लश्कर-ए-तैयबा के मुख्य आतंकवादी हैंडलर बाबा हमास उर्फ गाजी हमास इस नए आतंकी हमले के पीछे का दिमाग था. वह पहले भी टीआरएफ, कश्मीर टाइगर्स और पीएएफएफ जैसे संगठन को बनाने में शामिल रहा है और इस बार वह 'तहरीक लबैक या मुस्लिम' (टीएलएम) के नाम से एक नया आतंकवादी संगठन बनाने के लिए हमले शुरू कर रहा था.
सीआईके ने कहा, "यह भी पाया गया कि उक्त आतंकवादी हैंडलर 'गाजी हमास' अलग-अलग गुप्त और एन्क्रिप्टेड सोशल मीडिया एप्लीकेशन के जरिए ओजीडब्ल्यू (ओवर ग्राउंड वर्कर्स) और समर्थकों और अन्य सुविधाकर्ताओं और सहानुभूति रखने वालों को कट्टरपंथी बनाने और युवाओं को नए आतंकवादी संगठन 'तहरीक लबैक या मुस्लिम' के आतंकवादी रैंकों में शामिल होने के लिए लुभाने के लिए देशद्रोही सामग्री मुहैया कर रहा था."
यह मॉड्यूल सीमा पार के आतंकवादी संगठनों के सदस्यों के साथ लगातार संपर्क में था, साथ ही संचार के अन्य माध्यमों से भी. पूछताछ के दौरान पता चला है कि एन्क्रिप्टेड इंटरनेट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के अलावा अन्य सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
अतीत के हमलों में शामिल रहा है ये आतंकी संगठन
पुलिस का कहना है कि वे अभी एप्लीकेशन के नाम नहीं बता रहे हैं, क्योंकि जांच चल रही है और वे उपयोगकर्ताओं को सचेत नहीं करना चाहते हैं. कश्मीर घाटी के 10 स्थानों पर छापेमारी की गई, जिसमें संदिग्धों की गिरफ्तारी के अलावा, मामले की जांच से जुड़े डिजिटल डिवाइस, सिम कार्ड, मोबाइल फोन, लैपटॉप और देशद्रोही सामग्री के रूप में आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई और जब्त की गई.
पूरी साजिश का पता लगाने के लिए जब्त डिवाइस से और अधिक डेटा बरामद करने के लिए फोरेंसिक जांच भी चल रही है.
पुलिस का कहना है कि जब यह संगठन अभी भी सक्रिय था, तब इसने हाल के दिनों में कुछ घटनाओं को अंजाम दिया था, जिसमें दक्षिण कश्मीर के पुलवामा के सीर इलाके में पंचायत घर में आग लगने की घटना और डोडा के एक दूरदराज के गांव में आग लगने की घटना शामिल है. यह संगठन दक्षिण और मध्य कश्मीर में विभिन्न स्थानों पर और इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर पोस्टर चिपकाने के लिए भी जिम्मेदार है.
पुलिस ने कहा कि जांच का मकसद न केवल आतंकवाद का समर्थन करने वाले और उसे बढ़ावा देने वाले ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) की पहचान करके बल्कि कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करके केंद्र शासित प्रदेश में आतंकी नेटवर्क को खत्म करना है.
लद्दाख में छिपे हो सकते हैं आतंकी
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि आतंकियों के पास अब आधुनिक शीतकालीन कपड़े और संसाधन हैं, जिससे वे लद्दाख जैसे ठंडे इलाकों में आसानी से छिप सकते हैं और सर्दियों के बाद कश्मीर में अपनी गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकते हैं. इससे न केवल भारतीय सेना के लिए चुनौती बढ़ेगी, बल्कि लद्दाख के सामरिक महत्व को भी खतरा होगा. इस क्षेत्र में आतंकवाद फैलाने के पीछे चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है.
जानकारों का मानना है कि यह हमला भारतीय रक्षा और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को रोकने के मकसद से किया गया था. यदि इन चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह क्षेत्र नया कारगिल या पीर पंजाल बन सकता है.
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